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साइबर ठगों का नया ठिकाना बना एमपी का बड़ा शहर , म्यूल खातों में रकम ट्रांसफर कर रहे जालसाज

Indore becomes the new hideout of cyber thugs झारखंड का जामताड़ा इलाका साइबर ठगी के लिए देशभर में कुख्यात है। अब ये जालसाज नए नए तौर तरीकों के साथ नया ठिकाना भी तलाश रहे हैं।

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Indore becomes the new hideout of cyber thugs

Indore becomes the new hideout of cyber thugs

झारखंड का जामताड़ा इलाका साइबर ठगी के लिए देशभर में कुख्यात है। अब ये जालसाज नए नए तौर तरीकों के साथ नया ठिकाना भी तलाश रहे हैं। ऐसे में एमपी का व्यवसायिक शहर इंदौर साइबर ठगी का नया केंद्र बनता जा रहा है। यहां ऑनलाइन बेटिंग के नाम से ठगी का धंधा किया जा रहा है। पुलिस के अनुसार ऑनलाइन गैम्बलिंग (बेटिंग) शुद्ध रूप से साइबर ठगी होती है। लत लगाने के लिए पहले लोगों को जिताया जाता है लेकिन बाद में वे लगातार हारने लगते हैं। इन गेम्स में कभी कोई जीत ही नहीं सकता, क्योंकि सॉफ्टवेयर में पहले से सेटिंग कर ली जाती है।

ऑनलाइन गैम्बलिंग (बेटिंग) का इंदौर शहर में बड़ा नेटवर्क है। 500 से ज्यादा बुकी यह काम कर रहे हैं। इसके लिए बैंक खातों में पैसे ट्रांसफर करवाए जाते हैं। इसके बदले खेलने के लिए एप्लीकेशन में कॉइन दिए जाते हैं। दिनभर में इन एप पर लाखों रुपए का ट्रांजेक्शन म्यूल खातों यानि किराए पर लिए खातों में होता है।

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पैसे कमाने के लालच में युवा अब बड़ी संख्या में ऑनलाइन बेटिंग में उलझ रहे हैं। इसके जाल में फंसकर आइआइटी के एक छात्र ने खुदकुशी कर ली थी। छात्र ने वाट्सएप पर स्टेटस लगाया था कि ऑनलाइन बेटिंग नशे की तरह है। कई बच्चे फीस तो कई अपने घरों का कीमती सामान बेचकर बेटिंग में पैसा लगा रहे हैं। वे बड़ी रकम हार जाते हैं।

ऑनलाइन बेटिंग मोबाइल में सिंगल क्लिक पर उपलब्ध होने के बाद भी पुलिस सट्टेबाजों को पकड़ नहीं पा रही है। इसमें खेलने के लिए कोई तय पैरामीटर नहीं है, इसलिए नाबालिग भी इसमें फंस रहे हैं।

ऑनलाइन बेटिंग के खेल में चार से पांच अलग-अलग चरण में लोग शामिल होते हैं। क्लाइंट मास्टर, मास्टर, ऑनर और अंत में कस्टमर होते हैं। इन्हें आइडी के चार सर्वर के रूप में बांटा जाता है। सरगना इसका सर्वर उपलब्ध करवाता है। बुकी हर बुकिंग पर 10 से 30% तक कमीशन अपने पास रखता है। बेटिंग के लिए जिन खातों में पैसे ट्रांसफर करवाए जाते हैं, वे एक गिरोह से किराए पर लिए जाते हैं।

बुकी तक पहुंचे
ऋषि नामक एक बुकी तक पत्रिका रिपोर्टर भी पहुंचा। वह महीनों से यह काम कर रहा है और आधे से ज्यादा समय शहर से बाहर रहता है। उसका असली नाम हर्ष है, लेकिन ऑनलाइन बेटिंग की दुनिया में उसका नाम ऋषि है। वह इन दिनों जिस खाते में पैसे ट्रांसफर करवा रहा है, वह पिछले साल जुलाई में एक्टिव हुआ है। खाता अभिषेक के नाम से है। उसमें दर्ज मोबाइल नंबर भी ऋषि के पास है।

ऋषि ने बताया कि मैं किसी को खेलने के लिए बुलाने नहीं जाता हूं। मैं तो प्लेटफॉर्म लेकर बैठा हूं। शहर में अन्य 500 लोग यह काम कर रहे हैं। लोगों को फायदा होता है, तब कोई बुराई नहीं करता है। कई ऐसी भी एप्लीकेशन हैं, जिनका प्रमोशन नामी हस्तियां करती हैं। हम लोग भी रजिस्ट्रेशन करवा लेंगे।

मुनाफे का लालच देकर लगा रहे लत
एडिशनल डीसीपी राजेश दंडोतिया का कहना है कि टेलीग्राम चैनलों पर इस तरह के गेम्स और ग्रुप बनाए गए हैं, जो खातों में 10 से 15 प्रतिशत का लालच देकर लोगों को पैसे ट्रांसफर करने के लिए प्रेरित करते हैं। व्यक्ति को लगता है कि वह हार रहा है, लेकिन यह शुद्ध रूप से साइबर ठगी होती है।

इस ठगी के पीछे बैक एंड सर्वर होता है, जिसे सॉफ्टवेयर के जरिए सेट किया जाता है। शुरुआत में लोगों को मुनाफा देकर लालच दिया जाता है और जब उन्हें इसकी लत लग जाती है तो वे लगातार हारने लगते हैं। इस तरह के गेम्स में कभी कोई जीत नहीं सकता, क्योंकि पहले से सेटिंग की जाती है। एडिशनल डीसीपी ने कहा कि यदि इंदौर का कोई इन्फ्लुएंसर ऐसे गेम्स को प्रमोट करता है तो उसके और ऐसे गेम्स का संचालन करने वाले गिरोह पर कार्रवाई करेंगे।