
स्वीकारी चुनौती, इंदौर को करेंगीं भिक्षुकमुक्त
उत्तम राठौर
इंदौर। जब देश के 10 ऐसे शहरों में इंदौर का चयन किया गया, जहां भिक्षावृत्ति को पूरी तरह समाप्त करना है। पिछले वर्ष शहर के भिक्षुकों को कचरे की तरह गाड़ी में भरकर शिप्रा ले जाने की हुई घटना से देश में इंदौर शहर की भारी बदनामी होने के बाद जिला प्रशासन और नगर निगम का कोई अफसर इस काम के लिए हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था। ऐसे में एक महिला ने शहर भिक्षुक मुक्त बनाने की चुनौती को स्वीकार किया और उस पर काम शुरू किया, वो नाम है रूपाली जैन। भिक्षुकों को सही राह पर लाने का उनका यह मिशन आज भी जारी है, ताकि इंदौर शहर पूरी तरह भिक्षुक मुक्त हो जाए।
रूपाली जैन संस्था ‘प्रवेश’ यानी परम पूज्य रक्षक आदिनाथ वेलफेयर एंड एजुकेशनल सोसाइटी से जुड़ी हैं। यह संस्था नगर निगम के सहयोग से शहर भिक्षुक मुक्त बनाने का काम कर रही है। रूपाली के साथ 40 लोगों की टीम इस मिशन पर है। ये लोग मंदिर, फुटपाथ, रेलवे व बस स्टैंड के बाहर, ट्रैफिक सिग्नल पर भीख मांगने वालों को रेस्क्यू कर समझा-बुझाकर सही राह पर लाते हैं। इस काम के लिए इसी वर्ष 26 जनवरी को मुख्यमंत्री के हाथों रूपाली सम्मानित भी हो चुकी हैं।
रूपाली बताती हैं कि वो इंदौर को भिक्षुक मुक्त बनाने की दिशा में लंबे समय से कार्य कर रही हैं। पहले चंद लोगों के साथ शुरुआत की, बाद में टीम बढ़ती गई। इंदौर में ढाई हजार से ज्यादा भिक्षुक हैं। इनमें महिला, पुरुष, बच्चे, वृद्ध, दिव्यांग, मानसिक रोगी व नशेड़ी शामिल हैं। इनको समझाना और भीख मांगना छुड़वाना कठिन है। रेस्क्यू के दौरान कई बार भिक्षुकों के हमले से टीम के लोग घायल हो चुके हैं, फिर भी पूर्ण निष्ठा के साथ इस कार्य को करने के लिए तत्पर हैं।
अब तक 57 को भेजा घर
अपने मिशन के दौरान रूपाली अब तक 57 ऐसे लोगों को घर भेज चुकी हैं, जो घर से सक्षम व करोड़पति थे। रूपाली ने बताया कि परिवार में लड़ाई होने या फिर अन्य किसी कारण से ये लोग घर छोडक़र भीख मांगने लग गए थे। इनको घर भेजने के साथ परिजन को समझाइश देकर शपथ-पत्र अलग लिया गया, ताकि भविष्य में ऐसा न हो। इसके अलावा 34 पुरुषों व छह महिलाओं को भिक्षावृत्ति छोडऩे के लिए परामर्श देकर शपथ पत्र भरवाकर परिजन को सौंपा। लगातार मॉनिटरिंग कर रही हैं ताकि ये लोग पुन: भिक्षावृत्ति न करने लगें।
रोजगार के लिए प्रशिक्षण
अभी 41 पुरुष भिक्षुकों को शिव कुटी पुनर्वास केंद्र और चार महिला भिक्षुक अहिल्या धाम पुनर्वास केंद्र में हैं। इनमें कुछ लोगों का प्रशिक्षण के माध्यम से कौशल विकास शुरू किया जा चुका है, ताकि वह प्रशिक्षण लेकर खुद का रोजगार शुरू कर सकें।
मानसिक रोगी हो गए स्वस्थ
रूपाली ने बताया कि 35 मानसिक रोगी भिक्षुक बाणगंगा मेंटल हॉस्पिटल में इलाजरत हैं। इनमें से 12 लोग ठीक होकर अपने घर जा चुके हैं। वे भिक्षावृत्ति छोड़ चुके हैं, बाकी लोग भी 85 प्रतिशत ठीक हो चुके हैं। वर्तमान में हॉस्पिटल में ही हैं। 11 बेसहारा बीमार भिक्षुकों का एमवाय हॉस्पिटल में इलाज करवाया, जो ठीक हो चुके हैं।
40 को भिजवाया वृद्धाश्रम
रूपाली की टीम ने अभी तक 40 निराश्रितों को वृद्धाश्रम भिजवाया है, जो वहां आराम से रह रहे हैं। इनके बारे में समय-समय पर रूपाली द्वारा जानकारी ली जाती है। कुछ समस्या होने पर समाधान भी करती हैं।
खुद ने किया अंतिम संस्कार
एमवाय हॉस्पिटल में इलाजरत एक गंभीर अवस्था के टीबी मरीज की मृत्यु हो गई, जिसका कोई नहीं था। इस पर उनका अंतिम संस्कार पूरे विधि-विधान से रुपाली जैन ने किया। आगे भी इस मिशन के दौरान किसी भी भिक्षुक की मृत्यु होती है, तो उनका अंतिम संस्कार रुपाली द्वारा ही किया जाएगा।
Published on:
08 Mar 2022 11:16 am
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