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इंदौर। प्रदेश की पहली ए प्लस ग्रेड देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी (डीएवीवी) में अधिकारियों के बीच समन्वय की कमी का खामियाजा विद्यार्थियों को उठाना पड़ रहा है। एक तरफ परीक्षा नियंत्रक नई शिक्षा नीति का हवाला देते हुए 2019-20 के विद्यार्थियों को सेकंड ईयर में शामिल होने की अनुमति नहीं दे रहे तो दूसरी ओर शैक्षणिक विभाग ऐसे विद्यार्थियों को एलिजिबिलिटी जारी कर रहा है।
साफ हो गया रास्ता
नई शिक्षा नीति को लेकर जारी असमंजस के बीच सबसे ज्यादा मुश्किल पिछले साल सेकंड ईयर में फेल होने वाले विद्यार्थियों को लेकर रहा। सत्र शुरू होने के बाद उच्च शिक्षा विभाग ने इन्हें नई नीति के तहत सेकंड ईयर से पढ़ाई जारी रखने की अनुमति इस शर्त पर दी कि उन्हें नई नीति के बाकी विषय क्लीयर करने होंगे। इस आदेश के साथ ही पिछले सत्र से पहले यानी कि 2018-19 और 2019-20 के ऐसे विद्यार्थी जो फर्स्ट ईयर के बाद पढ़ाई छोड़ चुके थे या फिर सेकंड ईयर फेल हैं, उन्हें भी इस बार सेकंड ईयर में मौका मिलने का रास्ता साफ हुआ है। ऐसे करीब 10 हजार विद्यार्थी हैं। मगर, परीक्षा विभाग ने यह व्यवस्था सिर्फ एक साल के लिए ही रहने का हवाला देते हुए इनकी पढ़ाई पर अड़ंगा लगा दिया।
नहीं मिले कोई आदेश
पत्रिका ने रविवार के अंक में यह मुद्दा प्रमुखता से प्रकाशित किया था। इसके बाद ऐसे छात्र एलिजिबिलिटी (पात्रता प्रमाण पत्र) के लिए परीक्षा नियंत्रक डॉ.एसएस ठाकुर के पास पहुंचे तो उन्होंने इनकार कर दिया। दूसरी ओर, कुछ विद्यार्थियों को यूनिवर्सिटी ने ही एलिजिबिलिटी जारी कर दी। परीक्षा नियंत्रक से जब इस दोहरे रवैये की वजह पूछी गई तो उनका कहना था कि पहले के विद्यार्थियों के लिए शासन से कोई आदेश नहीं मिले है।
डॉ.एसएस ठाकुर, परीक्षा नियंत्रक, डीएवीवी का कहना है कि मैं पहले ही स्पष्ट कर चुका हूं कि नई शिक्षा नीति के तहत अभी सिर्फ पिछले साल सेकंड ईयर में फेल होने वालों को ही मौका दिया जा रहा है। मेरी जानकारी में नहीं है कि ऐसे किसी विद्यार्थी को परीक्षा के लिए एलिजिबिलिटी जारी की गई है। कॉलेजों ने अगर किसी पुराने छात्र को सेकंड ईयर में प्रवेश दिया है तो यह धोखाधड़ी है।
Published on:
21 Dec 2022 05:00 pm
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