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महाप्रलय का अंदेशा ! हिमालय में पिघल रही बर्फ,खतरे में है अरब सागर

हिमालय (Himalay) के पिघलते हुए बर्फ और ग्लेशियर की वजह से अरब सागर में खतरनाक एल्गी(Algae ) नॉक्टीलुका सिन्टीलैंस ( Noctiluca Scintillans) पैदा हो रही है। इसकी वजह से अरब सागर का फूड चेन बिगड़ जाएगा। NASA ने इससे जुड़ी एक तस्वीर भी जारी की है

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Vivhav Shukla

May 08, 2020

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नई दिल्ली। पूरी दुनिया इन दिनों कोरोना वायरस (Coronavirus) का दंश झेल रही है। सारे देश सब कुछ भूलाकर इस वायरस को खत्म करने में लगे हुए हैं। अभी इस महामारी का कोई इलाज नहीं मिला है लेकिन एक और मुसिबत सामने आ गई है।

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दरअसल, हिमालय (Himalay) के पिघलते हुए बर्फ और ग्लेशियर की वजह से अरब सागर में खतरनाक चीज पैदा हो रही है। इसकी वजह से अरब सागर का फूड चेन बिगड़ जाएगा। NASA ने इससे जुड़ी एक तस्वीर भी जारी की है। इसमें साफ-साफ दिखाई दे रहा है कि अरब सागर में हरे रंग का शैवाल बहुत तेजी से बढ़ रहा है।

इस हरे रंग का शैवाल यानि एल्गी(Algae )का नाम नॉक्टीलुका सिन्टीलैंस ( Noctiluca Scintillans) है। जो एक मिलीमीटर आकार की होती है। इसे सी-स्पार्कल के नाम से भी जाना जाता है। नासा द्वारा जारी कई तस्वीरों दिख रहा है कि एल्गी अरब सागर के किनीरों पर काफी अधिक मात्रा में दिखाई दे रही है। जो कि तेजी से भारत-पाकिस्तान, ओमान, ईरान समेत अरब सागर से सटे हुए कई देशों के तटीय इलाकों में तेजी से फैल रही है।

हैरानी की बात है 20 साल पहले इस एल्गी का कोई अता पता नहीं था। लेकिन अब ये अरब सागर को खत्म कर रही है। इस एल्गी की वजह से समुद्र में ऑक्सीजन की कमी होगी। और करोड़ों जानवर मारे जाएगें।

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साइंस मैगजीन नेचर में एक रिपोर्ट के अनुसार नॉक्टीलुका सिन्टीलैंस यह रात में चमकता भी है। इसके लिए ये समुद्र से और ज्यादा ऑक्सीजन और खाना लेता है और उसे खत्म करने लगता है।

रिपोर्ट के मुताबिक नॉक्टीलुका सिन्टीलैंस की बढ़ती हुई मात्रा से अरब सागर के किनारे रहने वाले करीब 15 करोड़ लोगों का जीवनयापन करना मुश्किल हो जाएगा। वैज्ञानिकों ने बताया हिमालय से पिघल रही बर्फ और ग्लेशियर की वजह से गर्म और उमस भरी हवा बहती है। और एल्गी अपने फैलने का मौका तलाश लेती । नॉक्टीलुका सिन्टीलैंस समुद्र के ऊपरी हिस्से पर तैरने लगते हैं।

सागर की ऊपरी सतह को पूरी तरह से ढंक लेते हैं. इतनी तेजी से फोटोसिंथेसिस की प्रक्रिया को बढ़ा देते हैं कि अन्य समुद्री जीवों को ये प्रक्रिया करने के लिए पर्याप्त रोशनी और ईंधन नहीं बचता। जिसे पूरे समुद्र पर खतरा मडराने लगता है।