12 दिसंबर 2025,

शुक्रवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

अगर घर पर है कोई मधुमेह का शिकार, या खुद हैं इससे बीमार, तो यह खबर है आपके लिए

रिसर्च में यह बात सामने आई कि टाइप-2 मधुमेह वाले लोगों में रिस्ट्रिक्टिव फेफड़े की बीमारी (आरएलडी) के विकसित होने का ज्यादा खतरा रहता है।

2 min read
Google source verification

image

Arijita Sen

Jul 15, 2018

Diabetes

अगर घर पर है कोई मधुमेह का शिकार, या खुद हैं इससे बीमार, तो यह खबर है आपके लिए

नई दिल्ली। मधुमेह से फेफड़े का गहरा संबंध है। सुनने में भले ही यह बात अचरज भरा लगता हो, लेकिन यह सच है। हाल ही में एक रिसर्च किया गया जिसके निष्कर्ष चौंकाने वाले थे। इस रिसर्च में जिन बातों का पता लगाया गया है वह मधुमेह के रोगियों के लिए काफी जानकार साबित हो सकती है।

रिसर्च में यह बात सामने आई कि जिन्हें डायबिटीज नहीं होती है उनकी तुलना में टाइप-2 मधुमेह वाले लोगों में रिस्ट्रिक्टिव फेफड़े की बीमारी (आरएलडी) के विकसित होने का ज्यादा खतरा रहता है। इसकी पहचान करने के लिए आप रोगी के सांस फूलने की विसंगति से कर सकते है।

ये भी पढ़ें:दुनियाभर के मुस्लिमों के लिए नई चुनौती दे गया खुदा का ये बंदा, कारनामा सुनने के बाद उड़ जाएंगे होश

जर्मनी के हेडेलबर्ग अस्पताल विश्वविद्यालय के स्टीफन कोफ ने इस बारे में कहा कि,'तेजी से सांस फूलना, आरएलडी व फेफड़ों की विसंगतियां टाइप-2 मधुमेह से जुड़ी हैं।'

इस बात का पता लगाने के लिए जानवरों पर कई शोध किए गए। जिसमें यह खुलासा किया गया कि रिस्ट्रिक्टिव फेफड़े की बीमारी और मधुमेह एक-दूसरे से संबंधित है।

रिसर्च से इस बात का पता चला कि आरएलडी एल्बूमिन्यूरिया के साथ जुड़ा हुआ है। एल्ब्यूमिन्यूरिया एक ऐसी स्थिति है, जिसमें पेशाब का एल्ब्यूमिन स्तर काफी बढ़ जाता है। यह फेफड़े की बीमारी और किडनी या गुर्दे की बीमारी से जुड़े होने का संकेत हो सकता है,जो नेफ्रोपैथी से संबंधित है। नेफ्रोपैथी-मधुमेह गुर्दे से जुड़ी हुई बीमारी है।

किए गए इस शोध के सभी निष्कर्षो को 'रेस्पिरेशन' नामक पत्रिका में पकाशित किया गया है। इसमें टाइप-2 मधुमेह वाले 110 मरीजों के आंकड़ों का विश्लेषण किया गया। इसमें से 29 मरीजों में हाल ही में टाइप-2 मधुमेह का पता चला था। 68 मरीज ऐसे थे,जिन्हें काफी पहले से ही मधुमेह था। 48 मरीजों को मधुमेह नहीं था।

विश्वविद्यालय के प्रोफेसर पीटर पी. नवरोथ का इस विषय में कहना है कि, 'हमें संदेह है कि फेफड़े की बीमारी टाइप-2 मधुमेह का देर से आने वाला परिणाम है।'