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खतरनाक: शहर में कानफोडू़ शोर से आम जनता परेशान, दिन में बढ़ा रहा बेचैनी, रात में भी 4 गुना अधिक

शहरवासियों की सेहत के लिए इतना खतरनाक 50 डेसिबल तक ही तेज आवाज सुनने की क्षमता, लेकिन 67 डेसिबल तक हो रहा दर्ज

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noise pollution

इंदौर। शहर में ध्वनि प्रदूषण इस कदर है कि न तो दिन में चैन है और न रात में सुकून। दिन में ध्वनि प्रदूषण का स्तर 67 डेसिबल के पार तो रात में 45 डेसिबल तक है। जबकि, तेज आवाज सुनने की हमारी अधिकतम क्षमता 50 डेसिबल तक ही होती है। रात में ध्वनि का स्तर 10 से 20 डेसिबल होना चाहिए, लेकिन आधी रात को भी पैरामीटर 30 से 45 तक यह स्तर बता रहा है। यह स्थिति गंभीर रूप से चिंताजनक है। शहर का ऐसा कोई चौक-चौराहा नहीं है, जहां ध्वनि प्रदूषण का स्तर सामान्य हो। रहवासी क्षेत्रों में भी शोर अधिक है। यह शोर लोगों के दिमाग पर असर डाल रहा है। चौराहों की स्थिति तो और खराब है। सिग्नल बंद होने पर बड़ी संख्या में वाहन चालक एक साथ हॉर्न बजाकर एक-दूसरे की मुश्किलें बढ़ा रहे हैं।

ध्वनि प्रदूषण के ब्लैक स्पॉट

क्षेत्र दिन रात

राजबाड़ा- 64 -43

लवकुश चौराहा- 67- 45

गंगवाल -64- 51

रेडिसन चौराहा -62- 50

आइटी पार्क -63- 41

बंगाली चौराहा -65- 43

पोलोग्राउंड -69- 45

सियागंज -64- 47

एयरपोर्ट -60 -61

व्हाइट चर्च -63- 42

महू नाका- 63 -46

स्टेशन- 67 -58

बापट चौराहा- 64 -49

पलासिया- 65- 48

रीगल तिराहा -64- 44

विजय नगर -57- 37

(ध्वनि प्रदूषण डेसिबल में)

एयरपोर्ट, रेडिसन, गंगवाल की स्थिति ज्यादा खराब

ध्वनि प्रदूषण की ज्यादा बुरी स्थिति एयरपोर्ट, रेडिसन, गंगवाल स्टैंड, महू नाका क्षेत्र की है। यहां रात में भी 50 डेसिबल से अधिक ध्वनि प्रदूषण का स्तर दर्ज हुआ है। सुबह 6 बजे से ही प्रदूषण 40 डेसिबल तक हो जाता है। सुबह 10 बजे ही 60 पार की स्थिति बन जाती है, जो शाम 5 बजे तक ऐसी ही रहती है। रात 8 से 10 बजे तक 70 डेसिबल के करीब ध्वनि प्रदूषण पहुंच जाता है। रात में 2 से 3 बजे भी ध्वनि प्रदूषण का स्तर 30 डेसिबल से अधिक दर्ज किया गया है। यहां के लोग शोर से बेजार हैं।

एसएन पाटिल, मुख्य रसायनज्ञ, क्षेत्रीय कार्यालय प्रभारी, एमपीसीबी इंदौर का कहना है कि समय-समय पर ध्वनि प्रदूषण की जांच कर संबंधित विभागों को रिपोर्ट दी जाती है। वाहन चालक इसे लेकर गंभीर नहीं हैं। अवांछित हॉर्न बजाने पर यातायात पुलिस को कार्रवाई करनी चाहिए।