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Navratri 2023 : यहां दर्शन से ही भर जाती है सूनी गोद, माता रानी के आशीर्वाद से होता हैं अनोखे चमत्कार

-रात 12 बजे होती है माता की आरती- आम के पेड़ से प्रकट हुई हैं मां आम्बा वाली

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Amba Maa Temple

इंदौर। रात के 12 बजे भक्ति में लीन भक्त, ‘जय हो माड़ी‘, ‘जय माता दी‘ के नारे और ढोल-नगाड़ों की आवाज, यह है मां आम्बा वाली का दरबार। माता का यह एक ऐसा दरबार है, जहां किसी की भी गोद सूनी नहीं रहती। भक्त अपनी मन्नत लेकर यहां आते हैं और पूरी करके लौटते हैं। चैत्र नवरात्र की शुरूआत हो चुकी है। घर-घर मां भगवती विराजमान हो चुकी हैं और भक्त नौ दिन पूजा-अर्चना कर आशीर्वाद प्राप्त करेंगे। इसके साथ ही छोटी-छोटी कन्याओं को माता रानी का रूप मानकर उनकी पूजा की जा रही है। चैत्र नवरात्र के मौके पर शहर के उस देवी मंदिर की कहानी बता रहे है, जो सालों पुराना होने के साथ अपने चमत्कारों के लिए जाना जाता है। यह दरबार है मां आम्बा वाली का।

सूनी गोद लेकर आते है भक्त

मंदिर के पुजारी बताते है कि मां कालका आम के पेड़ से प्रकट हुई है इसलिए इन्हें मां आम्बा वाली भी कहा जाता है। यह एक अनोखा मंदिर है, जहां रात 12 बजे मां भगवती की आरती की जाती है। भक्त यहां सूनी गोद लेकर आते है जो माता रानी के आशीर्वाद से भर जाती है। मन्नत के लिए यहां नारियल वढ़ाए जाते है। इन्हीं नारियलों को पेड़ पर चढ़ा दिया जाता है। नवरात्र में हर दिन यहां भक्तों का मेला लगा रहता है। इसके अलावा हर मंगलवार को होने वाली विशेष पूजा-आरती में शामिल होने के लिए भी हजारों लोग यहां पहुंचते है।

भरी जाती है गोद

इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि यहां आने वाले भक्तों की सूनी गोद मां आम्बा वाली के आशीर्वाद से भर जाती है। हर मंगलवार को होने वाली आरती से पहले यहां मन्नत लेकर आने वाली महिलाओं को पुजारी नारियल देते है, जिसको लेकर कुछ नियम भी है। मन्नत मांगने वालों को पांच मंगलवार मंदिर में हाजिरी लगानी होती है।

लगती है उल्टी परिक्रमा

मंदिरों में परिक्रमा लगाने की भी परिक्रमा है। लोग परिक्रमा उल्टे हाथ से शुरू करके सीधे हाथ की ओर आते है लेकिन इस मंदिर में परिक्रमा सीधे हाथ से शुरू होकर उल्टे हाथ पर खत्म होती है। मन्नत मांगने पर लोग मंदिरों में उल्टा स्वास्तिक बनाते है। यहां भी मान्यता है कि उल्टी परिक्रमा लेने से काम पूरे होते हैं।

नारियल से बनता है भंडारा

कालरात्रि के दरबार में मन्नत लेकर आने वाले श्रद्धालुओं द्वारा नारियल चढ़ाने की परंपरा है। इन नारियलों को ना तो नदी में प्रवाहित किया जाता है और ना ही इनका प्रसाद बांटा जाता है। इन नारियलों को पेड़ पर चढ़ा दिया जाता है। फिर नवरात्र में होने वाले भंडारे का प्रसाद इन्हीं को चढ़ाकर बनाया जाता है।