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कमलेश को घर लौटने पर गांव में नहीं घुसने दिया तो उसने पेड़ पर बना लिया अपना आशियाना

कमलेश मीणा ( Kamlesh Meena ) किशनगढ़ ( Kishangarh ) से 160 किलोमीटर की दूरी पैदल तय करके अपने गांव पहुंचे। लॉकडाउन बढ़ने के बाद इलाके में बाहर से आए किसी भी शख्स को खुद को क्वारंटाइन करना जरूरी था। इस नियम को लेकर प्रशासन के निर्देश काफी सख्त थे।

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Unique quarantine

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नई दिल्ली। कोरोना वायरस ( coronavirus ) की वजह से कई लोगों को क्वारंटाइन सेंटर में रखा जाता है। लोगों को क्वारंटाइन की सुविधा मुहैया कराने के लिए सरकारी स्कूलों में इसका बंदोबस्त प्रशासन की ओर से किया गया है। कहीं समझदार लोग खुद ही अपने लिए क्वारंटाइन होने का इंतेजाम कर लेते हैं।

ऐसा ही मामला सामने आया है राजस्थान ( Rajasthan ) से। यहां के भीलवाड़ा ( Bhilwara ) के नजदीक शेरपुरा गांव में एक युवक अजमेर ( Ajmer ) के किशनगढ़ से अपने गांव आया तो उसने खुद को क्वांरटाइन करने के लिए पेड़ पर अपना आशियाना बना लिया।

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एक रिपोर्ट के मुताबिक कमलेश मीणा किशनगढ़ से 160 किलोमीटर की दूरी पैदल तय करके अपने गांव पहुंचे। लॉकडाउन बढ़ने के बाद इलाके में बाहर से आए किसी भी शख्स को खुद को क्वारंटाइन करना जरूरी था। इस नियम को लेकर प्रशासन के काफी सख्त निर्देश जारी किए थे।

इसी वजह से कमलेश ( Kamlesh ) को अपने गांव ( Village ) में दाखिल होने की अनुमति नहीं मिली। स्वास्थ्य सेंटर वालों से लंबी बहस के बाद कमलेश ने कहा कि उनका खेत गांव से 1-2 किलोमीटर दूरी पर है। वहां एक पेड़ है वो क्वारंटाइन सेंटर की बजाय वहां जाकर खुद को क्वारंटाइन करना चाहते हैं।

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कमलेश ने पेड़ पर ही अपना क्वांरटाइन ( Quarantine ) सेंटर बना लिया। कमलेश के पिता रोज उन्हें खाना देते आते थे। वो सोशल डिस्टेंस ( Social Distance ) बनाते हुए खाना देते है। कमलेश पेशे से एक ट्रैक्टर चालक ( Tractor Driver ) हैं। जो अपने काम के सिलसिले में अक्सर बाहर जाते रहते हैं।