
mp election 2023
इंदौर। चुनावी आम सभाओं के लिए राजनीतिक दलों की पहली पसंद हमेशा से राजबाड़ा का चौक था। 1999 के लोकसभा चुनाव में यहां ऐतिहासिक सभा हुई, जिसे भाजपा के वरिष्ठ नेता अटलबिहारी वाजपेयी ने संबोधित किया था। सभा में शामिल होने वालों के साथ अखबारों में प्रकाशित तस्वीर देखने वालों की आंखों में वह मंजर आज भी कायम है। पुलिस चौकी के पास लाल किले का मंच बना था और वाजपेयी के आने से पहले ही राजबाड़ा और आसपास का पूरा इलाका भर गया था।
यशवंत रोड चौराहा, कृष्णपुरा छत्री, खजूरी बाजार, इमली बाजार और सराफा की गली में पैर रखने की जगह नहीं थी। महिलाओं की भी अथाह भीड़ थी, जिनकी व्यवस्था इमली बाजार की तरफ की गई थी। माहौल को देखकर ही राजनीतिक पंडितों ने अंदाजा लगा लिया था कि सुमित्रा महाजन चुनाव जीतेंगी। बाद में हुआ भी वही। शायद राजबाड़ा की चुनावी रौनक की वह आखिरी सभा थी। इसके बाद हर चुनाव में यहां का माहौल फीका रहा।
चिमनबाग नहीं बन सका विकल्प
दो दशक पहले हाई कोर्ट ने राजबाड़ा पर सभा और एमजी रोड पर रैली प्रतिबंधित कर दी थी। सिर्फ 22 धार्मिक यात्राओं को अनुमति दी गई, जो परंपरागत रूप से निकल रही थीं। राजबाड़ा की जगह कुछ समय चिमनबाग ने भी ली पर माहौल नहीं बना। राजनीतिक दलों की तलाश दशहरा मैदान पर जाकर पूरी हुई। उसके बाद से वह सभी की पहली पसंद बन गया। सबसे बड़ा आयोजन 2019 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी की सभा रही।
इसलिए भी पसंद दशहरा मैदान
दशहरा मैदान को पसंद करने के पीछे की वजह यह भी है कि सभा स्थल से लगे दो बड़े मैदान पर पार्किग के लिए काफी जगह है। राऊ, महू और पांच नंबर से आने वाले वाहनों की पार्किंग चाणक्यपुरी की ओर हो जाती है तो एक, दो, तीन के वाहनों के लिए लालबाग, आरटीओ रोड के आसपास पर्याप्त जगह है। चार नंबर क्षेत्र के लोग दशहरा मैदान के आसपास गाडिय़ां पार्क कर देते हैं। भाजपा-कांग्रेस के लिए एक, तीन, चार और राऊ से भीड़ जुटाना आसान हो जाती है।
Updated on:
16 Oct 2023 11:30 am
Published on:
16 Oct 2023 11:28 am
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