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अगर समय रहते ठोस इंतजाम नहीं किये, तो डूब जाएगा भारत के इस तेज रफ्तार शहर का बड़ा हिस्सा

अगर समय रहते ठीक नहीं किये ड्रेनेज सिस्टम तो शहरवासियों के लिए मुसीबत बन जाएंगे जलभराव वाले ये 203 इलाके।

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अगर समय रहते ठोस इंतजाम नहीं किये, तो डूब जाएगा भारत के इस तेज रफ्तार शहर का बड़ा हिस्सा

इंदौर. इन दिनों मध्य प्रदेश भीषण गर्मी की मार झेल रहा है। आलम ये है कि, सूबे के नौगांव और भिंड जिले का तापमान 48 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच चुका है तो वहीं प्रदेश की आर्थिक नगरी इंदौर का पारा भी 43 डिग्री सेल्सियस के पार जा चुका है। यहां भी लू के साथ साथ चल रहे गर्म हवा के थपेड़ों से जन जीवन अस्त व्यस्त है। इसी बीच मौसम विभाग ने बड़ी भविष्यवाणी करते हुए कहा है कि, जिस तरह गर्मी का सामना करना पड़ रहा है, उसी तरह अधिका बारिश होने की भी संभावनाएं ज्यादा हैं। ऐसे में बात करें इंदौर शहर की तो यहां इस बार भी बारिश आने से पहले ड्रेनेज सिस्टम दुरुस्त करने को लेकर कोई ठोस इंतजाम नहीं किये गए तो बारिश में शहर का बड़ा हिस्सा डूब में आ जाएगा।

अगर बात पिछले साल की करें तो इंदौर शहर में हुई पौन इंच बारिश से शहर के अधिकतर इलाके डूब में आ गए थे। इस बार भी शहर में अगर औसत बरसात भी हुई तो शहरवासियों को बारिश के साथ साथ जल भराव के हालातों का भी सामना करना पड़ सकता है। पिछले साल हुए जल भराव को देखते हुए अधिकारियों ने 251 में से 48 स्थानों को तो दुरुस्त कर दिया है, लेकिन अब भी शहर में ऐसे 203 स्थान बाकी हैं जहां जलभराव हो जाता है। इन इलाकों में न तो स्टॉर्म वाटर लाइन डली है और न ही कोई अन्य दुरुस्त इंतजाम है।


हालांकि, शहर में जलभराव की स्थिति बनने की सबसे बड़ी वजह वाटर प्लस सिटी के नाम हुई मनमानी नाला टैपिंग है। निगम ने बिना प्लानिंग नाले टैप किए, जिससे सीवर का पानी तो नदी में जाने से रुक गया, लेकिन बारिश के पानी की निकासी के रास्ते भी बंद हो गए। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, शहर में सिर्फ 18 स्थानों पर स्टॉर्म वाटर लाइन और 6 स्थानों पर रोड बनी है। साथ ही, 22 स्थानों पर लाइन की सफाई की गई है। लेकिन, शहर के चंद्रभागा, कलेक्ट्रेट चौराहा, पलसीकर, सिंगापुर अंडरपास जैसे प्रमुख इलाकों समेत 203 स्थानों के हालात अब भी जस के तस ही बने हैं।

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ये निगम की लापरवाही है- एक्सपर्ट

एक्सपर्ट्स की मानें तो एक बार में 5 से 6 इंच बारिश में अगर शहर डूबे है तो उसे कोई व्यवस्था नहीं बचा सकती, लेकिन अगर सिर्फ आधा इंच बारिश में शहर डूबने लगे तो ये सीधे तौर पर निगम की कार्यप्रणाली पर सवाल है।। नाला टैपिंग तो की, लेकिन स्टॉर्म वाटर को अनदेखी कर दी। इसपर तो लोगों को नगर निगम पर हर्जाना देने का केस लगाना चाहिए। वहीं, अगर इस स्थित को सुधारने का प्रास भी किया जाए तो ये भी असंभव सी बात है। क्योंकि, बरसाती गतिविधि शुरु होने में अब इतना समय बचा ही नहीं है। कि, बिगड़े हुए 203 इलाकों को दुरुस्त किया जा सके। फिलहाल, किया ये जा सकता है कि, शहर के ऐसे 25 से 30 स्थान चिह्नित किए जाएं, जहां जलभराव से ट्रैफिक जाम या अन्य बड़े नुकसान होते हैं। सिर्फ उन्हीं को दुरुस्त कर लें तो बड़ी मुसीबत टाली जा सकती है।


सुधार नहीं हुआ तो इन इलाकों में भरेगा बारिश का पानी

कलेक्टर चौराहा, चंद्रभागा मेनरोड, जूनी इंदौर ब्रिज के नीचे, बीआरटीएस, मल्हारगंज, गंगवाल बस स्टैंड, गांधी हॉल के पीछे, एमटीएच बस स्टॉप, ब्रिलियंट के सामने, सयाजी के पास, विजयनगर चौराहा, एमआर-9, महालक्ष्मीनगर, पाटनीपुरा चौराहे से साईंद्वार, जंजीरावाला, नरेंद्र हिरवानी गेट, वैशालीनगर, खातीवाला टैंक, खनूजा ग्राउंड, माणिकबाग लाइन आदि इलाकों में इस बार भी बारिश के कारण जलभराव के हालात बनेंगे।

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