हालांकि कोरोना वायरस का गढ़ माने जा रहे वुहान ( Wuhan ) में भी कोरोना के मामले तेजी से कम होते दिख रहे है, मगर इसके बावजूद ये बहस तूल पकड़ रही है कि चीन के दूसरे शहरों में कोरोना उतनी तेजी से नहीं फैला जबकि इटली, ईरान, अमेरिका और स्पेन के साथ बाकी देशों में अब ये भयावह रूप लेता जा रहा है।
सोमवार को लगातार चौथे दिन वहां पर कोरोना के नए मामलों में गिरावट आई है। चीन की राजधानी बीजिंग ( Beijing ) ने विदेशों से कोरोना के आ रहे संक्रमित मरीजों के खिलाफ कदम उठाया है। इसी का नतीजा है कि बीजिंग और शंघाई में कोरोना का संक्रमण उस कद्र नहीं फैला जितना की वुहान में।
नेशनल हेल्थ कमिशन ने कहा कि रविवार को चीन में 39 नए मामले आए जबकि एक दिन पहले 46 मामले आए थे। विदेशों से आ रहे लोगों में कई चीन के छात्र हैं जो अपने घर वापसी कर रहे हैं। बीजिंग में आ रहे इन्फेक्शन्स को रोकने के लिए सोमवार से सभी अंतरराष्ट्रीय उड़ानों को शंघाई और जियान समेत पश्चिम की तरफ मोड़ दिया गया।
इस दौरान सभी पैसेंजर्स को वायरस स्क्रीनिंग से गुजरना होगा। चीन ने वुहान में कोरोना के संक्रमण को बढ़ता देख इस शहर को पूरी तरह से बंद कर दिया था। वहीं यहां आवाजाही भी पूरी तरह स्थगित कर दी गई थी। ऐसे में यहां से इस कोरोना का प्रसार बाकी हिस्सों में होने से रोक लिया गया।
जबकि इसके उल्ट अमेरिका ( America ) के राष्ट्रपति ट्रंप ने शुरूआत में लापरवाही बरती और इसी का खामियाजा यहां के लोगों को भुगतना पड़ रहा है। ट्रंप कोरोना के तेजी से बढ़ते संक्रमण के बाद भी अमेरिका में लॉकडाउन के पक्ष में नहीं दिखें और इसलिए यहां इस खतरनाक वायरस के कम्यूनिटी ट्रांसमिशन को वक़्त रहते नहीं रोका जा सका।
कोरोना को लेकर इटली ( Italy ) के प्रशासन की नींद जब खुली तो बहुत देर हो चुकी था। इटली में कोरोना का संक्रमण फैलने के बाद अचानक मरीजों की तादाद बेहद तेजी से बढ़ी। आईसीयू में बेड कम पड़ने लगे और अस्पताल के स्टाफ भी कोरोना के संक्रमण का शिकार होने लगे।
आखिर कैसे एक संक्रमित शख्स 50000 लोगों को बांट सकता है कोरोना वायरस?
इटली ( Italy ) ने अपनी अर्थव्यवस्था बचाने के लालच में व्यवसाय और दफ्तरों को बंद नहीं किया। यहां लोगों के मार्केट ( Market ) जाने पर तब पाबंदी तब लगाई गई जब कोरोना स्टेज 6 पर पहुंच चुका था। इटली में सुपर मार्केट और फॉर्मेसी को छोड़कर सब कुछ बंद है।
इसलिए यह दावा पूरी तरह गलत है कि इसके पीछे चीन की कोई बड़ी साजिश है, क्योंकि कोई भी देश अपने यहां के लोगों को इस तरह की महामारी से ग्रस्त नहीं करना चाहेगा जिसका कोई इलाज न हो। कोरोना ने दुनिया की उन तमाम सरकारों और मेडिकल हेल्थ की पोल खोल कर रख दी जो अपने आप में विकसित होने का दम भरते है।