
सीएम हेल्पलाइन के चक्कर में ‘बाबू’ बन गए डॉक्टर
इंदौर. एमवाय अस्पताल में जननी सुरक्षा योजना के लंबित मामलों की संख्या 12 हजार पहुंच गई है। सीएम हेल्पलाइन में लगातार शिकायतें पहुंचने और उनका निराकरण नहीं होने पर कॉलेज डीन ने गत दिनों महिला रोग व प्रसूति विभाग के एचओडी को नोटिस जारी किया। इसके बाद डॉक्टरों को इलाज की बजाए बाबूगीरी का काम सौंप दिया गया। रोजाना 4 से 5 डॉक्टर इस काम में जुटे हैं और इस दौरान मरीज व उनके परिजन परेशान होते रहते हैं।
एमवाय अस्पताल के गायनिक विभाग में रोजाना 40 से 50 डिलेवरी होती हैं। 240 बेड के मुकाबले दो गुना मरीज भर्ती रहते हैं। इसके अलावा एमटीएच अस्पताल में भी डॉक्टरों की ड्यूटी रहती है। विभाग के पास 50 से ज्यादा डॉक्टर हैं, इनके अलावा जूनियर डॉक्टर भी सेवाएं देते हैं। विभाग से महिला मरीजों का रिकार्ड अधीक्षक कार्यालय भेजा जाता था, जहां डाटा ऑपरेटर योजना के तहत इंट्री कर संबंधित विभाग को जानकारी देता था। सारी प्रक्रिया के बाद ऑनलाइन खाते में पैसा ट्रांसफर होता है।
समय पर इंट्री नहीं होने या कागजों में कमी होने से यहां लंबित मामलों की संख्या प्रदेश में सबसे ज्यादा १२ हजार तक पहुंच गई। दो माह पहले दो कर्मचारियों को निलंबित कर इंट्री का काम पहली मंजिल स्थित विभाग में शिफ्ट कर दिया। यहां एक ऑपरेटर के साथ डॉक्टर मरीजों की इंट्री करने के साथ फार्म में खामियां दुरुस्त करने के काम में जुटे हैं। सीएम हेल्पलाइन में शिकायत करने वाले लोगों से फोन पर चर्चा कर उन्हें संतुष्ट करने का काम भी डॉक्टरों के जिम्मे हैं। डॉ. मोनिका वर्मा इसकी प्रभारी है। उनके साथ एक एसआर और एक कंसल्टेंट की ड्यूटी लगाने के साथ चार से पांच जूनियर डॉक्टरों को भी सहायता के लिए लगाया गया है।
एक-दूसरे पर डाल रहे जिम्मेदारी
विभाग के एचओडी डॉ. निलेश दलाल का कहना है, हम रोजाना का अपडेट करने के साथ पुराने मामलों का भी निराकरण कर रहे हैं। एक ऑपरेटर तो मिला है, लेकिन डायरेक्ट फोन लाइन, इंटरनेट स्पीड, अतिरिक्त स्टाफ आदि के लिए अधीक्षक से मांग की है। विभाग में पहले से ही काफी दबाव है, ऐसे में अतिरिक्त कार्य से डॉक्टरों की परेशानी तो बढ़ी है, लेकिन यह काम भी जरूरी है। डीन के निर्देश पर नई व्यवस्था की गई है। हम रिकार्ड अपडेट होने पर आगे की प्रक्रिया कर रहे हैं। रिकार्ड संबंधित विभाग से ही मिलेगा। सीएम हेल्पलाइन की शिकायतें भी संबंधित विभाग की हैं।
-विभाग की लेतलाली की वजह से ही इतनी पेंडेंसी बढ़ी है। डॉक्टरों की ही जिम्मेदारी है कि राउंड के वक्त डिलेवरी के मरीजों दस्तावेज खिडक़ी पर जमा करवाएं। चार डायरेक्ट फोन दिए जा रहे हैं, किसी अन्य संसाधन की जरूरत है तो वह भी मुहैया कराया जाएगा।
-डॉ. ज्योति बिंदल, डीन एमजीएम
Published on:
02 Sept 2019 02:54 pm
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