
VIDEO : स्वास्थ्य मंत्री गुस्से में डॉक्टरों से बोले, मुझे चलाने की कोशिश मत करो
इंदौर. प्रदेश के लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री तुलसी सिलावट ने प्रदेश में पहली बार संभाग स्तरीय बैठक की शुरुआत की। तीन घंटे चली जिलेवार समीक्षा में विभाग की कई लापरवाहियों की पोल मंत्री के सामने खुल गई। विभाग की लापरवाही सामने आने पर सिलावट ने कहा, मैं जमीन से जुड़ा आदमी हूं। मुझे चलाने की कोशिश मत करना। उन्होंने नाराजगी जताते हुए कहा, आप सभी के पास छह माह का वक्त है, व्यवस्थाएं सुधार लें। ऐसी व्यवस्थाएं बनाएं, जिससे हर मरीज को स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ मिल सके। साथ ही उन्होंने हर 6 माह में संभागीय बैठक का आयोजन करने की बात कही।
बिलियंट कन्वेंशन सेंटर आयोजित बैठक में सिलवाट ने कहा, शासन द्वारा स्वास्थ्य को लेकर रोडमेप तैयार किया गया है। इसमें 38 बिंदु मेरे अपने स्वास्थ्य परिवार के हैं, इसलिए इन बिंदुओं को मन में उतार लें और परिवार की भांति व्यवहार में लाएं। बैठक में डॉक्टरों की कमी का मामला उठा तो सिलावट ने कहा, मुख्यमंत्री द्वारा हाल ही में 1800 से अधिक डॉक्टरों की भर्ती की अनुशंसा की गई है। जल्द भर्ती होगी। आशा कार्यकर्ताओं और एएनएम को विभाग की रीढ़ की हड्डी बताते हुए प्रदेश स्तरीय सम्मेलन करने की बात कही। संभागीय बैठक में सभी जिलों के सीएमएचओ, सिविल सर्जन, के साथ इंदौर कमिश्नर आकाश त्रिपाठी आदि मौजूद थे।
जिन बच्चों का इलाज नहीं हुआ उनका क्या
राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत संभाग में 11,84, 300 बच्चों की जांच वर्ष 2018 में कर 1,30,378 बच्चों का चयन इलाज के लिए किया गया। इनमें से 93,283 बच्चों का इलाज किया गया, जबकि 1973 बच्चों को ऑपरेशन के लिए चुना गया। 35,122 बच्चे ऐसे हैं, जिनका इलाज अब तक नहीं हुआ। सीएमएचओ ऐसे बच्चों के बारे में जानकारी नहीं दे पाए। इंदौर में 19,755 बच्चों का चयन किया गया, इनमें से 14,563 बच्चों का इलाज और 411 बच्चों के ऑपरेशन हुए।
मलेरिया विभाग को जादूगरी पड़ी महंगी
इंदौर जिले में मलेरिया के मरीज वर्ष 2017 और 2018 में शून्य दिखाए गए। अन्य जिलों में यह आंकड़ा सौकड़ों मरीजों तक था। मंत्री सिलावट ने पूछा, क्या इंदौर में मलेरिया जड़ से खत्म हो गया है? इसपर जिला मलेरिया अधिकारी डॉ. धमेन्द्र जैन ने कहा, हम आडीटी जांच की बजाए स्लाइड में जांच कराते हैं। गत वर्ष स्लाइड में 49 मरीजों की पुष्टि हुई थी। इस पर मंत्री ने फटकार लगाते हुए कहा, जब समीक्षा के लिए आंकड़े मांगे थे, तब क्यों सही आंकड़े नहीं दिए?
20 प्रतिशत भी हॉस्पिटल में क्यों नहीं
सरकारी अस्पतालों में प्रसव के लिए करोड़ों रुपए खर्च करने के साथ नि:शुल्क पोषक आहार और दवाएं दी जा रही हैं। इंदौर में 94 प्रतिशत प्रसव हॉस्पिटल में होते हैं। इनमें 45 प्रतिशत निजी हास्पिटल में हो रहे है। संभाग में 20 प्रतिशत मामले अस्पताल तक नहीं पहुंचने का आंकड़ा देख मंत्रीजी ने जमकर नाराजगी जताई। कहा, सरकार द्वारा दी जा रही तमाम सुविधाओं के बाद सरकारी अस्पतालों में प्रसव के लिए आने वाले मरीज को जेब से खर्च करने की भी शिकायतें मिल रही है। फटकार लगाते हुए कहा, इंदौर में 1804 रुपए व अन्य जिलों के लिए भी राशि तय है। ऐसे में लोगों को राशि क्यों खर्च करना होती है।
साहब! सुबह 9 बजे टिफिन ले कर निकलता हूं
बुरहानपुर जिले में बच्चों के दवाई वितरण के आंकड़े देख कर मंत्री सिलावट ने कहा, आप तो 100 प्रतिशत को भी क्रास कर गए। आपने वृध्दि 106 प्रतिशत दिखाइ है। कैसे संभव है? अधिकारी ने कहा, साहब सुबह 9 बजे टिफिन ले कर निकलता हूं, इसके बाद शाम तक मेहनत करता हूं।
डेंगू का पूरा दबाव इंदौर पर
डेंगू के मरीजों की बात आई तो इंदौर में अन्य जिलों के मुकाबले मरीजों की संख्या कई गुना निकली। इसकी मुख्य वजह मरीजों का स्थानीय जिला अस्पतालों में इलाज की बजाए सीधे इंदौर रैफर करना है। इसको लेकर भी नाराजगी जताई गई। सभी जिला अस्पतालों में डेंगू के मरीजों के इलाज की व्यवस्था करने के निर्देश दिए।
सरकारी अस्पतालों में प्रसव का इतना खर्च
जिला - खर्च
इंदौर - 1804 रुपए
Published on:
31 Jan 2019 09:33 am
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