
1100 साल पहले तपस्वी उड़ा कर ले जा रहा था मंदिर, इसलिए यहां करना पड़ा स्थापित
राजेंद्र धोका. बदनावर/इंदौर. सावन में हर जगह शिव के जयकारे गूंज रहे हैं। आपने शिव मंदिर तो काफी देखे होंगे, लेकिन आज हम आपको ऐसे शिव मंदिर के बारे में बता रहे हैं जो उडक़र बदनावर पहुंचा था। यहां स्थित श्री बैजनाथ महादेव मंदिर लोगों की आस्था का प्रमुख केंद्र है। 1100 साल पुराने परमारकालीन बैजनाथ महादेव मंदिर को उड़निया मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। किवदंती है कि पूर्व काल में कोई तपस्वी अपने तबोबल से इस मंदिर को उड़ाकर ले जा रहे थे, लेकिन सूर्योदय का समय होते ही उन्हें यहां स्थापित करना पड़ा।
उडिय़ा शैली में बने होने के कारण इसे उडिय़ा मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। मंदिर के नाम से नपं प्रतिवर्ष मेला आयोजित करती है। सावन में भोलेनाथ की अंतिम शाही सवारी नयनाभिराम झांकियों एवं अखाड़ों के हैरतअंगेज कारनामों के साथ निकलना भी यहां के सांस्कृतिक प्रमुख पर्वों में शामिल है। शिवरात्रि, श्रावण मास के अलावा भी बड़ी संख्या में यहां दर्शनार्थियों का जमावड़ा रहता है।
मंदिर के पत्थरों में हो रहा क्षरण
यह मंदिर 1984 से पुरातत्व विभाग के संरक्षण में है। 64 फीट ऊंचाई का यह मंदिर जितना बाहर मनमोहक है, उतना ही अंदर भी भव्य है। श्री बैजनाथ महादेव मंदिर के पत्थरों में अब क्षरण हो रहा है। जरा सा हाथ लगते ही पत्थर खिरने लगते हैं। प्रत्येक दो तीन सालों में विभाग द्वारा पत्थरों की केमिकल से धुलाई की जाती है, जिससे पत्थर में लगे कीड़े समाप्त होने से क्षरण होना बंद हो जाता है। गत 5 सालों से केमिकल से धुलाई नहीं होने के कारण क्षरण की प्रक्रिया तेज हो गई है, जिससे पुरातन धरोहर का अस्तित्व खतरे में पड़ता नजर आने लगा है। मंदिर पुरातत्व विभाग के अधीन है। इसकी देखरेख के लिए विभाग द्वारा केयर टेकर भी नियुक्त किया गया है, लेकिन जवाबदार द्वारा ध्यान नहीं दिए जाने का खामियाजा पुरातन धरोहर भुगत रही है। मंदिर के पीलर के पत्थर भी टूटने लगे हैं। वहीं इमारत पर नक्काशी की जाकर बनाई प्रतिमाएं भी खंडित होने लगी है। मंदिर के शिखर पर ध्वजा आदि बदलने के दौरान चढऩे में भी लोग डरने लगे हैं।
पूरी होती है मनोकामना
ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर में सभी की मनोकमनाएं पूरी होती है। शिवजी के अभिषेक और मनोवांछित फल के लिए भक्त उत्सुक रहते हैं। सावन में यहां श्रद्धालुओं का कतार लगी रहती है।
- प्राचीन धरोहर में यदि क्षरण जैसे हालात बन रहे है, तो शीघ्र ही पुरातत्व विभाग को पत्र भेजकर अवगत कराते हैं। प्राधिकरण स्तर पर भी श्री बैजनाथ महादेव मंदिर के लिए बेहतर प्रयास करेंगे
महेंद्रसिंह पीपलीपाड़ा, उपाध्यक्ष, मप्र मेला एवं तीर्थ प्राधिकरण
Published on:
04 Aug 2018 04:50 pm
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