इंस्टीट्यूट फॉर ट्रांसलेशनल मेडिसिन एंड बायोटेक्नोलॉजी ( Institute for Translational Medicine and Biotechnology ) के डायरेक्टर वदिम तरासोव ने इस बात की जानकारी दी। रिपोर्ट के अनुसार, रूस ( Russia Claims Coronavirus Vaccine ) की सेचेनोव मेडिकल यूनिवर्सिटी द्वारा इस वैक्सीन का ट्रायल किया गया। 18 जून को पहले चरण में 18 वॉलंटियर्स के समूह पर इसका ट्रायल किया गया। इसके बाद 23 जून को वैक्सीन टेस्ट का दूसरा चरण शुरू हुआ, जिसमें 20 लोगों के समूह को वैक्सीनेट किया गया।
UK-China को छोड़ा पीछे?
वहीं, रूस के इस दावे के साथ ही सवाल उठ रहे हैं कि क्या सच में रूस ने वैक्सीन बनाकर चीन और ब्रिटेन को भी पीछे छोड़ दिया है। Sputnik के अनुसार रूस की गमलेई इंस्टीट्यूट ऑफ एमिडेमियोलॉजी एंड माइक्रोबायोलॉजी ने इस वैक्सीन को तैयार किया है। इस दवा का मानव शरीर पर भी ट्रायल करने का दावा किया गया है। रिसर्चर्स के मुताबिक, सभी स्टेज में वैक्सीन का ट्रायल सफल रहा है।
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छोटे समूह पर होती है जांच
विशेषज्ञों के मुताबिक, किसी भी वैक्सीन के पहले चरण में इंसानों के छोटे समूह पर उनकी सेफ्टी की जांच की जाती है। यह अलग-अलग समय पर अलग-अलग समूह पर हो सकती है। लेकिन, यह दवा पूरी तरह सेफ है, इसकी पुष्टि के लिए कई बार कई बार 10 से 15 साल भी लग सकते हैं। इसलिए, दवा के ट्रायल सालों तक चल सकते हैं। अमेरिका के हेल्थ एंड ह्यूमन सर्विस डिपार्टमेंट के मुताबिक, इंसानों पर दवा जांचने के लिए पहले चरण में 20 से 80 लोगों पर वैक्सीन को टेस्ट किया जाता है।
पहल चरण रहा सफल?
रिपोर्ट के अनुसार, इस दवा का नाम Gam-COVID-Vac Lyo है, इसका टेस्ट भी पहले ही चरण में हुआ है। इसके सेफ्टी, साइड इफेक्ट की जांच की गई है। रूस ने दावा किया है कि उनका पहला चरण सफल रहा है। रूस के स्वास्थ्य मंत्री के मुताबिक, देश में कोरोना वायरस की 17 वैक्सीन पर काम हो रहा है।
कब मिलेगी वैक्सीन?
यूनिवर्सिटी के इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल पैरासाइटोलॉजी के डायरेक्टर अलेक्जेंडर लुकाशेव के अनुसार वैक्सीन के डेवलपमेंट का प्लान शुरू हो गया है। रेगुलेटरी अप्रूवल के बाद दवा का प्रॉडक्शन शुरू किया जाएगा। सब कुछ ठीक रहा तो दो से तीन महीने में वैक्सीन का प्रॉडक्शन शुरू हो सकता है। हालांकि रूसी ट्रायल पर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं जिसे देखते हुए इसके अप्रूवल में देरी हो सकती है।