
दही के अभिषेक से मिलेगा घर-संपत्ति, सरसो के तेल से दूर हो जाएंगे शत्रु
इंदौर. सावन माह की शुरुआत शनिवार से हुई है। सुबह से मंदिरों में रुद्राभिषेक सहित अन्य अनुष्ठान हो गए हैं। शिवालय बम-बम भोले के जयघोष से गूंज उठें। भोलेनाथ अपने नाम के अनुरुप बहुत भोले हैं। भगवान शिव एक लोटा जल से भी प्रसन्न होकर अपने भक्तों के सारे कष्ट हर लेते हैं। शिवलिंग पर जलाभिषेक करने से व्यक्ति की सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। वहीं रुद्राभिषेक करने से व्यक्ति की कुंडली से पातक कर्म एवं महापातक भी जलकर भस्म हो जाते हैं। कहा जाता है कि भगवान शिव के पूजन से सभी देवताओं की पूजा स्वत: हो जाती है।
इंदौर में पूरे सावन माह में आज से एक नंबर विधानसभा की जनता भोले की भक्ति में डूबी रहने वाली है। आज सुबह 9बजे भागीरथपुरा से महारुद्राभिषेक की शुरुआत हुई। महारुद्राभिषेक आयोजन के सूत्रधार कांग्रेस नेता संजय शुक्ला हैं, जो कि एक नंबर से विधानसभा चुनाव में टिकट की दावेदारी कर रहे हैं। साथ ही पिछले डेढ़ वर्ष से धार्मिक और सामाजिक गतिविधियों के माध्यम से सक्रिय अलग हैं। वैदिक मंत्रोच्चार के साथ पूजन शुरू हुआ। आज 1500 लोगों ने शिवजी का महारुद्राभिषेक किया। यहीं पर मंगलवार को फिर आयोजन होगा। पूरे सावन में विधानसभा के अलग-अलग क्षेत्रों में यह आयोजन होगा। इसके लिए ३२ हजार लोगों ने पंजीयन कराया है। महारुद्राभिषेक करने वाले लोगों को 51 हजार पीतल के शिवलिंग का वितरण भी किया जाएगा। बताया जाता है कि भागीरथपुरा क्षेत्र के कई लोग काम-धंधे से छुट्टी लेकर इस महारुद्राभिषेक में शामिल हुए।
क्या है रुद्राभिषेक?
अभिषेक शब्द का शाब्दिक अर्थ है - स्नान करना अथवा कराना। रुद्राभिषेक का अर्थ है भगवान रुद्र का अभिषेक अर्थात शिवलिंग पर रुद्र के मंत्रों के द्वारा अभिषेक करना। यह पवित्र-स्नान रुद्ररूप शिव को कराया जाता है। वर्तमान समय में अभिषेक रुद्राभिषेक के रुप में ही विश्रुत है। वैसे भी अपनी जटा में गंगा को धारण करने से भगवान शिव को जलधाराप्रिय माना गया है।
रुद्राभिषेक क्यों करते हैं?
रुद्राष्टाध्यायी के अनुसार शिव ही रूद्र हैं और रुद्र ही शिव है। रुतम्-दु:खम्, द्रावयति-नाशयतीतिरुद: अर्थात रूद्र रूप में प्रतिष्ठित शिव हमारे सभी दु:खों को शीघ्र ही समाप्त कर देते हैं। वस्तुत: जो दु:ख हम भोगते है उसका कारण हम सब स्वयं ही है हमारे द्वारा जाने अनजाने में किये गए प्रकृति विरुद्ध आचरण के परिणाम स्वरूप ही हम दु:ख भोगते हैं।
रुद्राभिषेक का आरम्भ कैसे हुआ?
प्रचलित कथा के अनुसार भगवान विष्णु की नाभि से उत्पन्न कमल से ब्रह्मा जी की उत्पत्ति हुई। ब्रह्माजी जबअपने जन्म का कारण जानने के लिए भगवान विष्णु के पास पहुंचे तो उन्होंने ब्रह्मा की उत्पत्ति का रहस्य बताया और यह भी कहा कि मेरे कारण ही आपकी उत्पत्ति हुई है। परन्तु ब्रह्माजी यह मानने के लिए तैयार नहीं हुए और दोनों में भयंकर युद्ध हुआ। इस युद्ध से नाराज भगवान रुद्र शिवलिंग रूप में प्रकट हुए। इस शिवलिंग का आदि अन्त जब ब्रह्मा और विष्णु को कहीं पता नहीं चला तो हार मान लिया और शिवलिंग का अभिषेक किया, जिससे भगवान प्रसन्न हुए। कहा जाता है कि यहीं से रुद्राभिषेक का आरम्भ हुआ।
हमारे शास्त्रों में विविध कामनाओं की पूर्ति के लिए रुद्राभिषेक के पूजन के निमित्त अनेक द्रव्यों तथा पूजन सामग्री को बताया गया है। विशेष अवसर पर या सोमवार, प्रदोष और शिवरात्रि आदि पर्व के दिनों में मंत्र, गोदुग्ध या अन्य दूध मिलाकर अथवा केवल दूध से भी अभिषेक किया जाता है। विशेष पूजा में दूध, दही, घृत, शहद और चीनी से अलग-अलग अथवा सबको मिलाकर पंचामृत से भी अभिषेक किया जाता है। इस प्रकार विविध द्रव्यों से शिवलिंग का विधिवत अभिषेक करने पर अभीष्ट कामना की पूर्ति होती है। वहीं रुद्राभिषेक से कालसर्प योग, गृहक्लेश, व्यापार में नुकसान, शिक्षा में रुकावट सभी कार्यों की बाधाएं भी दूर होती हैं।
भगवान शिव के रुद्राभिषेक के लाभ
- शिवलिंग का जलाभिषेक करने से वर्षा होती है।
- कुशोदक अर्थात ऐसा जल जिसमें कुश घास की पत्तियां छोड़ी गई हों से रुद्राभिषेक करें। इससे असाध्य रोगों से मुक्ति मिलती है।
- दही से रुद्राभिषेक करने से भवन-वाहन की प्राप्ति होती है।
- शिवलिंग पर गन्ने के रस से अभिषेक करने पर अपार लक्ष्मी मिलती है।
- शहद व घी से शिवलिंग पर रुद्राभिषेक करने से धन में वृद्धि होती है।
- तीर्थ के जल से शिवलिंग पर रुद्राभिषेक करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
- रोगों से मुक्ति हेतु इत्र से अभिषेक करने से लाभ होता है।
- दूध से रुद्राभिषेक करने से संतान की प्राप्ति होती है।
- शीतल जल या गंगा जल से रुद्राभिषेक करने से ज्वर से शांति मिलती है।
- सहस्रनाम-मंत्रों का उच्चारण करते हुए घृत की धारा से रुद्राभिषेक करने पर वंश का विस्तार होता है।
- दूध में शक्कर मिलाकर रुद्राभिषेक करने के मंदबुद्धि भी विद्वान हो जाता है।
- शत्रुओं से परेशान हैं तो सरसों के तेल से शिवलिंग पर अभिषेक करने से दुश्मन पराजित होंगे।
Published on:
28 Jul 2018 12:35 pm
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