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किस रास्ते पर सबसे ज्यादा ट्रैफिक, तुरंत बता देगा एआइ

इंदौर में ट्रैफिक की समस्या भयावह हो चुकी है और हर शहरवासी इससे परेशान है। हालांकि इस दिक्कत को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानि एआइ आधारित ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम से दूर किया जा सकता है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मैनेजमेंट से न केवल यह पता चल सकेगा कि किस रास्ते पर कितना ट्रैफिक है बल्कि इंडिकेटर वैकल्पिक मार्ग भी सुझाएगा।

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इंदौर में ट्रैफिक की समस्या भयावह

इंदौर में ट्रैफिक की समस्या भयावह हो चुकी है और हर शहरवासी इससे परेशान है। हालांकि इस दिक्कत को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानि एआइ आधारित ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम से दूर किया जा सकता है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मैनेजमेंट से न केवल यह पता चल सकेगा कि किस रास्ते पर कितना ट्रैफिक है बल्कि इंडिकेटर वैकल्पिक मार्ग भी सुझाएगा।

इसके लिए एआइ ( AI) आधारित सॉफ्टवेयर से सड़कों पर वाहनों के कम और अधिक दबाव को स्कैन करना होगा। एआइ से वाहन चालकों को चौराहों पर इसकी जानकारी मिलेगी और यातायात का दबाव अधिक होने पर वे वैकल्पिक मार्ग का उपयोग कर सकेंगे।

नागपुर, हैदराबाद में हो रहा काम
एआइ आधारित सॉफ्टवेयर से इंदौर और भोपाल के ट्रैफिक की समस्या का हल निकाला जा सकता है। जैसे-किस नंबर की गाड़ी, किस चौराहे से आई और शहर के किस हिस्से से बाहर निकली। समय के हिसाब से शहर में आने जाने वाले वाहनों का डाटा बेस इससे मिल सकता है। इससे यह भी पता किया जा सकता है कि कितने वाहनों ने दिनभर में ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन किया। नागपुर और हैदराबाद में इस तर्ज पर काम किया जा रहा है।

एआइ आधारित सॉफ्टवेयर बनाने और प्रयोगधर्मी विशेषज्ञों से पत्रिका ने इस संबंध में चर्चा की। बकौल एक्सपर्ट इंदौर और भोपाल में यदि इस तरह का हाइटेक ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम शुरू हो जाए तो प्रत्येक वाहन, व्यक्ति का डाटा तैयार किया जा सकता है। ट्रैफिक सुधार में एआइ कैसे वाहन चालकों को व्यस्त मार्ग की जानकारी देकर वैकल्पिक मार्ग से जाने की जानकारी देगा, नेक्स्ट लेवल इंदौर की ऐसी ही तस्वीर को विशेषज्ञों से समझते हैं।

यदि किसी को विजय नगर से पलासिया चौराहा जाना है और उस वक्त हैवी ट्रैफिक है तो एआइ आधारित सॉफ्टवेयर से चौराहे पर हरी, पीली, लाल लाइट के रूप में इंडिकेटर लगा सकते हैं। रियल टाइम ट्रैफिक को स्कैन कर सॉफ्टवेयर लाइट के माध्यम से बता सकता है कि मार्ग पर ट्रैफिक की स्थिति क्या है। लाल अत्यधिक दबाव, पीला हल्का दबाव और हरा मतलब कोई ट्रैफिक दबाव नहीं बताएगा। इंडिकेटर को देख लोग वैकल्पिक रास्ता चुन सकते हैं।

सॉफ्टवेयर से फरार अपराधी को भी तलाश सकते हैं। सॉफ्टवेयर से जुड़े ऑटोमैटिक नंबर प्लेट रिकोग्रिशन कैमरे से वाहनों के नंबर ट्रेस कर सकते हैं। वारदात के बाद वाहन किस कैमरे के सामने से गुजरा, आखिरी बार कहां दिखा जैसे दृश्य देखे जा सकते हैं।

एआइ आधारित ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम 1 मिनट के देरी वाला रियल टाइम डाटा मुहैया कराता है, जो अन्य सर्विस से तेज है। प्रदेश की गढ़ाकोटा, रेहली, शाहपुर नगर पालिका में ये सुविधा शुरू हो गई है। वहां सॉफ्टवेयर से जुड़े कैमरों से दस दिन का डाटा बेस तैयार हो रहा है। इसके बाद डाटा एनालिसिस होगा और यह तय होगा कि जनता को कैसी व्यवस्था चाहिए।