जीएसटी और वैट में एक खास अंतर है। वैट में टैक्स और रिटर्न व्यापारी को जमा करना होता था, निर्धारण विभागीय अधिकारी द्वारा किया जाता था। जीएसटी कानून में टैक्स लेना, रिटर्न भरना और निर्धारण करने की जिम्मेदारी भी व्यापारी की ही रहेगी। विभागीय निर्धारण होने पर कम निकला तो विभाग द्वारा इसे वसूला जाएगा। अपर आयुक्त सुदीप गुप्ता का कहना है कि किसी तरह की गलती नहीं हो, इसे देखते हुए यह प्रावधान किए गए है, जिससे कारोबारी पहले ही अच्छे से समझ लें।