OMG! नए साल के मौके पर ‘380 करोड़ रुपये’ की ‘शराब’ गटक गए तेलंगाना के लोग, आंकड़े ने सबको चौंकाया
ऐसे बंद करती है सरकार इंटरनेट
दरअसल, जैसे हम घर में वाईफाई ( wifi ) चलाने के लिए राउटर लगवाते हैं। ठीक इसी तरह मोबाइल में लोगों को इंटरनेट देने का काम मोबाइल टावर करते हैं। जैसे वाईफाई का एक सर्विस प्रोवाइडर है। ठीक वैसे ही इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर यानि आईएसपी होते हैं। मोबाइल सेवा प्रदाता कंपनियां आईएसपी होती हैं। सरकार के पास ऐसा कोई बटन नहीं होता है, जिसे दबाने से इंटरनेट बंद होता हो। बल्कि सरकार आईएसपी कंपनियों को आदेश देती है और इंटरनेट बंद करवा देती है। आईएसपी कंपनियां सरकारी और प्राइवेट दोनों ही हो सकती हैं। जहां सरकारी कंपनियों का पूरा नियंत्रण सरकार के हाथ में है, तो वहीं निजी कंपनियों को सरकार लाइसेंस देती है। वहीं अगर ये सरकार के आदेश का पालन नहीं करेंगी, तो सरकार इनका लाइसेंस रद्द कर सकती है।
क्या बिना इंटरनेट के चैट हो सकती है?
नेटवर्कों का जाल इंटरनेट कहलाता है, जिसे अलग-अलग तरीकों से भी बनाया जा सकता है। जैसे कि आजकल कई एप्लीकेशन वाईफाई से फाइल ट्रांसफर की सुविधा देते हैं। वहीं ब्लूटूथ से फाइल ट्रांसफर की जा सकती है, जो कि एक पुराना तरीका है। ब्लूटूथ और मोबाइल के वाईफाई और हॉटस्पॉट का इस्तेमाल कर मैसेज आगे पहुंचाया जा सकता है। वहीं हाल ही में कई ऐसी एप्लीकेशन का नाम भी सामने आया जिनके बारे में कहा गया कि ये बिना इंटरनेट के संदेशों का आदान-प्रदान कर सकती है।