28 दिसंबर 2025,

रविवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

कर्नाटक के ऐतिहासिक स्मारक उपेक्षा के शिकार, काकती में रानी चेन्नम्मा का किला लगभग विलुप्त की कगार पर

कित्तूर के स्मारकों को संरक्षण की दरकार, अन्य कई स्मारक भी दयनीय स्थिति में

2 min read
Google source verification

कर्नाटक के ऐतिहासिक स्मारक उपेक्षा के शिकार है। पर्याप्त ध्यान न दिए जाने के चलते स्मारक अपना अस्तित्व खोते जा रहे हैं। कई स्मारक क्षतिग्रस्त हो चुके हैं और जीर्णोद्धार की जरूरत है। इतिहासविज्ञों का कहना है कि यदि इन्हें संरक्षित करने के लिए आवश्यक उपाय नहीं किए गए तो आने वाले दिनों में ये भी केवल स्मृति बनकर रह जाएंगे और आने वाली पीढिय़ां इन्हें केवल फोटो और वीडियो रिकॉर्डिंग में ही देख पाएंगी।

कई जगह अतिक्रमण
कित्तूर के किले की दीवारें कुछ स्थानों पर कमजोर पडऩे लगी हैं। लोग बड़ी संख्या में किले को देखने आते हैं। कुछ स्थानों पर अतिक्रमण हो चुका है। इससे पुरातात्विक संरचना के अस्तित्व को खतरा पैदा हो रहा है। स्मारक खंडहर की स्थिति में है। इसलिए इसके जीर्णोद्धार के लिए उपाय शुरू करने की आवश्यकता है। इसी तरह देशनूर में स्थित निरंजिनी महल जो कित्तूर साम्राज्य की दूसरी राजधानी थी, अब खराब हालात में हैं और कभी भी ढह सकती है। कित्तूर के नौवें शासक मल्लारुद्रसरजा ने कश्मीर की एक मुस्लिम महिला नीलम से विवाह किया था और इस महल का निर्माण कराया था। कित्तूर के कलमठ स्वामीजी ने उनका नाम बदलकर निरंजिनी रख दिया था और महल का नाम भी उन्हीं के नाम पर रखा गया।

विकास कार्य केवल दिखावा
काकती में रानी चेन्नम्मा का किला और घर भी लगभग विलुप्त हो चुका है। किले को बहाल करने और चेन्नम्मा के घर को संग्रहालय में बदलने की मांग अभी तक पूरी नहीं हुई है। कित्तूर में राजाओं की समाधियों और बैलहोंगल में रानी चेन्नम्मा की समाधि को विकसित करने की जरूरत है। पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए रानी की समाधि को राष्ट्रीय स्मारक बनाने की मांग भी की जाती रही है।

ऐतिहासिक स्थलों की खुदाई
इतिहासकारों ने सुझाव दिया कि कित्तूर साम्राज्य के इतिहास से संबंधित ऐतिहासिक स्थानों की खुदाई की जानी चाहिए तथा रानी चेन्नम्मा की जानकारी को देश भर की इतिहास की पुस्तकों में शामिल किया जाना चाहिए।

केवल रोशनी व सजावट पर्याप्त नहीं
स्थानीय लोगों का कहना है कि कित्तूर उत्सव के दौरान किले और वहां जाने वाली सड़कों पर सिर्फ रोशनी की व्यवस्था और सजावट की जाती है। यह पर्याप्त नहीं है। रानी चेन्नम्मा की अंग्रेजों पर विजय के 200 वें वर्ष के उपलक्ष्य में कित्तूर साम्राज्य से संबंधित सभी स्मारकों का संरक्षण किया जाना चाहिए तथा जीर्णोद्धार कार्य एक वर्ष में पूरा किया जाना चाहिए।

गौरवशाली इतिहास झलकता है स्मारकों से
कर्नाटक के बेलगावी में निवास कर रहे राजस्थान मूल के मंगलाराम चौधरी कोटड़ी कहते हैं, स्मारकों के गौरवशाली इतिहास को भुलाया नहीं जा सकता है। ऐतिहासिक स्थल आगंतुकों को देशभक्त बनने और अपनी मातृभूमि से प्रेम करने के लिए प्रेरित करते हैं।