
राज योग में इस दिन से शुरू होगी गुप्त नवरात्रि, जीवन में खुशियां भर देंगी देवी मां
इंदौर. मां दुर्गा का नौ दिवसीय साधना पर्व आषाढ़ गुप्त नवरात्र 3 से 10 जुलाई तक मनाया जाएगा। इस दिन राज योग व कुमार योग भी बन रहा है। ऐसा माना जाता है कि गुप्त नवरात्र में की गई मंत्र साधना कभी निष्फल नहीं जाती।
हिंदू नववर्ष में चार नवरात्र आते हैं- चैत्र नवरात्र, आषाढ़ के गुप्त नवरात्र, शारदीय नवरात्र व माघ के गुप्त नवरात्र। दूसरे यानी आषाढ़ नवरात्र में की गई साधना से दस गुना ज्यादा फल मिलता है। इसके चलते लोग सिद्धि प्राप्ति के लिए गुप्त नवरात्र को ही चुनते हैं। महाकाल संहिता के अनुसार, सतयुग में चैत्र नवरात्र, द्वापर में माघ नवरात्र, कलियुग में अश्विनी नवरात्र और त्रेतायुग में आषाढ़ नवरात्र की प्रमुखता रहती है। प्रतिपदा से नवमी तक देवी महालक्ष्मी, सरस्वती और दुर्गा के नौ रूपों की पूजा होती है। देवी भागवत के अनुसार गुप्त नवरात्र में दस महाविधाओं की साधना की जाती है। गुप्त नवरात्र में दुर्गा सप्तशती का पाठ, बीज मंत्रों का जाप व शक्ति की साधना की जाती है। बेहद कड़े नियम के साथ शक्तियों की प्राप्ति के लिए श्रद्धालु व्रत व पूजा-अर्चना करते हैं।
आठ दिनों में बन रहे ये योग
4 जुलाई को रवि योग व गुरु पुष्य योग, 5 व 6 जुलाई को रवि योग, 7 जुलाई को रवि योग व सर्वार्थ सिद्धि योग, 8 व 10 जुलाई को रवि योग का संयोग बन रहा है। नवरात्र के अंतिम दिन यानी 21 जुलाई को भड़ल्या नवमी होने से शादी-विवाह के लिए अबूझ मुहूर्त रहेगा।
ये है माता की पूजा विधि
पं. सुरेश शास्त्री के अनुसार गुप्त नवरात्र के दौरान अन्य नवरात्र की तरह ही पूजा करनी चाहिए। नौ दिनों के उपवास का संकल्प लेते हुए प्रतिप्रदा यानी पहले दिन घटस्थापना करनी चाहिए। इसके बाद प्रतिदिन सुबह-शाम मां भगवती की पूजा करते हुए मंत्रों की साधना करनी चाहिए। अष्टमी या नवमी के दिन कन्या पूजन के साथ नवरात्र व्रत का उद्यापन करना चाहिए।
सामान्य और गुप्त नवरात्र में अंतर
सामान्य नवरात्रि में आमतौर पर सात्विक और तांत्रिक पूजा की जाती है, लेकिन गुप्त नवरात्रि में साधना को गोपनीय रखा जाता है। गुप्त नवरात्रि में पूजा मनोकामना जितनी ज्यादा गोपनीय होगी, सफलता उतनी ज्यादा मिलेगी। इन नवरात्र में अपने गुरु से आज्ञा लेकर ही तंत्र साधना करना चाहिए। इन नौ दिन विशेष रूप से रात्रि में पूजन किया जाता है।
गुप्त नवरात्र की 10 देवियां
गुप्त नवरात्र में साधक 10 महाविद्या की तंत्र साधना के लिए मां काली, तारा देवी, त्रिपुर-सुंदरी, भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, त्रिपुरी भैरवी, मां धूमावती, मां बगलामुखी, मां कमला की आराधना करेंगे।
नवरात्रि में इन बातों का रखें ध्यान
- नवरात्रि में मिटटी, पीतल, तांबा, चांदी या सोने का ही कलश स्थापित करें, लोहे या स्टील के कलश का प्रयोग बिल्कुल न करें।
- व्रत करने वाले साधक को जमीन पर सोना चाहिए और केवल फलाहार करना चाहिए।
- नवरात्रि के दौरान क्रोध, मोह, लोभ का त्याग करें।
- नवरात्र के दौरान साधक को ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
- अगर सूतक हो तो घटस्थापना न करें और यदि नवरात्र के बीच में सूतक हो जाए तो कोई दोष नहीं होता।
- नवरात्रि का व्रत करने वाले भक्तों को कन्या पूजन अवश्य करना चाहिए।
- चौराहों पर रात में ध्यान से चलें। आमतौर पर तंत्र-मंत्र कर वस्तुओं को चौराहों पर ही रखा जाता है।
Published on:
28 Jun 2019 01:05 pm
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