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क्या है सीक्रेट हैंड सिग्नल, जिसकी मदद से बिना बोले सिर्फ इशारों में मांगी जा सकती है मदद

Published: Mar 10, 2021 10:04:06 am

Submitted by:

Ashutosh Pathak

Highlights. – सिग्नल फॉर हेल्प के जरिए आप मुसीबत में फंसे होने का संकेत सामने वाले को दे सकते हैं – लॉकडाउन, वर्क फ्रॉम होम या होम आइसोलेशन के दौरान घरेलू हिंसा के मामलों में बढ़ोतरी हुई – कनाडा की संस्था कैनेडियन वुमेंस फाउंडेशन ने सिग्नल फॉर हेल्प की शुरुआत की है
 

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नई दिल्ली।

सिग्नल फॉर हेल्प। यह शब्द अब तक अगर आपने नहीं सुना, इस इशारे को नहीं देखा और जाना, तो यकीन मानिए कि कौन शख्स मुसीबत में है और उसे आपकी मदद की दरकरार है, नहीं जान सकेंगे। यही नहीं, आप खुद भी किसी भी मुसीबत में हैं, मगर स्थिति ऐसी है कि उस दौरान बोलकर अपनी परेशानी किसी को बता नहीं सकते, तो मदद के लिए दिया गया यह संकेत आपके काम आ सकता है। तो आइए जानते हैं क्या है सिग्नल फॉर हेल्प। किसने इसे शुरू किया। क्यों इन दिनों यह ट्रेंड में है और जब इसकी शुरुआत हुई।
दरअसल, दुनियाभर में बढ़ते घरेलू हिंसा के मामलों पर लगाम कसने के लिए बहुत से उपाय किए गए हैं। कई मामलों में सफलता मिली भी, मगर कुछ में अपेक्षित परिणाम सामने नहीं आए। शायद यही वजह है कि पूरी तरह इस पर नियंत्रण नहीं हो सका है। हालांकि, ऐसा भी नहीं है कि घरेलू हिंसा सिर्फ भारत में है और केवल महिलाएं ही इसकी शिकार हैं। हां, यह जरूर है कि भारत में घरेलू हिंसा अशिक्षित के साथ-साथ शिक्षित वर्ग में भी बड़े पैमाने पर है। वहीं, महिलाओं के साथ-साथ पुरूष, बुजुर्ग और बच्चे, सभी इसके शिकार होते रहते हैं।
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लॉकडाउन में अवसाद और आक्रोश की वजह से हिंसा के मामले बढ़े
पिछले साल कोरोना महामारी के दौरान सभी देशों में लॉकडाउन लगा। पहला, बीमारी का खौफ, दूसरा आर्थिक तौर पर बहुत से लोग टूट गए। ऐसे ही कई और मुसीबतों से लोग इस बीच रूबरू हो रहे थे। अनिश्चित भविष्य को देखते हुए लोगों में अवसाद और आक्रोश जैसी स्थिति बढ़ रही थी। घर के भीतर आपस में ही एक दूसरे पर चिल्लाते हुए गुस्से का गुबार निकाल रहे थे। बहुत से लोग खुद को नियंत्रित कर पा रहे थे, जबकि कुछ मामलों में यह हिंसा में बदल रहा था। इस स्थिति में बहुत से लोगों ने आत्महत्या भी कर ली, तो कुछ लोगों की घर के ही करीबी सदस्य ने हत्या कर दी।
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जिंदगी पटरी पर लौटर रही, मगर हालात अब भी ठीक नहीं
लॉकडाउन खत्म हुआ। तमाम देशों में कोरोना टीकाकरण अभियान की शुरुआत हो चुकी है और जिंदगी धीरे-धीरे पटरी पर लौट रही है। मगर हालात पूरी तरह ठीक नहीं हुए हैं। इसलिए ज्यादातर लोग अब भी वर्क फ्रॉम होम कांसेप्ट पर ही काम कर रहे हैं। यानी फुलटाइम रहना घर पर है। ऐसे में घरेलू हिंसा के मामले कुछ कम जरूर हुए, मगर खत्म नहीं हुए।
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कनाडा की संस्था ने शुरू किया सिग्नल फॉर हेल्प
अब आते हैं अपने असल मुद्दे पर, यानी सिग्नल फॉर हेल्प, जिसका मकसद आपको जागरूक करना है मदद मांगने या मदद करने के लिए। घरेलू हिंसा से निपटने के लिए लोगों ने कई के उपाय किए हैं। इसमें एक है सिग्नल फॉर हेल्प। इसे कनाडा की संस्था कैनेडियन वुमेंस फाउंडेशन ने शुरू किया। सिग्नल फॉर हेल्प के जरिए ही यह संस्था दुनियाभर में घरेलू हिंसा की शिकार महिलाओं की मदद की कोशिश कर रही है।
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वीडियो कॉल के जरिए भी सामने वाले से इशारे से मांग सकते हैं मदद
आमतौर पर घरेलू हिंसा का शिकार व्यक्ति मदद के लिए तुरंत नहीं तो बाद में अपनी बात बता सकता है। लॉकडाउन से पहले भी ऐसा होता रहा है। लेकिन कोरोनाकाल में लॉकडाउन के दौरान जब सभी अपने-अपने घरों में बंद थे, तब हिंसा से पीडि़त व्यक्ति अपनी बात नहीं पहुंचा सकता था। फिर लोग पड़ोसियों, दोस्तों, रिश्तेदारों से बातचीत के लिए फोन कॉल के साथ-साथ वीडियो कॉल का इस्तेमाल भी करने लगे। मगर घर में रहते हुए भी आप खुद पर हुई हिंसा सामने वाले को बोलकर बता नहीं सकते, क्योंकि हिंसा करने वाला शख्स अभी भी घर में ही आपकी सारी बातें सुन रहा है और संभव है कि फोन रखने के बाद आप पर हिंसा दोबारा शुरू हो जाए। ऐसी स्थिति से निपटने के लिए ही सिग्नल फॉर हेल्प संकेत का इजाद हुआ। सिग्नल फॉर हेल्प के जरिए आप सामने दिख रहे शख्स से इशारे में अपनी परेशानी बताकर मदद की अपील कर सकते हैं। पल भर का यह इशारा बिना बोले आपकी परेशानी का संकेत सामने वाले को दे सकता है। इसके जरिए सामने वाला शख्स भी चाहे वह वीडियो कॉल पर ही आपके साथ क्यों न हो, जान जाएगा कि आप घरेलू हिंसा से पीडि़त हो और आपको मदद की जरूरत है।
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कैसे करें सिग्नल फॉर हेल्प के लिए इशारा

