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भविष्य पर संकट: एमपी के 35 कॉलेजों में बंद हो गई ‘कोर ब्रांच’, ढूंढ़ने से भी नहीं मिलेंगे सिविल इंजीनियर

Engineers Day 2025एमपी के 15 कॉलेजों में मैकेनिकल, 6 मेें इलेक्ट्रिकल, 14 मेें सिविल ब्रांच बंद कर दी गई। भोपाल में 6 कॉलेजों और इंदौर में 3 ने कोर ब्रांच बंद कर दी है। एक्सपर्ट्स ने जताई भविष्य पर चिंता...

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Engineering Day 2025

Engineering Day 2025 (फोटो- AI)

Engineers Day 2025: प्रदेश के 35 इंजीनियरिंग कॉलेजों ने सिविल, मैकेनिकल और इलेक्ट्रिकल जैसी कोर ब्रांच बंद कर दी। कम्प्यूटर साइंस (सीएस) और इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (आइटी) में मांग बढऩे और कैंपस प्लेसमेंट के आकर्षण के कारण कॉलेजों ने कोर ब्रांच से तौबा किया है। प्रदेश के 839 इंजीनियरिंग कॉलेजों में बी. टेक के कोर्स चलाए जाते हैं। इनमें इस साल 35 कॉलेजों ने सिविल, मैकेनिकल, इलेक्ट्रिकल ब्रांच बंद कर दी। 131 कॉलेजों में से 15 ने मैकेनिकल तो 35 में से 6 कॉलेजों ने इलेक्ट्रिकल और 119 कॉलेजों में से 14 ने सिविल इंजीनियरिंग ब्रांच बंद कर दी।

आने वाले सालों में ढूंढ़ने पड़ेंगे कोर इंजीनियर

सिविल और मैकेनिकल ब्रांच बंद करने वाले भोपाल के 5-5 और इंदौर के 3-3 कॉलेज हैं। बताते हैं, कॉलेजों ने कोर ब्रांच के संचालन में आने वाले भारी भरकम खर्च के कारण बंद किया है। कॉलेजों की इन हरकतों परर विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि ऐसा करने से कुछ ही बरसों में कोर इंजीनियरों की कमी दिखेगी। एक साथ बड़ी संख्या में निकलने वाले सीएस/आइटी ग्रेजुएट्स की मांग में भी कमी आएगी। इसका असर युवाओं के भविष्य पर स्पष्ट दिखाई देगा।

मांग का झुकाव एआइ, डेटा, क्लाउड और सॉफ्टवेयर

नौकरियों के आकर्षण से विद्यार्थी बड़ी संख्या में सीएस/आइटी चुन रहे हैं। यह धारणा बनी कि आइटी में पैकेज जल्दी और अच्छे मिलते हैं।

कोर ब्रांच पर ज्यादा खर्च

कोर ब्रांच के लिए भारी मशीनरी, लैब, वर्कशॉप, परीक्षण उपकरण, मेंटेनेंस और सेफ्टी-कम्प्लायंस की लागत ज्यादा आती है। सीएस-आइटी में यह खर्च क्लास, नेटवर्किंग और कम्प्यूटिंग लैब तक ही सीमित रहते हैं।

कम दाखिले भी कारण

कई कॉलेजों में कोर ब्रांच की सीटों पर कम दाखिले हो रहे हैं। कम फिल-रेट वाले विभागों में इंटेक घटाना/रोकना कॉलेजों के लिए प्रशासनिक रूप से आसान है।

भविष्य में बर्बाद कर देगा पूरा सिस्टम

-फैकल्टी की नौकरी पर संकट: कोर विभागों के फैकल्टी का पलायन।

- ईको-सिस्टम कमजोर: वर्कशॉप, लैब टेक्नीशियन, इंडस्ट्रियल सेफ्टी, टेस्टिंग- कैलिब्रेशन जैसा पूरा ईकोसिस्टम सिकुड़ेगा।

- हार्डवेयर निर्भरता बढ़ेगी: कोर इंजीनियरिंग टैलेंट घटने से हार्डवेयरमैन्युफैक्चरिंग में दूसरे देशों पर निर्भरता बढ़ेगी। डिजाइन से लेकर मैन्युफैक्चरिंग तक की चेन कमजोर पड़ेगी।

- मांग-आपूर्ति असंतुलन: लाखों विद्यार्थी यदि सीएस- आइटी से ही निकलेंगे तो कुछ ही साल में बाजार में उनकी मांग कम होगी। नौकरियां प्रभावित होंगी।

- इनोवेशन में बाधा: डीपटेक, रोबोटिस, ऑटोमेशन, ईवी, ग्रीन-एनर्जी, सेमीकंडटर क्षेत्रों इनोवेशन मंद पड़ेगा।

- क्षेत्रीय विकास पर असर: ट्रेंड इंजीनियरों की कमी से इन्फ्रा, ऊर्जा, मैन्युफैचरिंग आधारित लोकल प्रोजेक्ट प्रभावित होंगी।

इन कॉलेजों में ब्रांच बंद सिविल: 119 में से 14 ने की बंद

- प्रेस्टिज इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड रिसर्च, भोपाल ठ्ठ राजीव गांधी प्रौद्योगिक महाविद्यालय, भोपाल

- सागर इंस्टीट्यूट ऑफ रिसर्च टेक्नोलॉजी एक्सीलेंस, भोपाल

- यूनिवर्सिटी इंस्टीटयूट ऑफ टेक्नो आरजीपीवी, भोपाल

- एनआरआइ इंस्टीट्यूट ऑफ इन्फॉर्मेेशन साइंस टेक. भोपाल

- कॉर्पोरेट इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस-टेक्नोलॉजी, भोपाल

- एस्ट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड रिसर्च, इंदौर ठ्ठ चमेलीदेवी ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस, इंदौर

कोर ब्रांच का कोई विकल्प नहीं

कोर ब्रांच का कोई विकल्प नहीं है। समय के साथ इनकी मांग घटती-बढ़ती रही है, पर खत्म नहीं होती। ब्रांच बंद करना दूरदर्शी निर्णय नहीं है। इससे आगे उद्योग को स्किल-गैप की भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है।

-डॉ. अर्चना कीर्ति चौधरी, प्राचार्य निजी कॉलेज।