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लाखों लीटर पानी की हर रोज बर्बादी​, समझें आपके घर का ग​णित

आरओ से व्यर्थ बह रहे लाखों लीटर पानी रोकने की कौन लेगा जिम्मेदारी, बड़ी आबादी बोरिंग के पानी पर निर्भर, इसे शुद्ध करने के लिए सबसे ज्यादा पानी बर्बाद

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लाखों लीटर पानी की हर रोज बर्बादी​, समझें आपके घर का ग​णित

लाखों लीटर पानी की हर रोज बर्बादी​, समझें आपके घर का ग​णित

भूपेंद्र सिंह@इंदौर. साफ पानी पीने के लिए हर कोई प्रयास करता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि शहर में लाखों लीटर पानी पीने लायक बनाने में व्यर्थ हो रहा है। शहर की बड़ी आबादी बोरिंग के पानी पर निर्भर है। इस पानी को शुद्ध करने में सबसे ज्यादा पानी की बर्बादी होती है। नर्मदा और बोरिंग के पानी को पीने लायक बनाने के लिए हर तीसरे-चौथे घर में आरओ यानी रिवर्स ऑस्मोसिस सिस्टम लगा है।

एक आरओ प्लांट संचालक के अनुसार, 1 लीटर पानी को साफ करने के लिए दोगुना और कई बार उससे ज्यादा पानी लगता है। बोरिंग के पानी में सबसे ज्यादा पानी व्यर्थ बहता है। नर्मदा के पानी में आरओ से कम पानी बहाना पड़ता है। इंदौर नगर निगम के सामने बड़ा सवाल है कि सबसे ज्यादा पानी बोरिंग के कारण बह रहा है। शत-प्रतिशत लोगों तक नर्मदा का पानी पहुंचे तो बात बने।

ये होता है टीडीएस
पानी में मौजूद मिनरल्स, सोडियम, मैग्नीशियम, कैल्शियम की मात्रा को टीडीएस (टोटल डिसाल्वड सॉलिड्स) कहा जाता है। एक निश्चित मात्रा में टीडीएस स्वास्थ्य के लिए सही माना जाता है। अधिक होने पर हानिकारक भी होता है। नर्मदा के पानी में टीडीएस की मात्रा स्वास्थ्य के लिहाज से सही है, लेकिन इसे कम कर देने से स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। बोरिंग के पानी में ज्यादा टीडीएस होता है।

नर्मदा का पानी 500 टीडीएस से कम, आरओ जरूरी नहीं
एक्सपर्ट दिलीप वाघेला बताते हैं कि नर्मदा के पानी में टीडीएस 500 से कम होता है, इसलिए इस पानी को आरओ में प्यूरीफाय करने की जरूरत नहीं है। चाहें तो फिल्टर किया जा सकता है। इंदौर के बोरिंग के पानी में टीडीएस 700 से 1 हजार के आसपास होता है। बोरिंग के पानी को आरओ से साफ करने के बाद जो पानी बच जाता है, उसका टीडीएस 1200 से 2100 के बीच तक हो सकता है। जो पीने लायक नहीं होता। यहां तक की 2100 टीडीएस वाला पानी सामान्य उपयोग लायक भी नहीं होता। 1200 से 1300 टीडीएस तक का पानी उपयोग किया जा सकता है, लेकिन ये आरओ और बोरिंग के पानी पर निर्भर करता है कि वेस्ट पानी में कितना टीडीएस बचता है।

एनजीटी भी जता चुका है चिंता
व्यर्थ बहने वाले पानी पर एनजीटी भी चिंता जता चुका है। यहां तक कि जिस शहर के पानी का टीडीएस 500 से कम है, वहां आरओ पर प्रतिबंध लगाने की बात कह चुका है। पॉलिसी और नियम बनाने की भी बात हुई, लेकिन हुआ कुछ नहीं। निगम शहर की बड़ी आबादी को नर्मदा का पानी नहीं पिला पा रहा है, जिससे अधिक मात्रा वाला टीडीएस का पानी व्यर्थ हो रहा है, जो जमीन के लिए भी हानिकारक है।

50 लाख लीटर से अधिक पानी हर रोज व्यर्थ
शहर की जनसंख्या 30 लाख के आसपास है। निगम की स्थिति देखें तो 65 से 70 प्रतिशत जनता तक ही नर्मदा का पानी पहुंच रहा है। 35 से 40 प्रतिशत जनता अन्य स्रोतों पर निर्भर है। इसमें बोरिंग बड़ा स्रोत है। 8 लाख से ज्यादा लोग बोरिंग का पानी उपयोग करते हैं। इसमें से करीब 60 प्रतिशत लोग पानी को आरओ से शुद्ध करते हैं। नर्मदा के पानी के लिए भी इसका उपयोग किया जाता है। लिहाजा रोजाना 50 लाख लीटर से ज्यादा पानी शुद्ध जल के लिए व्यर्थ बहा दिया जाता है। ये गणित तो घर का है। शादी-ब्याह व अन्य आयोजन और प्रतिष्ठानों में उपयोग के लिए प्लांट से आना वाले पानी की कहानी अलग है।