कोर्ट ने कहा कि लिव-इन संबंधों का ये अभिशाप नागरिकों के जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की संजैधानिक गारंटी का बाई-प्रोडक्ट है, जो भारतीय समाज के लोकाचार को निगल रहा है। तीव्र कामुक व्यवहार के साथ व्याभिचार को बढ़ावा दे रहा है, जिससे यौन अपराधों में इजाफा हो रहा है। अदालत ने कहा कि, जो लोग लिव-इन की इस आजादी का शोषण करना चाहते हैं, वे इसे तुरंत अपनाते हैं, लेकिन वे इस बात से पूरी तरह अनजान हैं कि, इसकी सीमाएं हैं। यह स्वतंत्रता दोनों में से किसी भी साथी को एक-दूसरे पर कोई हक प्रदान नहीं करता है।
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ये है मामला
25 वर्षीय आरोपी और पीड़ित महिला काफी समय तक लिव-इन में रहे। महिला का आरोप है कि, आरोपी के दबाव में दो बार गर्भपात कराया। जब महिला ने किसी और व्यक्ति से सगाई कर ली तो दोनों के संबंध बिगड़े। आरोप है कि, लिव इन पार्टनर ने महिला के ससुराल पक्ष को वीडियो भेजकर धमकाया कि, महिला से शादी की तो वह आत्महत्या कर लेगा। महिला के वकील ने अदालत को बताया कि, इससे उसकी सगाई टूट गई।
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