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BREAKING : हाई कोर्ट की भावुक टिप्पणी, मुआवजे से नहीं हो सकती मासूम बच्चों की मौत की भरपाई

सरकार से कहा, छह माह में एमवाय में फुली ऑटोमैटिक गैस मैनेजमेंट सिस्टम लगाएं

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BREAKING : हाई कोर्ट की भावुक टिप्पणी, मुआवजे से नहीं हो सकती मासूम बच्चों की मौत की भरपाई

इंदौर. मप्र हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल एमवाय को लेकर दायर जनहित याचिकाओं को स्वीकारते हुए निर्देश दिया है कि राज्य सरकार छह माह में एमवाय में फुली ऑटोमैटिक गैस मैनेजमेंट सिस्टम लगाए।

जस्टिस एससी शर्मा व जस्टिस वीरेंद्र सिंह की डिविजन बेंच ने याचिकाकर्ता प्रमोद द्विवेदी की ओर से अधिवक्ता मनीष यादव, गोरधन यादव की ओर से अधिवक्ता शन्नो शगुफ्ता खान और ममता कुमावत की ओर से अधिवक्ता मुकेश कुमावत के तर्कों से सहमत होकर द्वारा याचिकाओं का निराकरण करते हुए राज्य सरकार को कई निर्देश दिए। गौरतलब है 2016 में एमवाय में ऑक्सीजन सप्लाय में गड़बड़ी के कारण दो बच्चों की मौत हो गई थी। न्यायालय ने 24 जनवरी को सभी पक्षों को सुनकर फैसला सुरक्षित रखा था जिसे शुक्रवार देर राज जारी किया। उक्त फैसले के बाद एम वाय अस्पताल का कायाकल्प होने की उम्मीद जागेगी।

दोषियों के खिलाफ हो कार्रवाई

ज्ञात रहे एमवाय की तमाम अव्यवस्थाओं को लेकर तीन जनहित याचिकाएं लगाई गई थीं। कोर्ट के निर्देश पर रिटायर्ड न्यायाधीश राज कुमार पांडे की अध्यक्षता में गठित कमेटी ने अपनी रिपोर्ट पेश की थी। अपने फैसले में घटना को बेहद दुर्भाग्यपूर्ण मानते हुए कोर्ट ने कहा कि जांच कमेटी ने जिन्हें, घटना के लिए दोषी माना उनके विरुद्ध आवश्यक नियमानुसार कार्यवाही सरकार करें।

बनाएं एक्शन प्लान

एमवाय अस्पताल इंदौर का सबसे पुराना सरकारी अस्पताल है, जहां अधिकतर गरीब वर्ग के मरीज आते हैं। हालात बदहाल हैं। इसके चलते कोर्ट ने मुख्य सचिव को निर्देश दिए 45 दिन में यहां की व्यवस्थाएं दुरुस्त करने का एक्शन प्लान बनाएं।

स्पेशल ऑडिट कराएं

एमवाय के फंड के दुरुपयोग की शिकायत पर कोर्ट ने स्पेशल ऑडिट कराने के निर्देश दिए। मृतक के परिजन को मुआवजे पर कोर्ट ने कहा कि सरकार रिव्यू करे।