
कोचिंग क्लासेस में एक-एक कमरे में पढ़ रहे 40-40 बच्चे, आने-जाने का रास्ता भी सिर्फ एक
इंदौर. सूरत में कोचिंग क्लास की बिल्डिंग में लगी आग के बाद मुख्यमंत्री के आदेश पर नगर निगम ने चार मंजिला और उससे ऊंची इमारतों में अग्निशमन के लिए पर्याप्त व्यवस्था जांचने के लिए अभियान छेड़ा। निगमायुक्त आशीष सिंह ने निगम के भवन अधिकारियों और भवन निरीक्षकों को उनके क्षेत्र की सभी 12.5 मीटर (41 फीट) और उससे ऊंची बिल्डिंगों में अग्निशमन व्यवस्था जांचने के साथ 15 दिन में रिपोर्ट देने को कहा था। बिल्डिंग अफसर दौलतसिंह के मुताबिक, आदेशानुसार शनिवार को जांच रिपोर्ट सौंपी है। कई भवनों में बड़ी कमियां सामने आई हैं।
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सूरत में कोचिंग संस्थान में आग लगने की हृदयविदारक घटना में कई बच्चों की मौत के बाद मध्यप्रदेश सरकार ने अलर्ट जारी किया है। शहर के कोचिंग क्लासेस और होस्टल्स की बिल्डिंग्स में सेफ्टी फीचर्स जांचने के निर्देश दिए गए। जांच के दौरान कई कोचिंग क्लास, तीसरी चौथी मंंजिल पर चलते पाए गए। वहां एक कमरे में 30 से 40 बच्चे पढ़ाए जा रहे हैं, आने-जाने के लिए सिर्फ एक रास्ता है वह भी संकरा। फायर उपकरण भी नहीं है। अगर कोई अग्निकांड या अन्य हादसा हो जाए या रास्ता ही ब्लॉक हो जाए तो बच्चों के लिए ऊपर से कूदने के अलावा कोई विकल्प नहीं है, ऐसे में जनहानि होने की पूरी आशंका है।
अब तक ये हुआ
उच्च शिक्षा मंत्री जीतू पटवारी ने सभी कलेक्टरों को कोचिंग संस्थानों में फायर सैफ्टी की जांच करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा, बच्चों की सुरक्षा में लापरवाही न बरती जाए।
संभागायुक्त आकाश त्रिपाठी ने संभाग के सभी कलेक्टर्स को एसडीएम की अध्यक्षता में अनुविभाग स्तर पर निरीक्षण के लिए कमेटी गठित करवाईं।
शहर में 1000 से अधिक ऐसी इमारतें हैं जो चार मंजिल से ज्यादा ऊंची हैं, जिनकी सुरक्षा जांच की जा रही हैं।
अधिकांश मल्टी स्टोरी बिल्डिंग्स में जनता की जान की कीमत पर नियमों की अनदेखी की जा रही है।
सुरक्षा के प्रमुख बिंदु
भवन के चारों ओर एमओएस खुला है या नहीं। आग लगने पर बचाव कार्य हेतु समुचित स्थान-व्यवस्था होना चाहिए
लिफ्ट चालू होना चाहिए। मेंटेनेंस लगातार हो।
आपातकालीन निर्गम सीढिय़ां जरूरी हैं।
विद्युत लाइनों की दूरी आड़े में 1.20 मीटर व खड़े में 2.50 मीटर से कम नहीं हो। तार खुले नहीं हो।
भवन में निकास हेतु इमरजेंसी गेट, उतरने की सीढिय़ां, हॉल के बाहर पेसेज की व्यवस्था, फायर एक्जिट व्यवस्था, पर्याप्त वेंटिलेशन जरूरी।
भवन में निकास हेतु इमरजेंसी गेट, उतरने की सीढिय़ां, हॉल के बाहर पेसेज की व्यवस्था, फायर एक्जिट व्यवस्था, पर्याप्त वेंटिलेशन जरूरी।
अग्निशमन वाहन हेतु पहुंच मार्ग सबसे अहम है।
इंदौर के कोचिंग क्लास व होस्टल्स में मिली ये कमियां भंरवकुआं, गीता भवन, विजय नगर जैसे इलाकों में कई कोचिंग संस्थान सूरत की कोचिंग की तर्ज पर इमारतों की छतों पर निर्माण कर चलाए जा रहे हैं।
150 छात्रों की कोचिंग क्लास के भवन में प्रवेश द्वार 4.50 मीटर से छोटा है।
सभी कोचिंग क्लासेस और होस्टल्म में मंजिलों के कॉरिडोर खुले नहीं हैं।
आग लगने की स्थिति में कोचिंग क्लासेस पर न तो पर्याप्त उपकरण हैं न ही पानी की टंकी भरने की व्यवस्था।
17 बाय 50 के प्लॉट पर जी प्लस थ्री बिल्डिंग बना रखी है। ऐसे में सुरक्षा के उपाय करना मुश्किल हैं।
कई भवनों के सभी कॉरिडोर बंद हैं, टेरिस फ्लोर भी खुला नहीं है।
स्कूल, कोचिंग क्लासेस और होस्टल्स में आपातकालीन सीढिय़ां भी नहीं है। इससे हादसे की स्थिति में मदद तक नहीं पहुंचाई जा सकती है।
भवन के अंदर से बचाव हेतु फायर एक्सटिंग्यूशर उपकरण, आग बुझाने के लिए फोम, बालू रेत की बाल्टी, पानी आदि की व्यवस्था भी नहीं मिली।
Published on:
08 Jun 2019 03:44 pm
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