दरअसल 10 अप्रैल को साउथ दिल्ली के ग्रेटर कैलाश ( Greater Kailash ) थाने में एक पीसीआर कॉल आई थी कि ए ब्लॉक में कुछ मजदूर फंसे हुए हैं और उनके पास खाने के लिए राशन नहीं है। दिल्ली पुलिस ने तुरंत अपने दो कांस्टेबल तारा चंद और महिला कांस्टेबल नीलम को राशन देने के लिए वहां भेजा।
इन दोनों पुलिसकर्मियों ने देखा कि इन मजदूरों के साथ कुछ बच्चे भी हैं। दोनों बच्चों को देख ताराचंद और नीलम ने अपने डीसीपी ( DCP ) अतुल ठाकुर से इजाजत लेने के बाद इन बच्चों को पढ़ाना शुरू किया। दिल्ली पुलिस के कांस्टेबल ताराचंद और कांस्टेबल नीलम हर रोज अपनी ड्यूटी खत्म करने के बाद इन बच्चो को 1 घंटे पढ़ाते हैं।
इसके साथ ही बच्चों को किताब ( Books ), कॉपी, पेन से लेकर सभी सामान भी मुहैया करा रहे है। बच्चे स्कूल ( School ) में पढ़ाई नहीं करते हैं। बच्चों के लिए स्टाफ ने पुलिस स्टेशन ( Police Station ) में ही स्कूल बना दिया और वहां उनकी पढ़ाई चल रही है।
प्रेमिका ने धोखेबाज प्रेमी के घर भेजे 1 हजार किलो प्याज, मैसेज में लिखा- अब तू मेरी तरह रो
पुलिस उपायुक्त (दक्षिण) अतुल कुमार ठाकुर ( Atul Kumar Thakur ) ने बताया कि ये पुलिसकर्मी इन बच्चों को कविता, वर्णमाला, गिनती आदि सिखाने की कोशिश में लगे हैं। ये दोनों ही कांस्टेबल बच्चों को अपनी मर्जी से पढ़ा रहे हैं ताकि उनकी पढ़ाई किसी तरह प्रभावित नहीं हो।
इसके साथ ही उन्होंने कहा, ‘‘यह सब तब शुरू हुआ जब ग्रेटर कैलाश पुलिस थाने के अधिकारियों को जानकारी मिली कि कुछ लोगों को क्षेत्र में भोजन नहीं मिल रहा है। इसके तुरन्त बाद उन्हें भोजन उपलब्ध कराया गया और हमारे जवानों ने ‘पुलिस की पाठशाला’ शुरू की।
कांस्टेबल नीलम ( Neelam ) ने कहा कि हमने अपने वरिष्ठ अधिकारियों को इस मामले से अवगत कराया, जिन्होंने हमारा सही मार्गदर्शन किया और लॉकडाउन के दौरान इन बच्चों को पढ़ाने के लिए हमें प्रेरित किया, ताकि उनकी पढ़ाई जारी रह सके। हमारे वरिष्ठ अधिकारियों ने बच्चों को बोर्ड, किताबें और स्टेशनरी का अन्य सामान उपलब्ध कराया।
स्कूल जाने वाली दो लड़कियां और तीन अन्य लड़के उन पांच बच्चों में से हैं जो अब ‘‘पुलिस की पाठशाला’’ में पढ रहे हैं। अधिकारियों ने बताया कि लड़कियों में से एक सरकारी स्कूल ( School ) में कक्षा एक की छात्रा है वहीं एक अन्य कक्षा चौथी की छात्रा हैं। जबकि बाकि तीन अन्य बच्चे कभी किसी स्कूल में नहीं गए और उनका पढ़ाई करने का ये पहला अनुभव था।
कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी ने किया अहम फैसला, साल 2021 तक ऑनलाइन होगी पढ़ाई
कांस्टेबल नीलम ने कहा कि अब इन बच्चों को भी मालूम हैं कि कोरोना वायरस चीन से आया है और लाल एक रंग है जिसका उपयोग खतरे को दर्शाने के लिए किया जाता है। वे यह भी जानते हैं कि बाहर से लौटने पर उन्हें अपने माता-पिता के पास जाने से पहले खुद को किस तरह से संक्रमण मुक्त करना चाहिए।