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इस जगह सैनिक नहीं बल्कि डॉल्फिन और अन्य समुद्री जीव करते हैं परमाणु हथियारों की पहरेदारी

किसी भी देश की ताकत का अंदाजा उसकी मौजूदा सामरिक शक्ति के आधार पर ही लगाया जाता है।

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world's largest stockpile of nuclear weapons

world's largest stockpile of nuclear weapons

नई दिल्ली। हर देश अपने देश की सीमाओं ( Borders ) की पहरेदारी के लिए तमाम पुख्ता इंतेजाम रखता है। किसी भी देश की ताकत का अंदाजा उसकी मौजूदा सामरिक शक्ति के आधार पर लगाया जाता है। दुश्मन को किसी भी युद्ध ( War ) में मात देने के लिए हर देश के पास अपने हथियारों का खास भंडार होता है।

इन हथियारों को सुरक्षा की कई परतों के बीच रखा जाता है। जिसके लिए खास सैनिकों ( Soldiers ) की तैनाती की जाती है। जहां हथियार रखे जाते हैं वैसे तो उन जगहों के बारे में किसी को कम ही मालूम होता है लेकिन फिर भी उन पर हमला होने का डर रहता है।

इसलिए हथियारों के इन भंडारों की खास निगरानी की जाती है। लेकिन दुनिया में एक ऐसी ही जगह भी है, जहां परमाणु हथियारों का सबसे बड़ा भंडार होने के बावजूद भी सैनिक नहीं बल्कि डॉल्फिन और अन्य समुद्री जीव करते हैं। अब ये बात सुनने में भले ही अजीब लगे लेकिन ये हकीकत है।

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दरअसल अमेरिका के सिएटेल शहर से 20 मील दूरी अमेरिकी नेवी ( US Navy ) का बेस कैंप है, जिसे 'नेवल बेस किटसैप' कहा जाता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका के करीब एक चौथाई परमाणु हथियार यहीं पर रखे हुए हैं। इसी वजह से इस जगह को दुनिया में परमाणु हथियारों का सबसे बड़ा भंडार कहा जाता है।

नेवल बेस किटसैप में मौजूद परमाणु भंडार की रक्षा के लिए डॉल्फिन और सी लॉयन यानी समुद्री शेरों की फौज तैनात की गई है। इस फौज में करीब 85 डॉल्फिन ( Dolphins ) और 50 समुद्री शेर तैनात हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, डॉल्फिन और समुद्री शेरों के शरीर में एक बाइट प्लेट फिट कर दी जाती है।

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अगर कोई भी समुद्री रास्ते से परमाणु हथियारों के नजदीक पहुंचने की कोशिश करता है तो ये समुद्री जीव उसके पैर से जाकर टकराते हैं, जिससे प्लेट उनकी पैर में चिपक जाती है और वो तब तक उसे बाहर नहीं निकाल सकता है, जब तक कि उससे संदेश समुद्री जीवों के हैंडलर तक नहीं पहुंच जाता।

डॉल्फिन और अन्य समुद्री जीवों को यह काम इसलिए सौंपा गया है, इनमें कुछ ऐसी की खूबियां होती हैं जिसकी बदौलत समुद्र के काफी नीचे की चीजों का भी पता लगा सकती है। जिसकी वजह है कि इन्हीं समुद्री जीवों को अमेरिका ने अपने परमाणु हथियारों की सुरक्षा का जिम्मा सौंपा हुआ है।