पढ़ाई में कमजोर होने के बावजूद वरूण ने गाड़े सफलता के झंडे, मेहनत के बलबूते जीता फोटोग्राफर ऑफ द ईयर अवॉर्ड
- ह्यूमन्स ऑफ बॉम्बे से खास बातचीत में वरूण ( Varun ) ने बताया कि वह पढ़ाई में अच्छे नहीं थे। ऐसे में एक कमजोर स्टूडेंट से लेकर नेशनल जियोग्राफिक नेचर फोटोग्राफर ऑफ द इयर के खिताब जीतने तक का सफर काफी उतार- चढ़ाव से भरा रहा।

नई दिल्ली। अक्सर आपने कहीं न कहीं ये कहावत जरूर सुनी होगी कि अगर आप में कुछ अलग करने की चाह है तो आपके लिए राह खुद बनती चली जाएगी। लेकिन ये तय आपको करना है कि आप कितने लंबे वक़्त तक इस रास्ते में पड़ने वाली चुनौतियों का सामना करते हैं क्योंकि अपनी मंजिल तक पहुंचने के लिए कई पड़ाव तय करने पड़ते हैं।
कुछ ऐसी ही संघर्षो से भरी कहानी रही हैं नेशनल ज्योग्राफिक नेचर फोटोग्राफर ऑफ द इयर ( National Geographic Nature Photographer Of The Year ) वरूण आदित्य की। वरूण आदिय की पूरी कहानी ह्यूमन ऑफ बॉम्बे ( Humans Of Bombay ) ने अपने इंस्टाग्राम पेज से शेयर किया है।
ह्यूमन्स ऑफ बॉम्बे से बातचीत में वरूण ( Varun ) ने बताया कि वह पढ़ाई में कमजोर थे और उन्हें बाकी स्टूडेंट के मुकाबले हर चीज सिखने में उन्हें काफी टाइम लगता था ऐसे में एक कमजोर स्टूडेंट से लेकर नेशनल जियोग्राफिक नेचर फोटोग्राफर ऑफ द इयर के खिताब हासिल करने तक का उनका सफर काफी उतार- चढ़ाव से भरा हुआ रहा।
वरूण ने बताया कि मुझे पढ़ाई वाली चीज सिखने में काफी दिक्कत होती थी ऐसे में, मैं अपनी फोटो वाली किताब खोलकर उसे देखना ज्यादा पसंद करता था। मैं जब स्कूल में था तो मैं खुश नहीं था क्योंकि पढ़ाई में कमजोर होने के कारण मेरे अंदर धीरे-धीरे आत्मविश्वास की कमी हो गई थी।
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एक तरफ लाइफ में यह सब चल रहा था। हालांकि मेरी फैमिली में कभी कोई इस बात से परेशान नहीं हुए कि मेरा बेटा पढ़ने में कमजोर है, उसके एग्जाम में नंबर कम आते है या ग्रेड कम आते हैं। एक बार की बात है हम सब शिमला घूमने गया तो मेरे पापा ने पूछा क्या तुम्हें चिड़ियां देखना पसंद है।
साल 2011 में मैंने अपने iPhone से फोटो क्लिक करना शुरु किया। कई बार फोटो क्लिक करने के चक्कर मैं खाना भी नहीं खाता था और तीन महीने में 300 पाउंड बचाकर मैंने एक DSLR कैमरा खरीदा ताकि थोड़ी फैमिली वालों की हेल्प हो जाए।
इसके बाद मैंने क्लिक किए गए फोटो को सोशल मीडिया पर शेयर करना शुरु किया। मेरी फोटोग्राफी में दिलचस्पी देखने के बाद मेरी फैमिली ने मुझे कहा तुम यही कोर्स कर लो। मैंने जब एमबीए कर लिया उसके बाद मैंने सोचा फ्रोफेशनल फोटोग्राफर्स का कोर्स कर लेता हूं।
इसी का नतीजा रहा कि 2013 में मैने नेशनल जियोग्राफिक का खिताब जीता और अमेरिकी फोटोग्राफर माइकल डेलफोर्ड के साथ पनामा और कोस्टा रिका गया। इसके बाद मेरे माता-पिता ने मुझे कहा कि तुम अपने फोटोग्राफी में ही करियर क्यों नहीं बना लेते।
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साल 2016 में, मैंने नेट जियो फ़ोटोग्राफ़र ऑफ द ईयर जीता। इस अवार्ड ने मेरी जिंदगी को पूरी तरह बदलकर रख दिया। इसे जीतने के बाद मेरे अंदर गजब का आत्म विश्वास आया और यहां से मैं बना गया एक वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर ( Wildlife Photographers )।
वरूण ने बताया कि उसने कभी भी पैसे कमाने के इरादे से यह फील्ड नहीं चुना था बल्कि मैं बस दुनिया को नेचर से प्यार कराना चाहता था। एक यूजर ने वरूण की कहानी हमें प्रेरणादायक बताते हुए कहा कि आपने अपनी फोटोग्राफी को लेकर इतने जुनूनी थे कि कई अड़चने आने के बाद भी आपने कभी हार नहीं मानी।
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