scriptइस गांव में नहीं करते दूध का कारोबार, फ्री में दूध बांटते हैं लोग, ये है दिलचस्प वजह | unique village where people distribute milk for free | Patrika News

इस गांव में नहीं करते दूध का कारोबार, फ्री में दूध बांटते हैं लोग, ये है दिलचस्प वजह

locationनई दिल्लीPublished: Dec 09, 2020 08:43:38 am

Submitted by:

Shaitan Prajapat

आज के इस महंगाई के दौर में हर चीजें के दाम आसमान में है। कहीं पानी तक मुफ्त में नहीं मिलता है। लेकिन अपने देश में एक जगह ऐसी भी जहां पर दूध को बेचा नहीं जाता है। आपको यह जानकार हैरानी होगी कि अगर आप किसी से दूध लेते है तो वह आपको बिल्कुल फ्री में मिलेगा।

unique village

unique village

नई दिल्ली। आज के इस महंगाई के दौर में हर चीजें के दाम आसमान में है। कहीं पानी तक मुफ्त में नहीं मिलता है। लेकिन अपने देश में एक जगह ऐसी भी जहां पर दूध को बेचा नहीं जाता है। आपको यह जानकार हैरानी होगी कि अगर आप किसी से दूध लेते है तो वह आपको बिल्कुल फ्री में मिलेगा। जी हां, हम बात कर रहे है मध्य प्रदेश के बैतूल जिले के एक गांव की। इस गांव में मवेशी पालन दूध को बेचते नहीं बल्कि फ्री में बांटते है। करीब तीन हजार की आबादी वाले बैतूल जिले के चूड़िया गांव में लोग दूध का व्यापार नहीं करते है। यह परपंरा सदियों से चली आ रही है जो आज भी बरकरार है।


यह भी पढ़े :—शौक ने बना दिया मशहूर, अब गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में चाहती है नाम

 


दूध का कारोबार से होगा नुकसान
चूड़िया गांव के लोग दूध का व्यापार नहीं करते, बल्कि घर में उत्पादित होने वाले दूध का अपने परिवार में उपयोग करते हैं। जरूरत से अधिक उत्पादित होने वाले दूध को जरूरतमंदों को मुफ्त में देते हैं। इस गांव में कोई भी व्यक्ति दूध बेचने का काम नहीं करता। यहां दूध न बेचना परंपरा बनी हुई है। अब तो यह धारणा है कि यदि दूध का कारोबार करेंगे तो नुकसान होगा।

क्या है वजह
स्थानिय लोगों को कहना है कि उन्होंने अपने पूर्वजों से सुना है कि चिन्ध्या बाबा ने ग्रामीणों को सीख दी। बाबा ने कहा था कि दूध और उससे निर्मित सामग्री को बेचना पाप है, इसलिए गांव में कोई दूध नहीं बेचेगा और लोगों को दूध मुफ्त में दिया जाएगा। संत चिन्ध्या बाबा की बात पत्थर की लकीर बन गई और तभी से गांव में दूध मुफ्त में मिल रहा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि तीन हजार की आबादी वाले गांव में 40 प्रतिशत आबादी आदिवासी वर्ग की है, वहीं 40 प्रतिशत लोग ग्वाले हैं, जिस वजह से यहां बड़ी संख्या में मवेशी पालन होता है। इसके अलावा यहां अन्य जाति वर्ग की आबादी 20 प्रतिशत है।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो