
Nirbhaya Case
नई दिल्ली। साढ़े सात साल के लंबे इंतजार के बाद आखिरकार वो दिन आ ही गया, जब निर्भया (Nirbhaya Case) और उसके परिवार को इंसाफ मिल गया। चारों दोषियों को एक साथ आज सुबह 5:30 बजे फांसी के फंदे पर लटकाया गया। यूं तो मरने से पहले हर अपराधी की आखिरी इच्छा (Last wish) पूछी जाती है, लेकिन दोषी विनय की मौत के साथ उसकी मां की इच्छा भी अधूरी ही रह गई। एक एजेंसी को दिए इंटरव्यू में विनय की मां (Vinay's Mother) ने कहा कि वो आखिरी बार बेटे को अपने हाथ की बनी पूड़ी, कचौड़ी और सब्जी खिलाना चाहती थी।
निर्भया केस काफी संजीदा होने की वजह से तिहाड़ जेल प्रशासन (Tihar Jail) की ओर दोषी की मां को खाना खिलाने की अनुमति नहीं दी गई थी। बताया जाता है कि आखिरी बार जब विनय की मां उससे मिली थी तो उसके चेहरे पर उम्मीद की एक झलक दिखी। उसे लग रहा था कि उसे बचा लिया जाएगा। इस सिलसिले में वकील ने भी काफी दांव-पेंच आजमाए थे, लेकिन कल रात आखिरकार कोर्ट (Court) ने सारी चीजें खारिज कर दी। बेटे को अंतिम समय पर भी खाना न खिला पाने को लेकर विनय की 50 वर्षीय मां को अफसोस हैं। इस बात को लेकर वो तिहाड़ जेल प्रशासन से नाराज भी नजर आई। उन्होंने कहा कि जेल प्रशासन ने कभी उन्हें अपने बेटे के लिए खाना नहीं ले जाने दिया।
इंटरव्यू में विनय की मां ने अपने नाम का खुलासा नहीं किया। वो नहीं चाहती हैं कि कोई उनका नाम जानें। उन्होंने ये भी कहा कि मौत का कोई भरोसा नहीं है। इस वक्त कोरोना की चपेट में आने से लोगों की जान जा रही है। इसलिए सब कुछ भगवान पर छोड़ देना चाहिए। मालूम हो कि 16 दिसंबर 2012 की रात दिल्ली में छह दरिंदों ने निर्भया से दुष्कर्म किया था। इन सभी आरोपियों में से एक ने जेल में खुदकुशी कर ली थी। जबकि दूसरा नाबालिग होने की वजह से तीन साल बाद छूट गया था। ऐसे में बाकी बचे चारों आरोपी मुकेश (32 साल), अक्षय (31 साल), विनय (26 साल) और पवन (25 साल) दोषी पाए गए।
Published on:
20 Mar 2020 08:36 am
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