
इस तरह सुपर कॉरिडोर में 600 एकड़ में बनेगे कमॢशयल व आवासीय प्रोजेक्ट
इंदौर. शहर विकास के लिए इंदौर विकास प्राधिकरण (आइडीए) की योजनाओं में अनुबंध के आधार पर किसान व जमीन मालिकों से जमीन लेने के लिए आवासीय योजना-176 के विकास की योजना सफल रही तो अन्य योजनाओं के लिए भी राह आसान होगी।
योजना-171, 172, 174, 175, 177 व 165 में भी किसानों से चर्चा की जा सकती है। कोकजे कमेटी की सिफारिशों के अनुसार योजनाओं में अधिकतम 33 प्रतिशत तक ही जमीन दी जा सकेगी, जबकि किसान 40 फीसदी जमीन की मांग कर रहे हैं। कमेटी ने अन्य वर्तमान योजना के लिए तय जमीनों में ५ प्रतिशत तक ही बढ़ोतरी करने की सिफारिश की है। आइडीए सुपर कॉरिडोर पर कमर्शियल विकास के साथ ही आवासीय योजना को भी मूर्त रूप देने जा रहा है। करीब 600 एकड़ में योजना विकसित की जा रही है। अधिक जमीन की मांग को लेकर मामला उलझा है। किसान 40 प्रतिशत विकसित जमीन मांग रहे हैं।
कोकजे कमेटी सभी योजनाओं की समीक्षा कर पहले ही जमीन के संबंध में अपनी रिपोर्ट दे चुकी है। आकलन को देखें तो योजना 176 फायदे का सौदा होगा। इसमें विकास के बाद आइडीए को करीब 34 करोड़ रुपए की राशि बचेगी। हालांकि अब मॉडल बदलने के बाद नए सिरे से हिसाब बनाया जा रहा है। आइडीए सीईओ विवेक श्रोत्रिय ने बताया, आइडीए 176 को मॉडल स्कीम बना कर इन योजनाओं के लिए प्रयास कर रहा है। यदि किसान तैयार होंगे तो विकास में सहयोग मिलेगा। जमीन का उपयोग भी हो सकेगा।
2 हजार मालिकों की जमीन अटकी
आइडीए योजना -171, 172, 175, 177, 165 में समाहित करीब 3500 एकड़ जमीनों के लिए अलग-अलग पहलुओं पर विचार कर चुका है। चार योजनाओं की 2400 एकड़ जमीन का अधिग्रहण करने में ही 6400 करोड़ रुपए की व्यवस्था का आकलन कर मामला समीक्षा के लिए कोकजे कमेटी को सौंपा था। इसमें यदि 165 और 177 को मिला लिया जाए तो यह आंकड़ा 9 से 10 हजार करोड़ रुपए हो सकता है। आइडीए के पास इतनी बड़ी राशि नहीं हैं। इन योजनाओं में करीब 2 हजार जमीन मालिकों की जमीन अटकी है। आइडीए अफसर इन योजनाओं पर किसी तरह का निर्णय नहीं ले पा रहे हैं।
- किसानों को नहीं मिल पाएगी 40% विकसित जमीन
- सेक्टर डेवलपमेंट प्लान 176 में प्रयोग सफल रहा तो अन्य योजनाओं के रास्ते खुलेंगे
- योजना-171, 172, 174,177, 165 में भी अधिग्रहण प्रक्रिया उलझन में
किसानों को भरोसा नहीं
काफी जद्दोजहद के बाद आईडीए इस योजना को विकसित करने के लिए सेक्टर विकास की नीति ला रहा है, जिसमें योजना का विकास सेक्टर के हिसाब से किया जाएगा। यानी जिस सेक्टर में जमीन मिल जाएगी, उस सेक्टर का विकास प्लान लागू हो जाएगा। इसमें जमीन मालिकों को अपनी ही जमीन पर विकसित जमीन मिल सकेगी। विकास देख कर अन्य जमीन मालिक भी तैयार होंगे। हालांकि जमीन मालिक इतने पर भी आइडीए से सहमत नहीं है। किसानों का कहना है, टीसीएस-इंफोसिस को जमीन देने के लिए किए गए अनुबंध के एवज में अपने हक की जमीन ही आइडीए नहीं दे सका। अब भी अनुबंध के बाद कानूनी पेंच या अन्य उलझन आई तो फिर दो-तीन साल तक मामला अटक जाएगा, इसलिए आइडीए नए जमीन अधिग्रहण से मुआवजा दे और जमीन ले।
Updated on:
16 Jun 2019 05:06 pm
Published on:
16 Jun 2019 03:44 pm
बड़ी खबरें
View Allइंदौर
मध्य प्रदेश न्यूज़
ट्रेंडिंग
