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संघर्षों व अभावों के बीच बीता बचपन, नहीं मानी हार, पहले पुलिस उप निरीक्षक और बाद में भारतीय विदेश सेवा के अधिकारी बने

कहते हैं यदि लगन एवं मेहनत से कोई काम किया जाएं तो सफलता मिलने की संभावना भी कई गुणा बढ़ जाती है। चाहे जीवन में कितने ही संघर्ष या बाधाएं आएं लेकिन मन में यदि संकल्प एवं दृढ़ इच्छाशक्ति हो तो सारी बाधाओं को पार कर सफल बना जा सकता है। कुछ ऐसी ही कहानी है कि राजस्थान के पाली जिले के सोजत तहसील के ढूंढा लांबोड़ी निवासी अमराराम गुर्जर की। इटली के रोम स्थित भारतीस दूतावास में डिप्टी एम्बेसडर के पद पर कार्यरत भारतीय विदेश सेवा के अधिकारी अमराराम गुर्जर ने राजस्थान पत्रिका के साथ विशेष बातचीत में अपनी पारिवारिक पृष्ठभूमि से लेकर विभिन्न मुद्दों पर बात की। प्रस्तुत हैं बातचीत के प्रमुख अंश:

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भारतीय विदेश सेवा के अधिकारी अमराराम गुर्जर

भारतीय विदेश सेवा के अधिकारी अमराराम गुर्जर

अमराराम गुर्जर का बचपन अभावों एवं संघर्षों मेंं बीता। कृषक परिवार से आने वाले गुर्जर ने अपने परिवार के साथ खेती में भी हाथ बंटाया। लेकिन उनकी सफलता में आर्थिक चुनौतियां बाधक नहीं बनीं। वे पहले पुलिस उप निरीक्षक पद पर चयनित हुए और पुलिस विभाग में रहते हुए यूपीएससी की परीक्षा दी और भारतीय विदेश सेवा के अधिकारी बने। गुर्जर समाज के वे पहले भारतीय विदेश सेवा के अधिकारी है। वर्तमान मेंं गुर्जर इटली के रोम स्थित भारतीस दूतावास में डिप्टी एम्बेसडर के पद पर कार्यरत हैं। निश्चित ही अमराराम गुर्जर की कहानी उन युवाओं के लिए प्रेरणादायक है जो अक्सर अपने परिवार की माली हालत का रोना रोते रहते हैं। हर युवा को उनसे सीखना चाहिए कि मेहनत से उन चुनौतियों को मात दी जा सकती है। एक स्वयंपाठी विद्यार्थी के रूप में बीए की शिक्षा हासिल करना और फिर सेवा में रहते भारतीय विदेश सेवा तक का सफर निश्चित ही प्रेरणादायक है।

सवाल: पुलिस उप निरीक्षक से भारतीय विदेश सेवा के अधिकारी तक का सफर किस तरह से देखते हैं?
गुर्जर: पुलिस उप निरीक्षक के रूप में वर्ष 2006-07 में राजस्थान के जयपुर के बनीपार्क, झोंटवाड़ा एवं श्यामनगर पुलिस थानों में सेवाएं दीं। प्रशिक्षण के दौरान ही यूपीएससी की तैयारी की। साल 2006 में पहले प्रयास में इंटरव्यू तक पहुंचा और साल 2007 में दूसरे प्रयास में अखिल भारतीय स्तर पर 140 वीं रैंक पाकर आईएफएस अधिकारी बना।

सवाल: अब तक किन-किन देशों में पदस्थापित रहे और क्या अनुभव रहा?
गुर्जर: सोलह साल के करियर में कई देशों में सेवा करने का अवसर मिला। 2010 से 2012 तक मिस्र की राजधानी काहिरा, साल 2012 से 2016 तक ओमान की राजधानी मस्कट, 2016 से 2020 तक पुर्तगाल की राजधानी लिस्बन और जनवरी 2023 से इटली की राजधानी रोम में भारतीय दूतावास में डिप्टी एम्बेसडर पद पर कार्यरत हूंं। कुछ समय के लिए विदेश मंत्रालय भारत सरकार नई दिल्ली में डायरेक्टर ईएण्डएसए के पद पर सेवाएं दीं।

सवाल: कर्नल किरोड़ीसिंह बैंसला के संघर्ष को कितना महत्वपूर्ण मानते हैं?
गुर्जर: कर्नल किरोड़ीसिंह बैंसला ने वर्ष 2008 में प्रयास शुरू किया। उस समय तक मेरा हालांकि आईएफएस में चयन हो चुका था। लेकिन निश्चित ही समाज के लोगों को फायदा मिला है। पहले गुर्जर समाज में इतनी जागरुकता नहीं थी। समाज के लिए किया गया उनका संघर्ष सराहनीय है। उनके संघर्ष की बदौलत निश्चित ही समाज में जागरुकता का संचार हुआ है।

सवाल: यूपीएससी को करियर के रूप में चुनने वाले विद्यार्थियों के लिए आप क्या कहना चाहेंगे? सिविल सर्विस परीक्षा के लिए किस तरह तैयारी करनी चाहिए?
गुर्जर: मैंने बहुत अभावग्रस्त जीवन जीया है। बहुत संघर्ष किया। आज की जनरेशन मेरे हालात से काफी अलग है।अब परिस्थितियां काफी बदल चुकी हैं। आजकल आर्थिक समस्या कम है। सुविधाएं अधिक हो गई है। इन्टरनेट पर सामग्री भरी पड़ी है। तकनीकी से हालात खूब बदल चुके हैं। गाइडेंस की कोई कमी नहीं है। रिसोर्स मेटेरियल भी खूब है। किताबें उपलब्ध है।

