7 जुलाई 2025,

सोमवार

Patrika LogoSwitch to English
मेरी खबर

मेरी खबर

शॉर्ट्स

शॉर्ट्स

ई-पेपर

ई-पेपर

कोरोना काल ने समझाया जीवन का नया फलसफा

लॉकडाउन ने हमें उन छोटी-छोटी खुशियों की याद दिलाई, जिन्हें कभी हमने हल्के में लिया था। आज हम अपने जीवनसाथी, बच्चों और अन्य परिजनों के साथ घरों तक सीमित हो चुके हैं। गहरी चिंता व अनिश्चितता के समय में 'न्यू नॉर्मल' में जीने की कोशिश कर रहे हैं।

Sunil Sharma

Jun 27, 2021

happy_smiling_girl.jpg

आप अपने लिए भला सोचें और साथ ही दूसरों के मामले में भी ऐसा ही करें। याद रखें कि कोरोना काल का यह समय थोड़ा मुश्किल है, इसे धैर्य पूर्वक गुजारें। इन प्रयासों को आप सिर्फ इस समय ही नहीं हमेशा ही अपने जीवन में लागू कर सकते हैं।

यह भी पढ़ें : Covid-19 के डर से मां ने 5-वर्षीय बेटी की हत्या कर दी, पति ने बताया अलग ही कारण

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरो साइंसेज में प्रोफेसर और मनोचिकित्सा विभाग की प्रमुख डॉ. प्रभा चंद्रा बता रही हैं कि कोरोना काल ने किस तरह की सच्चाई को हमसे रूबरू किया है। इस समय हम किस तरह का व्यवहार कर अपने जीवन को आसान बना सकते हैं।

यह भी पढ़ें : दोनों डोज लगवा चुके लोगों में कितना है कोरोना का खतरा, जानिए क्या कहती है ICMR की रिपोर्ट

सामाजिक संपर्क
आपसी जुड़ाव इंसान को अपनी भावनाओं को काबू करने और पहचान बनाने में मदद करता है। पिछले कई वर्षों में हम में से कई लोग ऑनलाइन जुड़ाव के साथ सहज हो चुके हैं। हालांकि इस दौरान कुछ चीजों को बदला नहीं जा सका है, जैसे, किसी कैफे में अपने दोस्त के साथ एक कप कॉफी पीने का लुत्फ, बच्चे के साथ एक पुरानी किताब की दुकान में पसंदीदा किताब खोजने का रोमांच। अपने लिए गर्मी में पहनने के लिए बेहतरीन सूती कॉटन कपड़े खोजने का आनंद। लॉकडाउन ने हमें उन छोटी-छोटी खुशियों की याद दिलाई, जिन्हें कभी हमने हल्के में लिया था। आज हम अपने जीवनसाथी, बच्चों और अन्य परिजनों के साथ घरों तक सीमित हो चुके हैं। गहरी चिंता व अनिश्चितता के समय में 'न्यू नॉर्मल' में जीने की कोशिश कर रहे हैं।

यह भी पढ़ें : कोरोना पर वैक्सीन बेअसर! टीकों के बाद भी संक्रमित हुए लोग, एक की इलाज के दौरान मौत

हकीकत से रूबरू
लॉकडाउन के दौरान जाहिर है कि पहला हफ्ता आसान लगा। बोर्ड गेम निकाले गए, केक बनाए गए और उन सभी रिश्तेदारों को फोन किया गया होगा जिनसे पिछले एक साल से बात नहीं की। लेकिन जब वास्तविकता का पता चलता है तो दुकानों से जल्दी से सामान लाने या पार्क में टहलने में भी संक्रमण का भय सताता है और मन में निराशा के भाव आते हैं।

चुनौतियां अकेले की
जो लोग अकेले रहते हैं, उन्हें अलग तरीके की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। दिनचर्या बुरी लगती है और सामान्य काम करना भी फिजूल महसूस हो सकता है। घर में टहलते हुए वेब सीरीज देखना या सोशल मीडिया पर समय बिताना दिनचर्या में शुमार हो जाता है। अकेले लोगों को अपने दोस्तों के साथ सप्ताहंत में बाहर घूमने की बहुत याद आती है और वे अकेलेपन की भावना का शिकार हो सकते हैं। इससे निपटने के लिए आप भावनात्मक रूप से मजबूत बनें और लोगों से स्नेहपूर्ण बर्ताव बनाए रखें। उनके हाल जानने व उन्हें हौसला देने से भी आपको खुशी मिलेगी।

बदलें हालात के साथ
जब दिनचर्या अचानक बेकाबू हो गई हो तो नए समाधान खोजने और अलग-अलग परिस्थितियों में खुद को ढालने की क्षमता बेहद अहम है। उदाहरण के लिए अब लॉकडाउन के कारण व्यायाम करने के विकल्प काफी सीमित हैं। ऐसे में आप अपने भोजन पर प्रयोग कर सकते हैं। एक बार में कम भेाजन लें और भोजन ज्यादा बार करें।

सभी के विचारों की करें कद्र
असहमति को शुरुआत में ही दूर कर लें। अपने या किसी दूसरे के प्रति निराशा महसूस कर रहे हैं, उससे आपके साथी, माता-पिता या बच्चे को कैसा महसूस हो रहा होगा, यह सोचें। इस तरह आपकी प्रतिक्रिया से बचें।