
hydroponics technology: इंदौर के होलकर विज्ञान महाविद्यालय के विद्यार्थी और शिक्षक अब सब्जियां मिट्टी में नहीं, बल्कि पानी में उगा रहे हैं वो भी बिना कीटनाशक। इसके लिए हाइड्रोपोनिक्स तकनीक का इस्तेमाल किया है। पढ़ाई के साथ यह नवाचार अब अंतरराष्ट्रीय स्तर की खेती की तकनीक के रूप में सामने आया है। यह तकनीक शहरों में रूफटॉप फार्मिंग, इनडोर गार्डनिंग और जलसंकटग्रस्त क्षेत्रों के लिए बेहद कारगर है। ऐसे में बिना खेत के भी लोग घरों में ही जैविक सब्जियां उगा पाएंगे।
कॉलेज का यह प्रोजेक्ट अब शिक्षण, रिसर्च और इनोवेशन का मॉडल बन चुका है। कई विद्यार्थी यहां से इंटर्नशिप और ट्रेनिंग लेकर खुद की शहरी खेती शुरू कर चुके हैं। यह यूनिट डेमो सेंटर बन गया है, जहां दूसरे कॉलेजों के छात्र-शिक्षक भी आकर सीख रहे हैं। सृजन 2025 भोपाल में इच बकेट सिस्टम ग्रामीण क्षेत्रों के लिए हाइड्रोपोनिक्स प्रोजेक्ट पर होलकर टीम को द्वितीय पुरस्कार मिला। एमपीसीएसटी युवा वैज्ञानिक अधिवेशन में समीरा मंसूरी को युवा वैज्ञानिक पुरस्कार से मिला है।
हाइड्रोपोनिक्स ऐसी कृषि प्रणाली है जिसमें पौधों को मिट्टी की बजाय पोषक तत्यों से भरपूर पानी में उगाया जाता है। एयरोपोनिक्स में जड़ों पर केवल पोषक धुंध का छिड़काव किया जाता है। इस तकनीक से बिना खेत, कम जगह और बेहद कम पानी में भी पालक, लेट्यूस, पुदीना जैसे पौधे उगाए जा रहे हैं। इससे पानी की बचत के साथ ही कीटनाशक-मुक्त उत्पादन भी संभव हो रहा है।
2022 में कॉलेज के वनस्पति शास्त्र विभाग ने छोटा-सा प्रायोगिक यूनिट लगाया था। विद्यार्थियों को नई तकनीक से पौधे उगाने, पोषक मिश्रण तैयार करने, पीएच और इसे मापने जैसे कार्यों में हाथ से अनुभव कराया गया। धीरे-धीरे यह प्रयोग अब एक अनुसंधान केंद्र बन गया है।
हाइड्रोपोनिक सिस्टम के जरिए औषधीय पौधे जैसे रोजमेरी और पुदीना पर रिसर्च हो रही है। खास बात यह है कि यह पौधे तेजी से बढ़ते हैं और इनमें मौजूद फाइटोकेमिकल्स (औषधीय तत्व) की मात्रा भी बेहतर मिली है। विभाग की एचओडी डॉ. संजीदा इकबाल के मार्गदर्शन में पीएचडी छात्रा समीरा मंसूरी इस रिसर्च को आगे बढ़ा रही हैं। इस शोध के जरिए यह बताना चाहती हैं कि बिना मिट्टी और कीटनाशक के भी स्वस्थ और गुणकारी फसलें उगाई जा सकती हैं।
Published on:
19 May 2025 08:38 am
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