
12 साल की सत्ता ऐसे छिनी 12 दिनों में, मरते समय ऐसी हो गई थी 'हिटलर' की हालत
नई दिल्ली। 30 अप्रैल 1945 के दिन हिटलर की तानाशाही का अंत हो गया था। उसे दुनिया आज भी एक क्रूर और बेरहम तानाशाह ( dictator ) के नाम से याद करती है। 12 साल की तानाशाही और अनगिनत लोगों पर अत्याचार करने के बाद आखिर एक दिन ऐसा आया जब अडोल्फ हिटलर ( Adolf Hitler ) ने अपने निजी अंगरक्षक हींज़ लिंगे से उसके मृत शरीर को जलाने का आदेश दिया था। 25 अप्रैल, 1945 के बाद से हिटलर के जीवन का केवल एक ही मकसद था - स्वयं अपनी मौत की तैयारी करना। अपने निजी अंगरक्षक को उसने हिदायत दी थी कि "जब मैं अपनेआप को गोली मारुं तो मेरे शरीर को जला देना। उसे ऐसा बना देना की मुझे कोई पहचान न सके।"
अपने जीवन के उन आखिरी 12 दिनों में हिटलर ज़मीन से 50 फीट नीचे बनाए बंकर में ही काम करता और सोता। अपने आखिरी दिनों में वह अवसाद से ग्रसित हो गया था। हिटलर की इस अनसुनी कहानी पर एक फिल्म भी बन चुकी है। 1942 में हिटलर ने कुछ लड़कियों को अपनी सेक्रेटरी नियुक्ति के लिए बुलाया था। उन लड़कियों में से जो लड़की चुनी गई उसने हिटलर के आखिरी दिनों की कहानी सबको सुनाई। त्राउदी जुंगा Traudl Junge नाम की उस लड़की का कहना था कि उसे उसके साथ रहते समय ज़रा सा भी अंदाज़ा नहीं था कि वह इतना बड़ा शैतान है। हिटलर की वसीहत तैयार करने के बाद उसकी मौत तक त्राउदी उसी बंकर में रही जहां हिटलर छिपा था। जून 1945 में गिरफ्तारी और कारावास के बाद, त्राउदी से सोवियत और अमरीकी सेना ने पूछताछ की।
युद्ध के बाद उसने जर्मनी में एक सचिव के रूप में काम किया। अपने जीवन के आखिरी दिनों में त्राउदी ने हिटलर को लेकर एक किताब लिखी। उस किताब में हिटलर के अंतिम दस दिनों के बारे में लिखा। इस किताब पर 2004 में एक फिल्म बनी जिसका शीर्षक डाउनफॉल था। त्राउदी का कहना था कि "मैं तब 22 साल की थी और मुझे राजनीति के बारे में कुछ भी पता नहीं था। मुझे उसमें कोई दिलचस्पी भी नहीं थी", दशकों बाद त्राउदी ने बताया कि, "मुझे आत्म गिलानी होती है कि मैंने दुनिया के सबसे बड़े मुजरिम को पसंद किया।"
Published on:
30 Apr 2019 07:04 am
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