
registry online
इंदौर। पंजीयन विभाग ई-रजिस्ट्री के लिए एडवांस वर्जन संपदा-2 बहुत सारी सुविधाओं के साथ जल्द लॉन्च करने जा रहा है। इस सिस्टम में ऑनलाइन रजिस्ट्री के साथ ही संपत्ति का रिकॉर्ड व वैल्युएशन की व्यवस्था भी ऑनलाइन होगी। विभाग ने 2015 से ई-रजिस्ट्री सिस्टम शुरू किया है, तब से ही रजिस्ट्री की डिजिटल प्रति उपलब्ध है। अब इससे पहले की रजिस्ट्रियों का डिजिटलाइजेशन भी किया जा रहा है। इसके लिए विभाग दो चरण में काम शुरू करेगा। पहला चरण आगामी 20 जून से शुरू होगा। इसमें 2006 से 2015 तक की साढ़े तीन लाख रजिस्ट्रियों को डिजिटलाइज करने के लिए स्कैनिंग शुरू होगी।
आर्टिफिशियल इंटलीजेंस का किया जा रहा प्रयोग
दरअसल, रियल एस्टेट मार्केट में सरकार रियल टाइम कार्य करने की कवायद कर रही है। इसके लिए ऑनलाइन रजिस्ट्री सिस्टम संपदा का वर्जन-2 तैयार किया जा रहा है। इसमें आर्टिफिशियल इंटलीजेंस और डाटा एनालिटिक्स का प्रयोग किया जा रहा है। जल्द इसका पायलेट सिस्टम दो जिलों से शुरू होगा। विभाग इसे जनता की सभी जरूरतों को शामिल करके तैयार कर रहा है। 2015 से पहले की प्रॉपर्टी का रिकॉर्ड चाहिए तो सर्च करने व प्रति लेने रजिस्ट्रार कार्यालय ही जाना होता है। विभाग इस झंझट से मुक्ति दिलाने का काम कर रहा है।
क्या जा सकेगा स्कैन
2015 से पहले के रिकॉर्ड का भी डिजिटलाइजेशन किया जा रहा है। इसके लिए एक-एक रजिस्ट्री को स्कैन किया जाएगा। इसे संपदा पर सर्च-रिकॉर्ड ऑप्शन के साथ ऑनलाइन करेंगे। यह कार्य पूरे प्रदेश में शुरू होगा और 11 साल की रजिस्ट्रियों का रिकॉर्ड स्कैन किया जाएगा। पहले चरण में 2006 से रजिस्ट्रियां स्कैनिंग की जाएंगी। इसके बाद इससे पहले की होगी। विभागीय अफसरों का कहना है, रिकॉर्ड की हालात बहुत अच्छी नहीं है। इसे सावधानी से स्कैन करना होगा।
यह होगा फायदा
-रजिस्ट्रियों का रिकॉर्ड सुरक्षित हो जाएगा।
-जरूरत होने पर लोग प्रॉपर्टी ऑनलाइन देख सकेंगे। रजिस्ट्री की सर्टिफाइड कॉपी भी ले सकेंगे।
-बैंक, इंस्टीट्यूशन और फॉरेन में बैठे व्यक्ति भी सर्च कर सकेंगे।
इन जानकारियों पर चेकिंग
रजिस्ट्री में प्रमुख रूप से क्रेता का नाम, विक्रेता का नाम, प्लॉट की सीमा, साइज, नंबर, रकबा, खसरा नंबर व अन्य तकनीकी जानकारियों को चेक किया जाएगा। क्योंकि इनमें गलती की संभावनाएं हो सकती हैं।
पूरी सावधानी के साथ किया जाएगा काम
वरिष्ठ जिला पंजीयक दीपक शर्मा के अनुसार, रजिस्ट्री ऑनलाइन करने का काम महत्वपूर्ण है। इसे पूरी सावधानी के साथ किया जाएगा। क्योंकि, जो रिकॉर्ड उपलब्ध है, वह नाजुक स्थिति में है। इसके लिए एक प्रक्रिया तय की गई है। दो ऑपरेटर एक-एक रजिस्ट्री का मेटा डाटा बनाएंगे। फिर मिलान होगा। दोनों सही होने पर विभागीय अफसर 10 प्रतिशत रजिस्ट्री की रेंडम चेकिंग करेंगे। इन रजिस्ट्रियों की पीडीएफ फाइल तैयार की जाएगी। किसी तरह की हेराफेरी की आशंका दूर करते हुए स्कैंनिक का कार्य सीसीटीवी सर्विलांस की निगरानी में किया जाएगा।
Published on:
07 Jun 2023 01:43 pm
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