
इंदौर. शहर के चर्चित हेमेंद्र डोंगरे हत्याकांड में करीब ढाई साल बाद सोमवार को फैसला आ गया। कोर्ट ने हेमेंद्र की पत्नी और चश्मदीद गवाह अर्चना डोंगरे सहित करीब आधा दर्जन गवाहों के पक्षद्रोही होने व सबूतों के अभाव में पांचों आरोपितों को बरी कर दिया।
शाम करीब पांच बजे खचाखच भरी कोर्ट में अपर सत्र न्यायाधीश पंकज सिंह माहेश्वरी ने यह फैसला सुनाया। कोर्ट ने गलत और झूठे बयान देने के मामले में अर्चना डोंगरे और हेमेंद्र के चाचा मुकेश डोंगरे के खिलाफ धारा १९३ और १९४ के तहत अलग से जेएमएफसी कोर्ट में केस चलाने के आदेश दिए।
मुकेश ने इस हत्याकांड की विजय नगर थाने में रिपोर्ट लिखवाई थी, जबकि अर्चना ने धारा १६४ के बयान में उसके सामने हत्या होने की बात कही थी। केस के ट्रायल के दौरान दोनों ही पक्षद्रोही हो गए थे। मालूम हो कि २९ अगस्त २०१५ को हेमेंद्र डोंगरे की हत्या कर दी गई थी।
सास-ससुर सहित सभी बरी, बयान से पलटी अर्चना और मुकेश पर चलेगा मुकदमा
शहर के चर्चित हेमेंद्र डोगरे हत्याकांड में सोमवार शाम अपर सत्र न्यायाधीश पंकज सिंह माहेश्वरी ने जब फैसला सुनाया तो आरोपियों के चेहरे खुशी से खिल उठे। दरअसल, कोर्ट ने हत्याकांड में सभी पांचों आरोपित को बरी कर दिया।
मालूम हो कि इस केस में अर्चना के पिता परसराम आरोलिया, मां विमला आरोलिया, चाचा गरसिंह, चचेरे भाई शैलेंद्र सिंह और हरीश सिंह उर्फ हरिसिंह आरोपी थे। फैसले के समय हथकड़ी पहने परसराम गर्दन झुकाए खड़ा था। जज ने सभी से नाम और पिता के नाम पूछे। नाम बताने के बाद पूरे समय परसराम भगवान का नाम जपता रहा।
सात अन्य गवाह भी पक्षद्रोही हो गए
कोर्ट में झूठे बयान देने के मसले में अर्चना डोंगरे और हेमेंद्र के चाचा मुकेश डोंगरे के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा १९३ और १९४ के तहत अलग से जेएमएफसी कोर्ट में केस चलाने के आदेश दिए हैं। मुकेश ने इस हत्याकांड की विजय नगर थाने में रिपोर्ट लिखाई थी, जबकि अर्चना ने अपने बयान में उसके सामने हत्या होने की बात कही थी। ट्रायल के दौरान दोनों ही पक्षद्रोही हो गए थे। अर्चना के कोर्ट में पलटने के बाद केस कमजोर हो गया था। १७ अन्य गवाहों में से ७ अन्य गवाह भी पक्षद्रोही हो गए थे।
प्रेम विवाह के खिलाफ था परिवार
पुलिस के अनुसार अर्चना और हमेंद्र ने प्रेम विवाह किया था। इसके खिलाफ अर्चना के पिता परसरराम सहित पूरा परिवार था। २९ अगस्त (रक्षाबंधन) को हेमेंद्र को राखी बांधने के लिए घर बुलाया था और आरोप था कि घर में चुन्नी से गला घोंट कर हेमेंद्र की हत्या कर दी गई व अर्चना पर जानलेवा हमला किया गया।
हालांकि, उपचार के बाद उसकी जान बच गई। सोमवार को सजा सुनाने के वक्त सभी पांचों आरोपियों को कोर्ट में पेश किया गया। परसराम और गरसिंह जेल में थे, बाकी तीन की जमानत पहले ही हो चुकी थी।
फुटेज तक पेश नहीं कर सकी पुलिस
आरोपित के वकील एलएल यादव ने कहा कि पुलिस ने चालान में घटना को लेकर जो कहानी पेश की थी, अभियोजन पक्ष वह कहानी कोर्ट में साबित ही नहीं कर सका। पुलिस के जिन दो आरक्षकों को चश्मदीद गवाह के रूप में पेश किया गया, उनके बयान भी नाकाफी रहे। घटना को स्पष्ट नहीं कर पाए।
घटना के समय जिस सीसीटीवी कैमरे के फुटेज की बात की गई, वे भी कोर्ट में पेश नहीं किए गए। १८ गवाहों के बयान अभियोजन की ओर से कराए गए थे। बावजूद इसके वे कुछ भी साबित नहीं कर पाए।
Updated on:
19 Dec 2017 01:45 pm
Published on:
19 Dec 2017 12:16 pm
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