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10 दाल मिलें होंगी बंद, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के निर्देश के बाद नगर निगम की कार्रवाई

व्यापार की अनुमति करेगा निरस्त  

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व्यापार की अनुमति करेगा निरस्त

इंदौर। शहर की 10 दाल मिलें बंद होंगी. नौलखा क्षेत्र के चितावद व साजन नगर की इन दाल मिलों की व्यापार अनुमति इंदौर नगर निगम निरस्त कर रहा है। जिला प्रशासन के साथ हुई बैठक में बोर्ड के अफसरों ने बताया कि ये मिलें आबादी क्षेत्र में हैं। यहां के रहवासी क्षेत्र में हो रहे वायु प्रदूषण से परेशान हैं। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने भी उद्योगों को आवासीय क्षेत्रों से स्थानांतरित करने के निर्देश दिए हैं। इधर नगर निगम की प्रस्तावित कार्रवाई का व्यापारियों ने विरोध जताया है।

यहां के रहवासियों ने दाल मिलों की शिकायत मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को की थी. इसके बाद बोर्ड ने इन्हें बंद करने के आदेश जारी किए हैं। जिन मिलों पर कार्रवाई होनी है उनमें मेसर्स नवजीवन दाल मिल, मेसर्स रामस्वरूप शिवनारायण गोयल, मेसर्स शिवनारायण कन्हैयालाल दाल मिल, मेसर्स घनश्याम पल्सेस, मेसर्स जे. ओमप्रकाश एंड ब्रदर्स, मेसर्स पवन दाल मिल, मेसर्स महालक्ष्मी दाल मिल शामिल हैं. अब इन मिलों पर नगर निगम द्वारा कार्रवाई प्रस्तावित की गई है।

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड व नगर निगम और दाल मिलों को बंद करने की चेतावनी का मिल संचालकों ने विरोध किया है। मिल संचालकों ने इसे गलत और मनमाना निर्णय करार दे दिया है। दाल मिल आनर्स एसोसिएशन के पदाधिकारियों का कहना है कि दाल उद्योग पर प्रदूषण फैलाने का आरोप पूरी तरह गलत है। स्वयं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने ही दाल मिलों को ग्रीन कैटेगरी में रखा है। दाल निर्माण में न तो किसी केमिकल का उपयोग किया जाता है, न ही उत्सर्जन किया जाता है। दाल निर्माण में तो पानी का भी इस्तेमाल नहीं होता। सभी दाल मिलों में प्रदूषण विभाग द्वारा बताए गए साइक्लोन एवं डस्ट कंट्रोल यूनिट लगे हुए हैं, जिसके कारण वायु प्रदूषण भी न के बराबर होता है।

पदाधिकारियों के मुताबिक प्रदूषण विभाग हानिकारक उत्सर्जन वाले उद्योगों को रेड जोन में रखता है। कम हानिकारक उत्सर्जन वाले उद्योगों को आरेंज श्रेणी में रखा गया है। दाल उद्योग तो ग्रीन कैटेगरी में है यानि यहां हानिकारक उत्सर्जन ज्यादा नहीं होता। इनमें सिर्फ उद्योगों की मानिटरिंग की जाती है। मिल संचालकों ने दाल मिलों को नवीन मंडी में जगह देने की भी मांग की है.