– अपना हाथ कैमरे के सामने लाएं।
– उसे पूरा खोले।
– अंगूठे को अंदर की ओर (हथेली पर) मोड़ें।
– मुठ्ठी को मोडक़र बंद कर लें।
जिससे मदद मांग रहे हैं, उसे भी सिग्नल फॉर हेल्प का मतलब जरूर पता हो
असल में, यह बहुत जरूरी है कि जब आप किसी के सामने यह इशारा करें, तो उसे इसका मतलब पता होना चाहिए। अगर नहीं पता, तो वह आपकी बात नहीं समझ सकेगा और उलझन में पड़ जाएगा। ऐसे में संस्था इसे वायरल भी कर रही है, जिससे यह ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंच सके। इसके अलावा, जिस एक और जरूरी बात का ध्यान रखना होगा वह यह कि अगर आप सिग्नल फॉर हेल्प के बारे में जानते हैं, तो संभवत: जो व्यक्ति आप पर हिंसा कर रहा है, उसे भी इसकी जानकारी होगी, क्योंकि अब बहुत से लोगों तक यह संकेत पहुंच चुका है। ऐसे में इसका इस्तेमाल जब भी करें, तो यह जरूर देख लें कि आप उस समय सुरक्षित जगह पर हैं और हिंसा करने वाला व्यक्ति आपके इस इशारे को देख नहीं रहा है।
केलिन ने मैसेज के जरिए भी जरूरी मदद पहुंचाने का ट्रेंड शुरू किया
लॉकडाउन के दौरान घरेलू हिंसा के शिकार लोगों की परेशानियों को समझना और उन तक जरूरी मदद पहुंचाने के लिए अलग-अलग ट्रिक अपनाई गई। ऐसी ही एक ट्रिक केलिन ब्लैकबर्न नाम की महिला ने अपनाई। उन्होंने अपने फेसबुक अकाउंट से एक मैसेज वायरल किया कि यदि इसका इस्तेमाल करते हुए आप अपनी परेशानी मुझे बताना चाहें, तो मैं आप तक मदद पहुंचा सकती हूं। केलिन ने जो पोस्ट लिखी, उसके मुतातिबक, अगर आप आइसोलेशन में हैं और किसी ऐसे शख्स के साथ रह रहे हैं, जो आपके साथ हिंसा या बुरा बर्ताव कर रहा है तो आप मुझे एक संदेश भेजिए। उसमें आप पूछिए कि क्या मैं अभी भी अपना मेकअप बेच रही हूं। अगर आप मुझे विशेष रूप से लिक्विड आइलाइनर के बारे में पूछेंगी, तो मैं शिपिंग के लिए आपसे आपका पता मांगूगी और आप तक कानूनी मदद पहुंचा सकूंगी। यकीन मानिए आप अकेली नहीं हैं।
बार और पब में फंस जाएं तो कोड वर्ड में मांग सकती हैं मदद
बहरहाल, मुसीबत में फंसे लोगों तक मदद पहुंचाने के लिए पहले भी कई प्रयास हुए हैं। बार और पब में तो महिला टॉयलेट में सीक्रेट मैसेज के जलिए निर्देश लिखे होते हैं। उदाहरण के तौर पर मान लें कि आप अपने पुरूष दोस्त के साथ डेट पर हैं। सामने वाला व्यक्ति आपको बिना वजह परेशान कर रहा है, तो आप बार के पास जाकर बार अटेंडर से खास ड्रिंक मांग सकती है। ज्यादातर जगहों पर इसका नाम एंजेल शॉट रखा गया है। कुछ जगहों पर यह भी होता है कि आप बार अटेंडर से पूछें कि एंजेला कहां है? जैसे ही इस कोड वर्ड का इस्तेमाल होगा, वहां का स्टॉफ अलर्ट मोड पर आ जाएगा। आपकी जरूरत मुताबिक आपकी मदद करेगा और वहां से सुरक्षित बाहर निकाल देगा। हालांकि, अलग-अलग जगहों पर ये कोड अलग-अलग हो सकते हैं। बेहतर होगा पहले ही वहां के सुरक्षा कोड को अटेंडर या मैनेजमेंट से पता कर लें।