
Facial Recognition
नई दिल्ली। फेशियल रिकॉग्निशन ( Facial Recognition ) तकनीक की बदौलत 32 साल पहले बिछड़ा बच्चा सालों बाद अपने परिवार से मिलने में कामयाब हो पाया। दरअसल 1988 में माओ यिन को दो साल की उम्र में शांग्सी प्रांत के एक होटल से उसके माता-पिता से दूर कर दिया गया। इसके बाद उसे सिचुआन प्रांत के एक निःसंतान दंपति को बेच दिया गया।
ऐसे में माओ का अपने परिवार से दोबारा मिलना वाकई किसी करिश्मे से कम नहीं। यह सब मुमकिन कर दिखाया फेशियल रिकॉग्निशन टेक्नोलोजी ( Technology ) ने, आज ये शख्स एक व्यस्क है और तकनीक की मदद से लंबे अरसे बाद अपने परिवार से मिल सका है।
माओ को उसके दत्तक माता-पिता ने गू निनग्नि के रूप में बड़ा किया। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक अप्रैल के आखिर में में पुलिस ( Police ) को सुराग मिला कि सिचुआन प्रांत में एक शख्स साल 1980 के दशक में शांग्सी प्रांत से एक बच्चा लेकर आया था।
इसके बाद पुलिस ने फेशियल रिकॉग्निशन टेक्नोलॉजी का उपयोग कर माओ की बचपन की एक पुरानी फोटो ( Old Photo ) को बहुत बारिकी के साथ एनालाइज किया और फिर एक व्यस्क के रूप में उसकी आभासी फोटो निकाली। जिसकी राष्ट्रीय डेटाबेस ( National Database ) में तस्वीरों के साथ तुलना की गई।
इसके बाद डीएनए टेस्ट ( DNA Test ) के आधार पर उसे अपने परिवार से मिलने का मौका मिला। माओ के खो जाने के बाद, ली ने अपनी नौकरी छोड़ दी और खुद को पूरी तरह से बेटे को खोजने में लगा दिया। माओ ने कहा कि पहले उसने ली को टीवी पर अपने खोए हुए बेटे के बारे में बोलते हुए देखा था और वह उसकी हिम्मत से प्रभावित भी हुआ।
इसके बावजूद भी वह यह पहचान नहीं पाया कि वो उसके पिता हैं और वो लड़का वह खुद है, जिसको खोजने के लिए उनके पिता ( Father ) ने कई साल लगा दिए। माओ, सिचुआन में होम डेकोरेशन का बिजनेस करता है, और उसने कहा कि वह अपने सगे माता-पिता के साथ रहने के लिए चला जाएगा।
फेशियल रिकग्निशन तकनीक क्या हैं
इस तकनीक के सहारे चेहरे की पहचान बायोमेट्रिक सॉफ़्टवेयर ( Biometric Software ) की एक श्रेणी के तहत की है जो किसी व्यक्ति के चेहरे की विशेषताओं को गणितीय रूप से मैप करती है और डेटा को फेसप्रिंट के रूप में क्लेक्ट करती है। सॉफ्टवेयर किसी व्यक्ति की पहचान को सत्यापित करने के लिए एक लाइव कैप्चर या डिजिटल इमेज को संग्रहीत फेसप्रिंट की तुलना करने के लिए डीप लर्निंग एल्गोरिदम का उपयोग करता है।
ये पूरी तरह से चेहरे की विशेषताओं ( Facial Features ) के आधार पर लोगों की पहचान करने का एक कम्प्यूटरीकृत तरीका है। ये प्रणालियां ( Method ) कैमरों से चलती हैं, जो भीड़ ( Crowd ) कई लोगों की पहचान करने के लिए विभिन्न प्रतिक्रियाओं का पता लगा सकती हैं।
Published on:
20 May 2020 02:12 pm
बड़ी खबरें
View Allहॉट ऑन वेब
ट्रेंडिंग
