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आत्मविकास का अवसर: श्रवण, साधना और संस्कारों की त्रिवेणी है चातुर्मास

साध्वी हेमगुणाश्री, साध्वी चैतन्य रत्नाश्री और साध्वी कृपानिधिश्री इन दिनों चातुर्मासार्थ हुब्बल्ली में विराजित है। चातुर्मास के पावन अवसर पर साध्वी हेमगुणाश्री ने राजस्थान पत्रिका के साथ विशेष बातचीत में धार्मिक जीवनशैली, युवाओं की भागीदारी, मोबाइल के प्रभाव, जैन तत्वज्ञान व स्त्री-शक्ति के सशक्तिकरण जैसे विविध विषयों पर विस्तार से बात की। प्रस्तुत है इस प्रेरणादायी संवाद के प्रमुख अंश:

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आत्मविकास का अवसर: श्रवण, साधना और संस्कारों की त्रिवेणी है चातुर्मास

आत्मविकास का अवसर: श्रवण, साधना और संस्कारों की त्रिवेणी है चातुर्मास

उनका मानना है कि चातुर्मास केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि जीवन निर्माण का एक प्रेरणास्रोत है। साध्वीवृंद के विचार युवाओं, महिलाओं और समाज के हर वर्ग को धर्म की ओर प्रेरित करने वाले हैं।

प्रश्न: चातुर्मास का श्रावकों के जीवन में क्या महत्व है?
साध्वी:
चातुर्मास आत्मशुद्धि, आत्मविकास और आत्मनियंत्रण का श्रेष्ठ अवसर है। यदि व्याख्यान को मन से श्रवण करें, तो कुछ न कुछ जीवन में अवश्य उतरता है। छोटे-छोटे नियमों की पालना सहज होती है, लेकिन उनके प्रभाव बड़े होते हैं।

प्रश्न: कौन-कौन से वर्ग के श्रावक-श्राविका होते हैं?
साध्वी:
श्रावक-श्राविका तीन प्रकार के होते हैं। एक हैं भदैया, जो केवल पर्युषण या भादवा के महीने में नियम पालन करते हैं। दूसरे हैं कदैया, जो पूरे चातुर्मास तक धर्मपालन में जुटे रहते हैं। तीसरे हैं सदैया, जो ताउम्र नियमों को अपनाते हैं। इनमें सदैया सबसे श्रेष्ठ माने जाते हैं।

प्रश्न: आजकल धर्म के प्रति युवाओं में रुचि कम क्यों होती जा रही है?
साध्वी
: मोबाइल और टीवी का अत्यधिक उपयोग युवाओं को भटका रहा है। वे बाहर की दुनिया में तो सक्रिय हैं, पर आत्मज्ञान और सत्संग की ओर उनका ध्यान नहीं है। यदि वे गुरु भगवंतों के पास आएंगे तो जीवन में अवश्य परिवर्तन आएगा। माता-पिता से अधिक प्रभाव गुरुओं का होता है।

प्रश्न: युवाओं को चातुर्मास में कैसे जोड़ा जा सकता है?
साध्वी:
यदि कोई युवा एक बार चातुर्मास में आ जाए, तो उसका मन फिर-फिर आने का करेगा। सत्संग, नियम, अनुशासन और अध्यात्म का प्रभाव स्थाई होता है।

प्रश्न: वर्तमान में छोटी उम्र में ही व्यक्ति कई बीमारियों से ग्रस्त रहने लगे हैं, ऐसा क्यों हो रहा हैं?
साध्वी:
जीवनशैली में आया बदलाव ही इसका प्रमुख कारण है। मशीनों का अत्यधिक उपयोग, जंक फूड और पैकेज्ड उत्पादों का सेवन स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा रहा है। संयम और प्राकृतिक जीवन शैली अपनाने की आवश्यकता है।

प्रश्न: चातुर्मास के दौरान महिलाओं व बालिकाओं के लिए क्या आयोजन होंगे?
साध्वी:
महिलाओं के लिए, प्रतिदिन दोपहर 3 से 4 बजे विशेष कक्षा लगेगी, जिसमें जैन तत्वज्ञान, खुशहाल जीवनशैली, व्यवहार-कुशलता आदि पर चर्चा होगी। प्रतियोगिताएं और खेलों के माध्यम से भी ज्ञानवर्धन किया जाएगा। बालिकाओं के लिए, प्रत्येक रविवार विशेष शिविर होंगे। इसमें आत्मनिर्भरता, व्यक्तित्व विकास, सामाजिक व्यवहार और जीवन की दिशा तय करने की बातें सिखाई जाएंगी।

प्रश्न: चातुर्मास का प्रमुख उद्देश्य क्या है?
साध्वी:
हम यही चाहते हैं कि हर व्यक्ति चातुर्मास का महत्व समझे और आत्मिक रूप से समृद्ध हो। धर्म से जुडऩे का यह सुंदर अवसर है। इसका लाभ सभी को उठाना चाहिए।