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डीपीएस स्कूल के बच्चों की मौत की असली वजह : 17 साल पुरानी खटारा गाडिय़ों को बना दिया था स्कूल बस

हादसे का शिकार हुई डीपीएस स्कूल की बस को 2009 में दूसरे राज्य से खरीदकर स्कूल में चलने लायक बनाया गया था ...

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अभिषेक वर्मा. इंदौर. हादसे का शिकार हुई डीपीएस स्कूल की बस को 2009 में दूसरे राज्य से खरीदकर स्कूल में चलने लायक बनाया गया था। ऐसी कई और बसें डीपीएस और अन्य स्कूलों में बेरोक-टोक के चल रही हैं। स्कूल वाहनों पर समयसीमा का बंधन नहीं होने से यह गोरखधंधा चल रहा है।

रूट नंबर 27 की बस एमपी 09 एफए 2029 सबसे पहले 2003 में खरीदी गई थी। दिसंबर 2017 में भी इंदौर आरटीओ ने इस बस को फिटनेस परमिट जारी किया। 32 सीटर इस बस का स्कूल संचालक थर्ड ऑनर है। आरटीओ 15 साल पुरानी बसों को रूट परमिट जारी नहीं करता, लेकिन स्कूलों के लिए ऐसा कोई बंधन नहीं है। इसी की आड़ लेकर स्कूल ऐसी पुराना खटारा बसों में बच्चों को सफर करवा रहे हैं। स्कूल में कई ऐसी बसें हैं, जो पहली बार 17 वर्ष पूर्व सड़कों पर उतारी थी। यात्री व कंपनियों में अटैच पुरानी बसों को स्कूल औने-पौने दाम पर खरीदकर तैयार करवा लेते हैं।

अनुभवी ड्राइवर बाहर
बस संचालन के मामले में डीपीएस कई बार विवादों में घिर चुका है। जून 2012 में प्रबंधन की मनमानी के खिलाफ बस ड्राइवरों व कंडक्टरों ने हड़ताल कर दी थी। बसें नहीं चलने से पालकों को ही बच्चों को स्कूल पहुंचाना पड़ा। डीपीसी चालक परिचालक महासंघ की मांग पर हर साल 500 रुपए वेतन बढ़ाने का निर्णय हुआ। इसके बाद प्रबंधन ने धीरे-धीरे पुराने अनुभवी ड्राइवरों को निकालना शुरू कर दिया। पांच साल पहले काम कर रहे ड्राइवरों में से एक भी ड्राइवर अभी स्कूल में नहीं है। तब भोपाल की एक एजेंसी के पास बसों के संचालन का जिम्मा था। इसके बाद महू की एजेंसी को सौंपा गया। फिलहाल स्कूल प्रबंधन ही ड्राइवरों की नियुक्ति व मेंटेनेंस करवा रहा है।

15 साल पुरानी बसों को रूट परमिट जारी नहीं किए जाते। स्कूलों के लिए ज्यादातर बसों को 2020 तक का परमिट मिला है। इससे पहले इन पर रोक नहीं लगाई जा सकती।
- डॉ. एमपी सिंह, आरटीओ

बढ़ रहा स्पीड बढ़ाने का गोरखधंधा
परिवहन विभाग की नजरअंदाजी के चलते कई डीलर व मैकेनिक स्पीड गवर्नर की स्पीड बढ़ाने का धंधा कर रहे हैं। तकनीक से इसमें कुछ एेसी सुविधा इजाद की है, की इसे कभी भी बंद किया जा सकता है। परिवहन विभाग ने गत १ अप्रैल के बाद किसी भी वाहन में स्पीड गर्वनर नहीं लगा होने पर वाहन का फिटनेस और रजिस्ट्रेशन निरस्त करने जैसी कार्रवाई का दावा किया था। लेकिन अब तक एक भी फिटनेस निरस्त नहीं किया।