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मुनाफे के लिए सिर्फ निवेश का गढ़ बनकर रह सुपर कॉरिडोर

विकास के बाद भी बसाहट नहीं, वास्तविक खरीदारों से दूर कॉलोनियां

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इंदौर

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Ramesh Vaidh

Feb 12, 2024

मुनाफे के लिए सिर्फ निवेश का गढ़ बनकर रह सुपर कॉरिडोर

इंदौर. सुपर कॉरिडोर पर 6 लेन रेलवे ओवर ब्रिज, मेट्रो कॉरिडोर के बाद भी इलाका बसाहट से दूर है। यहां नया इंदौर बनने का ख्वाब सालों से दिखाया जा रहा है लेकिन, वह जमीन पर नहीं आ रहा। यहां हर शनिवार-रविवार प्लॉटों की मंडी लगती है, लेकिन बसाहट नहीं है। सुपर कॉरिडोर व आसपास का क्षेत्र निवेश व मुनाफे का गढ़ बन गया है।
करीब 7-8 साल से सुपर कॉरिडोर का इलाका आकर्षण का केंद्र है। हरियाली के बीच हाइवे, 6 लेन रेलवे ओवर ब्रिज यहां की शोभा बढ़ाता है। देश की मल्टीनेशनल 2 कंपनियों का संचालन और कॉलेज भी शुरू हो गए। अब तेजी से आकार लेता मेट्रो कॉरिडोर आकर्षण का केंद्र है। जून 2024 तक मेट्रो का कमर्शियल रन शुरू होने को है। शनिवार-रविवार को यहां प्लॉटों की मंडी लग जाती है। नई विकसित हो रही करीब 50 कॉलोनियोंं के एजेंट, एग्जीक्यूटिव केनोपी लगाते हैं, जमकर खरीदी बिक्री भी होती है।
गाइड लाइन 900 से 1000, दाम 5 गुना ज्यादा
सुपर कॉरिडोर से लगे पुराने इलाके बांगड़दा में मकान पहले से बने हैं, कई नई बिल्डिंग बन गई हैं लेकिन नए इलाके में न के बराबर बसाहट है। सुपर कॉरिडोर के दोनों ओर करीब 100 कॉलोनियां विकसित हैं या हो रही हंै। पत्रिका टीम ने मौके पर प्लॉट की जानकारी लेने आने वाले लोगों से बात की तो पता चला कि अधिकांश अच्छे मुनाफे की चाह में निवेश के लिए आ रहे हैं। प्लॉट लेने वालों का उद्देश्य वहां बसना नहीं है। बीएसएनएल से रिटायर्ड सुरेंद्र कुमार ने बताया, बेटा मल्टीनेशनल कंपनी में मुंबई में पदस्थ है। वह यहां निवेश करना चाहता है। सॉफ्टवेयर इंजीनियर शुभम वर्मा का कहना था कि यहां मुनाफा ज्यादा है, इसलिए निवेश कर रहा हूं। यहां गाइड लाइन 900 से 1000 रुपए है, लेकिन प्लॉट 4000 से 5000 रुपए स्क्वेयर फीट में बिक रहे हैं।
सुपर कॉरिडोर के दोनों ओर आइडीए ने बेची जमीन, निर्माण नहीं
सुपर कॉरिडोर में सडक़ व अन्य विकास कार्यों पर आइडीए ने करीब 300 करोड़ खर्च किए हैं, अभी काम चल रहा है। सुपर कॉरिडोर के दोनों ओर करीब 300 मीटर के हिस्से में आइडीए की सार्वजनिक अद्र्ध सार्वजनिक (पीएसपी) उपयोग की जमीन है। यानी जिसने जमीन ली वे व्यवसायिक, सह व्यवसायिक बिल्डिंग बना सकता है, फैक्ट्री, होटल जैसे प्रोजेक्ट आ सकते हैं। जमीन तो खरीदी लेकिन दो बड़ी कंपनियों के अलावा अन्य ने निर्माण नहीं किया। यहां व्यावसायिक उपयोग होना है। जमीन लेने वालों को भी बसाहट का इंतजार है। आइडीए सीईओ आरपी अहिरवार के मुताबिक, पीएसपी के प्लॉट बेचे हैं, रहवासी प्लॉट नहीं हैं।

फायदे के लिए निवेश पर ज्यादा ध्यान
सुपर कॉरिडोर में कॉलोनियों विकसित हो रही हैं, इसमें लोग मुनाफे के लिए निवेश के आधार पर प्लॉट लेकर रजिस्ट्री करा रहे हैं। रेट बढ रहे हैं। अधिकांश बाहरी लोगों ने निवेश किया है, जिससे इलाका रहवासी क्षेत्र के रूप में विकसित नहीं हो पा रहा। - सतनामसिंह छाबड़ा, एडवोकेट, पंजीयक कार्यालय

सुविधा देनी होगी, तब आएगी बसाहट
सुपर कॉरिडोर में प्लॉटों के भाव बढ़ रहे हैं, लेकिन बसाहट नहीं हो रही है। यहां पर प्रशासन व जिम्मेदार एजेंसियों को रहवासियों के हिसाब से बाजार, मार्केट जैसी सुविधा विकसित करना होगी। योजना बनाकर पहले सुविधा देनी होगी, तब लोग वहां आकर रहने लगेंगे।
- अतुल सेठ, आर्किटेक्ट