सवाल: सोशल मीडिया को कितना मददगार मानते हैं? सिविल सेवा के लिए तैयारी का स्वरूप किस तरह होना चाहिए?
गुर्जर: जब तक सफलता नहीं मिल जाएं तब तक सोशल मीडिया से दूर रहें। सोशल मीडिया में अनावश्यक समय खराब करना है। सोशल मीडिया एक तरह की लत है। इससे थोड़ा दूर रहकर इन्टरनेट से जुड़कर पढऩा है। हमें इंटरनेट पर खूब चीजें मिल जाती हैं। अगर पहली बार पर्रीक्षा दें तो गलतियों से सीखना चाहिए।

सवाल: नई पीढ़ी के लिए क्या कहना चाहेंगे?
गुर्जर: विद्यार्थियों को लक्ष्य लेकर चलना चाहिए। कड़ी मेहनत से मंजिल मिलेगी। शिक्षा ही एक ऐसा साधन है जिसके माध्यम से हम सशक्त हो सकते हैं।

सवाल: इटली एवं भारत के बीच व्यापार की मौजूदा स्थिति क्या हैं?
गुर्जर: दोनों देशों में बहुत कुछ संभावनाए हैं। दोनों देशों के बीच व्यापार खूब बढ़ा है। करीब 15 बिलियन डॉलर का व्यापार है। 10 बिलियन डालर हम निर्यात करते हैं। वहीं पांच बिलियन डॉलर के आसपास आयात कर रहे हैं। इटली यूरोप की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था है। वहीं भारत दुनिया की पांचवी बड़ी अर्थव्यवस्था है। दोनों देशों के बीच विभिन्न क्षेत्रों में व्यापार की भरपूर संभावनाएं हैं।

सवाल: मौजूदा समय में भारत एवं इटली के संबंध कैसे हैं?
गुर्जर: हाल के वर्षों में भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और इटली की प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी के नेतृत्व में भारत और इटली के बीच द्विपक्षीय संबंधों में तेजी देखी गई है। पिछले कुछ समय से दोनों देशों के संबंध प्रगाढ़ हुए हैं। राजनीतिक संबंध भी मजबूत बने हैं। भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इटली की यात्रा की। वहीं मार्च 2023 को भारत और इटली के बीच राजनयिक संबंधों की स्थापना की 75 वीं वर्षगांठ की पृष्ठभूमि में इटली की प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी ने भारत की अपनी पहली राजकीय यात्रा की। इस दौरान दोनों देशों ने हरित अर्थव्यवस्था, ऊर्जा सुरक्षा, रक्षा सह-उत्पादन और सह-नवाचार को बढ़ावा देने पर सहमति व्यक्त की। यात्रा का प्रमुख परिणाम द्विपक्षीय संबंधों को रणनीतिक साझेदारी के स्तर तक बढ़ाना था। जी-7 शिखर सम्मेलन के समानांतर इतालवी प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी ने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच रक्षा, वाणिज्य, व्यापार और निवेश को बढाने एवं हिंद-प्रशांत क्षेत्र में पारस्परिक सहयोग को बढ़ाने पर व्यापक चर्चा की। भारत व इटली के बीच सांस्कृतिक संबंध भी मजबूत है।

सवाल: भारत एवं इटली के बीच द्पिक्षीय संबंधों को और मजबूत करने के लिए क्या प्रयास करने की जरूरत है?
गुर्जर: भारतीय प्रधानमंत्री मोदी एवं इतालवी प्रधानमंत्री मेलोनी के नेतृत्व में भारत और इटली के बीच द्विपक्षीय संबंधों में भविष्य में और अधिक तेजी से बढऩे की सम्भावना है। भारत और इटली संयुक्त उद्यम, अनुसंधान और विकास, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, स्वच्छ प्रौद्योगिकी, नवीकरणीय ऊर्जा, सूचना और संचार प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य सेवा, एयरोस्पेस, शिक्षा और सांस्कृतिक विरासत पर सहयोग को गहरा करने पर जोर दे रहे हैं। भारत और इटली के बीच रणनीतिक साझेदारी की अद्वितीय संभावना को समझते हुए भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और इटली की प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी ने नवम्बर 2024 को ब्राजील के रियो में जी-20 शिखर सम्मेलन में अपनी बैठक के दौरान विभिन्न मुद्दों पर गति देने का निर्णय किया था। कृषि उत्पाद और मशीनरी, रासायनिक-फार्मास्यूटिकल्स, लकड़ी और फर्नीचर, महत्वपूर्ण और उभरती हुई प्रौद्योगिकियों, खाद्य प्रसंस्करण, पैकेजिंग और कोल्ड चेन, हरित प्रौद्योगिकियों जैसे उच्च क्षमता वाले क्षेत्रों में आगे बढऩे की बात कही गई। विज्ञान, प्रौद्योगिकी, आईटी, इनोवेशन, स्टार्ट-अप, दूरसंचार, एआई और सेवाओं के डिजिटलीकरण जैसे क्षेत्रों में साझेदारी को मजबूत करने की दिशा में काम किया जाएगा। इतालवी अंतरिक्ष एजेंसी (एएसआई) और इसरो के बीच सहयोग बढ़ाने की दिशा में भी कार्य बढ़ेगा।

सवाल: भारत को इटली से किस क्षेत्र में सीखने की जरूरत है?
गुर्जर: वर्तमान में भारत को तकनीकी चाहिए। दुनिया में इटली के पास बेहतरीन तकनीकी है। दुनिया में फैशन एवं डिजाइन में इटली बेहतरीन काम कर रहा है। रोम में ढाई हजार साल पुरानी इमारतें हैं। ऐसे में विरासत स्थलों और इमारतों के संरक्षण एवं पुनरुद्धार पर द्विपक्षीय सहयोग को और मजबूत बनाया जा सकता है।