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Coronavirus से 9 घंटे तक रहता है सबसे ज्यादा खतरा, इसलिए जरूरी है ये काम: वैज्ञानिक

-कोरोना वायरस ( Coronavirus ) पर तमाम देशों में शोध चल रहे हैं। -कोरोना वायरस को लेकर वैज्ञानिकों ने चौंकाने वाला खुलासा किया है।-कोरोना वायरस ( Coronavirus Infection ) इंसान की त्वचा पर कई घंटों तक जिंदा रह सकता है। -इसका प्रमुख फैलाव एरोसोल और ड्रॉपलेट्स के माध्यम से होता है।

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Naveen Parmuwal

Oct 08, 2020

Coronavirus can survive 9 hours on skin mask not alter oxygen experts

Coronavirus से 9 घंटे तक रहता है सबसे बड़ा खतरा, इसलिए जरूरी है ये काम: वैज्ञानिक

नई दिल्ली।
कोरोना वायरस ( Coronavirus ) पर तमाम देशों में शोध चल रहे हैं। इसलिए महामारी ( COVID-19 virus ) को लेकर कई तरह के खुलासे भी सामने आ रहे हैं। हाल ही में कोरोना वायरस को लेकर वैज्ञानिकों ने चौंकाने वाला खुलासा किया है। कोरोना वायरस ( Coronavirus Infection ) इंसान की त्वचा पर कई घंटों तक जिंदा रह सकता है। इसका प्रमुख फैलाव एरोसोल और ड्रॉपलेट्स के माध्यम से होता है। क्लीनिकिल इंफेक्शियस डिसीज में इस स्टडी को प्रकाशित किया गया है। शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि SARS-CoV-2 से बचने के लिए हाथों की अच्छी तरह से साफ-सफाई करना बेहद ही जरूरी है।

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9 घंटे तक जिंदा रहता है वायरस
शोधकर्ताओं ने हेल्दी वॉलंटियर्स को कोरोना इंफेक्शन से बचाने के लिए कैडेवर स्किन का प्रयोग किया। जिसके बाद उन्होंने दावा किया कि इन्फ्लूएंजा ( Influenza Virus ) जैसा घातक वायरस भी इंसान की त्वचा पर 2 घंटे से ज्यादा नहीं रहता, जबकि कोरोना वायरस 9 घंटे से भी ज्यादा देर तक स्किन पर सर्वाइव कर सकता है। इससे इसके खतरे को लेकर अंदाजा लगाया जा सकता है।

हाथों की साफ-सफाई जरूरी
शोधकर्ताओं ने रिपोर्ट में कहा है कि 80% एल्कोहल वाला सैनिटाइजर ( Sanitizer ) सिर्फ 15 सेकेंड किसी भी तरह के वायरस को त्वचा से गायब कर सकता है। यूएस फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन भी एल्कोहल वाले सैनिटाइजर से हाथों को धोने की सलाह देता है। सैनिटाइजर या साबुन से 20 सेकेंड तक हाथ धोने से कोरोना संक्रमण का खतरा बिल्कुल खत्म हो जाता है।

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मास्क से नुकसान नहीं
वहीं, शोध में इस बात का भी दावा किया है कि फेस मास्क अनकम्फर्टेबल हो सकता है, लेकिन फेफड़ों तक पहुंच वाली ऑक्सीजन को ये बाधित नहीं करता है। शोधकर्ताओं ने गैस एक्सचेंज पर सर्जिकल मास्क को टेस्ट भी किया है। इस दौरान शरीर खून को ऑक्सीजन से जोड़ता है और कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ता है। रिपोर्ट में कहा गया कि हेल्दी डॉक्टर्स और ना ही पीड़ित लोगों में टेस्ट के आधे घंटे बाद तक फेफड़ों में ऑक्सीजन का कोई बड़ा बदलाव देखने को मिला।