scriptक्यों हमेशा पीले बोर्ड पर ही लिखे होते हैं रेलवे स्टेशन के नाम, जानिए इसके पीछे की रोचक वजह | Why names of railway station written on the yellow board | Patrika News

क्यों हमेशा पीले बोर्ड पर ही लिखे होते हैं रेलवे स्टेशन के नाम, जानिए इसके पीछे की रोचक वजह

locationनई दिल्लीPublished: Feb 03, 2022 09:47:12 pm

Submitted by:

Arsh Verma

आपने भी कभी न कभी तो ट्रेन में सफर किया ही होगा। लेकिन क्या अपने कभी गौर किया है कि रेलवे स्टेशन के नाम हमेशा पीले रंग के साइनबोर्ड पर ही लिखे होते हैं। आइए इसके पीछे की वजह के बारे में आपको बताते हैं।

Why names of railway station written on the yellow board

New Delhi Railway Station Board:

भारतीय रेलवे दुनिया का चौथा और एशिया का दूसरा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है। हर वर्ग के लोगों के लिए ट्रेन काफी सही साधन रहती है। रोजाना करोड़ों लोग ट्रेन में सफर करते हैं, देश में कुल रेलवे स्टेशनों की संख्या 7349 है। अपने भी कभी न कभी तो ट्रेन में सफर किया ही होगा। लेकिन क्या अपने कभी गौर किया है कि रेलवे स्टेशन के नाम हमेशा पीले रंग के साइनबोर्ड पर ही लिखे होते हैं। आइए आपको बताते हैं कि आखिर क्यों ऐसा होता है।

आपको बता दें कि पीला रंग मुख्य रूप से सूर्य की चमकदार रोशनी पर आधारित है। ऐसा माना जाता है कि पीले रंग का सीधा कनेक्शन खुशी, बुद्धि और ऊर्जा से जुड़ा हुआ है। भीड़भाड़ वाले इलाके में पीले रंग का बैकग्राउंड बाकी रंगों के मुकाबले काफी अच्छा काम करता है। इसके अलावा वास्तुशिल्प और मनोवैज्ञानिक कारकों को ध्यान में रखते हुए भी ज्यादातर इसी रंग का इस्तेमाल किया जाता है। पीले रंग के बैकग्राउंड पर काले रंग की लिखाई सबसे ज्यादा प्रभावशाली होती है, इसे साफतौर पर दूर से भी देखा जा सकता है।

इसके अलावा पीला रंग काफी चमकदार होता है जो ट्रेन के ड्राइवर को दूर से ही दिख जाता है।इसके साथ ही पीला रंग ठहरने का भी संकेत देता है। पीले रंग के बोर्ड ट्रेन के लोको पायलट को गति धीमी करने या सतर्क रहने का भी संकेत देते हैं। कई रेलवे स्टेशनों पर ट्रेनें नहीं रुकतीं, ऐसी ट्रेन के लोको पायलट स्टेशन में प्रवेश करने से लेकर बाहर निकलने तक काफी सतर्क रहते हैं और लगातार हॉर्न बजाते रहते हैं ताकि स्टेशन पर मौजूद यात्री सावधान हो जाएं।


यह भी पढ़ें

मात्र 500 रुपए की इस कुर्सी ने महिला को बना दिया लखपति, जानें कैसे




लाल रंग के बाद पीले रंग की वेवलेंथ ही सबसे ज्यादा होती है। इसी वजह से स्कूल बसों को पीले रंग में रंगा जाता है। यही नहीं पीले रंग को बारिश, कोहरा या धुंध में भी पहचाना जा सकता है। पीले रंग का लैटरल पेरीफेरल विजन पीले रंग की तुलना में लगभग सवा गुना ज्यादा होता है।

और अगर अब आप ये सोच रहे हैं की सुरक्षा वाले बोर्ड या साइन व सिग्नल लाल क्यों होते हैं, तो आपको बता दें कि खतरे के सिग्नल के लिए लाल रंग का इस्तेमाल किया जाता है क्योंकि ये रंग बेहद चटक माना जाता है। जिसकी वजह से खतरे को दूर से भांपा जा सकता है। सड़कों के अलावा रेल यातायात में लाल रंग का अच्छा-खासा इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा गाड़ी के पीछे भी लाल रंग की बत्ती ही लगाई जाती है, ताकि पीछे से आ रहे दूसरे वाहन उसे दूर से ही देख सकें।

यह भी पढ़ें

पाकिस्तान के वो अजीबो-गरीब कानून, जिनके बारे में जानकार आप हो जाएंगे हैरान

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो