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इस ब्लड ग्रुप के लोग हो जाएं “सावधान”, आपके खून का प्यासा है ये जीव

एक शोध के मद्देनजर, एक इक्जोडेस रिसिनस किलनी या 'भेड़ टिक' को डिश में रखा गया और वैज्ञानिकों ने दो मिनट तक इसकी गतिविधियों पर नजर रखी।

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Priya Singh

Jul 17, 2018

Ticks are more likely to attack blood group A

इस ब्लड ग्रुप के लोग हो जाएं "सावधान", आपके खून का प्यासा है ये जीव

नई दिल्ली। किलनी (टिक) छोटे परजीवी जानवर हैं जो स्तनधारियों, पक्षियों और कभी-कभी सरीसृपों एवं उभयचरों के शरीर पर रहकर उनके खून चूसकर जीते हैं। इन्हें 'कुटकी' और 'चिचड़ी' भी कहते हैं। ये बहुत से रोगों के वाहक भी हैं जैसे लाइम रोग (Lyme disease), Q-ज्वर, बबेसिओसिस, आदि। एक शोध में सामने आया है कि 'ए' रक्त समूह वालों को किलनी (टिक) द्वारा काटे जाने का जोखिम ज्यादा होता है। इसमें खटमल भी शामिल हैं, जो घातक लाइम बीमारी के कारक होते हैं। किलनी रक्त चूसने वाला परजीवी है, जो अक्सर लकड़ी में पाया जाता है और इसका परपोषी जीवाणु होता है। चेक गणराज्य में मर्साय विश्वविद्यालय में शोधकर्ताओं ने प्रयोगशाला में एक पेट्री डिश पर जीवाणुरहित फिल्टर पेपर पर 'ए', 'बी', 'एबी', व 'ओ' रक्त का एक नमूना गिराया।

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एक शोध के मद्देनजर, एक इक्जोडेस रिसिनस किलनी या 'भेड़ टिक' को डिश में रखा गया और वैज्ञानिकों ने दो मिनट तक इसकी गतिविधियों पर नजर रखी। डेली मेल की रपट के मुताबिक, नतीजों से पता चला कि 36 फीसदी किलनियों ने 'ए' रक्त समूह को पसंद किया, जबकि 15 फीसदी परजीवी रक्त समूह 'बी' की तरफ आकर्षित हुए।

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मिली जानकारी के अनुसार, विश्वविद्यालय की प्रमुख शोधकर्ता एलेना जाकोवसका ने कहा, "शोध से पता चलता है कि रक्त समूह इक्जोडेस रिसिनस किलनी में खाने को तरजीह देने का एक कारक हो सकता है।" उन्होंने कहा, "किलनियों के संभावित पंसद की जानकारी का इस्तेमाल विशेष रक्त समूह के लोगों को काटने के जोखिम को कम करने में किया जा सकता है।" आपको जानकारी के लिए बता दें कि इनका प्रकोप सर्दियों में आम है, जबकि जाड़े के अंत और बसंत के प्रारम्भ यानि (फरवरी/मार्च) में इनकी संख्या अधिकतम स्तर पर देखी जाती है।

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