31 दिसंबर 2025,

बुधवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

केदारनाथ धाम के एक बड़े रहस्य से उठा पर्दा, फिर बड़े प्रलय के आसार

उत्तराखंड के हिमालय में हो रहे परिवर्तन के बारे में भी वैज्ञानिकों ने बड़ा खुलासा करते हुए चेतावनी दी थी।

2 min read
Google source verification

image

Priya Singh

May 21, 2018

scientist disclosed a mystery of kedarnath

केदारनाथ धाम के एक बड़े रहस्य से उठा पर्दा, फिर बड़े प्रलय के आसार

नई दिल्ली। वाडिया संस्थान के शोध में केदारनाथ धाम को लेकर एक बड़ा खुलासा किया है। इस शोध में उन्होंने बताया था कि केदारनाथ में 5 से 6 हजार साल पहले धान की फसल होती थी। और वहां पर चौड़ी पत्तियों वाली वनस्पतियों का जंगल भी था। इस संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. प्रदीप श्रीवास्तव के मुताबिक केदारनाथ क्षेत्र के 8 हजार साल के मौसम और स्थितियों के बारे में जानकारी जुटाई गई है। शोध बताता है कि केदारनाथ में क्षेत्र में कई बार ऐसी स्थिति आई की कि वहां पर बेहद गर्मी हो गई। इसका पता केदारनाथ क्षेत्र में मिले परागकण से जुड़े 122 सैंपल और कार्बन, नाइट्रोजन (मिट्टी की जांच) की आइसोटोप जांच के दौरान हुआ है।

डॉ. प्रदीप श्रीवास्तव के अनुसार जब आपदा आई थी, उसके बाद इलाके का पूरा अध्ययन किया गया था। इसके बाद कई संस्तुतियां की गईं थीं। इन संस्तुतियों में देवप्रयाग से लेकर सोनप्रयाग का इलाका बफर जोन बनाया जाना था। जहां पर यात्रियों को ठहराते हुए आगे भेजना था। वाडिया समेत दूसरे संस्थानों के वैज्ञानिकों ने चेताया है कि केदारनाथ में भारी निर्माण कार्य ठीक नहीं है। यहां पर लकड़ी जैसी कम वजन वाली चीजों से निर्माण करना उचित होगा। संवेदनशील जगहों पर भारी निर्माण कार्य उचित नहीं है। अभी तक माना जाता रहा था कि भारत में मानसून के लिए तिब्बत का पठार, नागपुर का पठार, गंगा मैदान में होने वाली होने वाली गर्मी हिंद और महासागर जिम्मेदार होता है।

वाडिया संस्थान के मुताबिक, अटलांटिक महासागर जब गर्म होता है, तो उसके कारण हिंद महासागर से उठने वाले मानसून की हवायें तेजी से उत्तरी दिशा की तरफ बढ़ती हैं। यही कारण है हिमालय के क्षेत्र में मानसून प्रभावित होता है। दूर से अटलांटिक महासागर के मानसून को प्रभावित करने को टेली कनेक्शन कहा जाता है। इसकी पुष्टि आईएमडी विभाग भी करता है। यही नहीं, अटलांटिक महासागर के गर्म और ठंडा होने से अलनीनो पर भी प्रभाव पड़ता है। और केदारनाथ एरिया में भी हजारों वर्ष पहले मौसम में परिवर्तन के लिए अटलांटिक महासागर जिम्मेदार रहा है। उत्तराखंड के हिमालय में हो रहे परिवर्तन के बारे में भी वैज्ञानिकों ने बड़ा खुलासा करते हुए चेतावनी दी थी। साथ ही उन्होंने बताया कि मौसम में हुए तेजी से बदलाव से यह अंदाजा लगाया जा रहा है कि आने वाला समय में काफी परिवर्तन होना संभव है। शोध में पता चला है कि पिछले 20 सालों में हिमालय के पर्यावरण में तेजी से बदलाव आए हैं। साथ ही बर्फबारी और बारिश का एक निश्चिच समय भी बदल गया है। बताया जा रहा है कि बर्फबारी और बर्फ के टिकने के समय में भी काफी परिवर्तन आया है।