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क्लिनिक नहीं चला तो डॉक्टर छापने लगा नकली नोट

दीपेश होम्योपैथिक डॉक्टर है, कृष्णा कंपाउंडर है। दोनों स्केनर की मदद से 500 रुपए के नकली नोट छाप रहे थे। स्कैन करने के बाद वो कलर प्रिंटर से हूबहू नोट का प्रिंट निकाल लेते थे।

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Shruti Agrawal

Aug 02, 2017

Fake Note Print Case

Fake Note Print Case

इंदौर. पुलिस ने होम्योपैथिक डॉक्टर व कंपाउंडर को नकली नोट छापने के मामले में पकड़ा है। एएसपी संपत उपाध्याय ने बताया कि परदेशीपुरा पुलिस ने दीपेश कुमार यादव (34) निवासी नंदानगर व कृष्णा पिता कन्हैया राठौर (21) निवासी लसूडिय़ा मोरी को पकड़ा है।


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इनके पास से स्के नर, प्रिंटर व करीब 20 नकली नोट 500 रुपए के जब्त हुए हैं। दीपेश होम्योपैथिक डॉक्टर है, कृष्णा कंपाउंडर है। दोनों स्केनर की मदद से 500 रुपए के नकली नोट छाप रहे थे। स्कैन करने के बाद वो कलर प्रिंटर से हूबहू नोट का प्रिंट निकाल लेते थे। नकली नोट से वे मोबाइल भी रिचार्ज करा चुके हैं। पहले दीपेश की संविदा में नौकरी थी। कुछ समय पहले नौकरी छूटी तो वो मालवा मिल इलाके में खुद का क्लिनिक चलाने लगा। क्लिनिक नहीं चलने से आर्थिक परेशानी का सामना करने लगा। इसी के बाद उसने नकली नोट बनाने का काम शुरू किया।

नकली नोट घर के बाहर मिले तो हुआ शक
आरोपी दीपेश कुमार घर में नोट छापने की ट्रायल ले रहा था, प्रिंटर से कुछ गलत प्रिंट आने पर उसने छपे हुए नोट गोल-मोल कर घर के ही आंगन में फेंक दिये थे। जिसे उसके मकान मालिक ने देख लिया। जब नोटों के प्रिंट मकान मालिक के हाथ लगे तो उसे शंका हुई। उसने पुलिस को सूचना दी इसी के बाद पुलिस ने दोनों आरोपियों को गिरफ्तार किया है। इधर वरिष्ठ अधिकारी आरोपियों से पूछताछ कर रहे। इधर ये भी पता चला है कि पकड़े डॉक्टर दीपेश यादव का भाई अंकित यादव है जो परदेशीपुरा थाने का लिस्टेड गुंडा है इस पर 10 अपराध हैं।

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