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X-ray: 150 से 200 रुपए में होता है एक्स-रे, लेकिन आपको देने पड़ेंगे 800 रुपए !

Digital x-ray Machine: वार्ड में भर्ती मरीजों सहित ओपीडी के मरीजों के लगभग 600 एक्स-रे रोज होते हैं। इसमें से नई ओपीडी में ही रोजाना 200 एक्स-रे होते हैं......

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Digital x-ray

Digital x-ray Machine: अगर आप अस्पताल में जाकर एक्स-रे कराने का सोच रहे है तो आपकी जेब में चपत लग सकती है। जी हां आदर्श अस्पताल बनने की प्रक्रिया से गुजर रहे एमवायएच अस्पताल में पिछले 16 दिनों से नई ओपीडी की डिजिटल एक्स-रे मशीन खराब है। मरीजों को डिजिटल एक्स-रे के लिए पुरानी बिल्डिंग में भेजना ऑर्थोपेडिक विभाग के डॉक्टरों की मजबूरी बन गया है। रेडियोलॉजी विभाग के अंतर्गत यह मशीन आती है, लेकिन अब तक विभागीय स्तर पर इसे सुधरवाने के प्रयास नहीं हो सके।

एमवायएच के ऑर्थोपेडिक विभाग में दो डिजिटल व एक नॉर्मल एक्स-रे मशीन है। इसमें से एक डिजिटल मशीन में चेस्ट संबंधित एक्स-रे होते हैं। दूसरी डिजिटल मशीन से सभी एक्स-रे की सुविधा है। यह मशीन 16 दिन से खराब है। इसे लेकर कर्मचारी शिकायत कर चुके हैं, लेकिन मशीन को सुधारा नहीं गया है। जो मरीज डॉक्टर के पास वापस जाते हैं उन्हें पुरानी बिल्डिंग में भेज दिया जाता है। इस संबंध में रेडियोलॉजी विभागाध्यक्ष से संपर्क किया गया, लेकिन सवाल सुनने के बाद उन्होंने कॉल डिस्कनेक्ट कर दिया। मैसेज का भी रिप्लाई नहीं दिया।

रोजाना होते हैं 600 के लगभग एक्स-रे

एमवायएच में वार्ड में भर्ती मरीजों सहित ओपीडी के मरीजों के लगभग 600 एक्स-रे रोज होते हैं। इसमें से नई ओपीडी में ही रोजाना 200 एक्स-रे होते हैं, जिसमें डिजिटल एक्स-रे भी हैं। बेहतर छवि के लिए जरूरी डिजिटल एक्स-रे में पैर या शरीर के अन्य हिस्सों में चोट या तकलीफ होने पर थ्री डाइमेंशन इमेज बनती है। इसके कारण मामूली चोट भी दिख जाती है।

बाहर एक्स-रे कराने को मजबूर

डिजिटल एक्स-रे के लिए पुरानी बिल्डिंग की जानकारी न होने या संख्या अधिक होने से कई मरीज बाहर से जांच करा रहे हैं। डिजिटल एक्स-रे एमवायएच में 150 से 200 रुपए में उपलब्ध है। बाहर के सेंटरों पर 800 रुपए देकर कराना पड़ रहा है।

14 मशीनों पर चार टेक्निशियन

एमवायएच में कुल 14 एक्स-रे मशीनें हैं। विभाग के पास सिर्फ 4 टेक्निशियन हैं, जो 600 एक्स-रे रोज करवाते हैं। नियम के तहत एक टेक्निशियन को 25 से 30 एक्स-रे करने की अनुमति रहती है। टेक्निशियन की कमी को दूर करने स्टूडेंट्स की ड्यूटी लगाई जाती है। उनके लिए बाहर खुले में दो अस्थाई टेबल है। ऐसे में इन्हें भी संक्रमण का खतरा रहता है।

प्लास्टर रूम में सिर्फ दो कर्मचारी

ऑर्थोपेडिक विभाग के पास बने प्लास्टर रूम में दो स्टूडेंट्स के भरोसे प्लास्टर चढ़ाया जा रहा है, जबकि रोजाना 100 से 120 लोग यहां प्लास्टर चढ़वाने या उसे निकलवाने के लिए पहुंचते हैं। इससे लगभग 30-30 मिनट तक मरीजों को इंतजार करना पड़ रहा है।

डिजिटल एक्स-रे में ज्यादा बेहतर छवि बनती है। कई मरीज पुरानी बिल्डिंग में जाकर एक्स-रे कराकर लाते हैं। मशीन खराब होने के संबंध में किसी डॉक्टर ने जानकारी नहीं दी। यह रेडियोलॉजी विभाग के अंतर्गत आती है।- डॉ. आनंद अजमेरा, ऑर्थोपेडिक विभाग अध्यक्ष

मशीन के खराब होने की मुझे जानकारी नहीं है। यह क्यों खराब या बंद है, इसकी जानकारी विभाग से लेकर ही बता पाऊंगा।-डॉ. संजय दीक्षित, डीन, एमजीएम मेडिकल कॉलेज